नई दिल्ली। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा मंत्रालय बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार हो रहा है।
रक्षा मंत्री ने कहा है कि रक्षा उत्पादन के मामले में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने और सेना को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से विदेशों से आयात होने वाले 101 से अधिक वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगेगा। राजनाथ सिंह ने बताया कि प्रतिबंधों वाले वस्तुओं की इस सूची को रक्षा मंत्रालय के सभी संबंधित विभागों से कई बार चर्चा करने के बाद तैयार किया गया है।
प्रतिबंधित वस्तुओं की इस सूची में सिर्फ आम चीज़ें ही शामिल नहीं है बल्कि कुछ उच्च तकनीक वाले हथियार भी हैं जैसे मिसाइल डेस्ट्रायर, हल्के ट्रांस्पोर्ट एयरक्राफ्ट, एंटी सब मरीन रॉकेट लांचर, आर्टिलरी गन, असॉल्ट राइफल्स, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट, और दूसरी चीजें हैं जो देश की रक्षा सेवा की जरूरतों को पूरा करती है।
List of 101 defence weapons/platforms to be put on import embargo by Defence Ministry December 2020 onwards. https://t.co/adSforDvW5 pic.twitter.com/mYPH3nEnjr
— ANI (@ANI) August 9, 2020
रक्षा मंत्री ने अगले 6 से 7 सालों के लिए रक्षा मंत्री ने घरेलू रक्षा उद्योग को चार लाख करोड़ के कंट्रैक्ट देने की बात कही है। इसके अलावा उन्होंने मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 में घरेलू रक्षा उद्योग के लिए 52 हज़ार करोड़ के अलग बजट की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि इन वस्तुओं के आयात धीरे-धीरे लागू किया जाएगा और 2024 के तक प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची को पूरा करने का लक्ष्य है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रतिबंधों के बाद इनमें से लगभग 1,30,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं सेना और वायु सेना के लिए होगी तो वहीं नौसेना के लिए 1,40,000 करोड़ रुपये की वस्तुएं स्वदेश में तैयार की जाएगी।
The embargo on imports is planned to be progressively implemented between 2020 to 2024. Our aim is to apprise the Indian defence industry about the anticipated requirements of the Armed Forces so that they are better prepared to realise the goal of indigenisation.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 9, 2020
उन्होंने कहा कि यह निश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जाएँगे कि निगेटिव इंपोर्ट लिस्ट के अनुसार सभी उपकरणों का उत्पादन समय सीमा के अंदर पूरी की जाए। इसके लिए रक्षा सेवाओं और उद्योग के बीच एक समन्वय तंत्र विकसित किया जाएगा। उन्होंने आगे भी सभी संबंधित पक्षों से परामर्श कर ऐसे अन्य वस्तुओं को चिह्नित कर उनके आयात पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है।