
चंडीगढ़। तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का नेतृत्व करने वाले 40 से अधिक किसान संघों के एक निकाय संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा 27 सितंबर को आहूत ‘भारत बंद’ का यह आह्वान किया गया है।
वहीं उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को बुलाए गए ‘भारत बंद’ को समर्थन देने का ऐलान किया है।
प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल सपा ने रविवार को ट्वीट किया,”भाजपा सरकार के काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों द्वारा कल बुलाए गए भारत बंद का समाजवादी पार्टी पूर्ण समर्थन करती है। किसान विरोधी काले कानूनों को वापस ले सरकार।”
भाजपा सरकार के काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसानों के द्वारा कल बुलाए गए “भारत बंद” का समाजवादी पार्टी पूर्ण समर्थन करती है।
किसान विरोधी काले कानूनों को वापस ले सरकार।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) September 26, 2021
बसपा प्रमुख मायावती ने भी ट्वीट कर सोमवार को होने वाले किसानों के भारत बंद को समर्थन देने का ऐलान किया। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘केंद्र द्वारा जल्दबाजी में बनाए गए तीन कृषि कानूनों से असहमत व दुखी देश के किसान इनकी वापसी की मांग को लेकर लगभग 10 महीने से पूरे देश व खासकर दिल्ली के आसपास के राज्यों में तीव्र आन्दोलित हैं व कल (सोमवार) ’भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसके शांतिपूर्ण आयोजन को बसपा का समर्थन।’’
1. केन्द्र द्वारा जल्दबाजी में बनाए गए तीन कृषि कानूनों से असहमत व दुःखी देश के किसान इनकी वापसी की माँग को लेकर लगभग 10 महीने से पूरे देश व खासकर दिल्ली के आसपास के राज्यों में तीव्र आन्दोलित हैं व कल ’भारत बंद’ का आह्वान किया है जिसके शान्तिपूर्ण आयोजन को बीएसपी का समर्थन।
— Mayawati (@Mayawati) September 26, 2021
अपने सिलसिलेवार ट्वीट में मायावती ने कहा,‘‘साथ ही, केन्द्र सरकार से भी पुनः अपील है कि किसान समाज के प्रति उचित सहानुभूति व संवेदनशीलता दिखाते हुए तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस ले तथा आगे उचित सलाह-मशविरा व इनकी सहमति से नया कानून लाए ताकि इस समस्या का समाधान हो। किसान खुश व खुशहाल तो देश खुश व खुशहाल।’’
भारत बंद के मद्देनजर सोमवार की सुबह से ही विभिन्न किसान संगठनों की ओर से गाज़ीपुर बॉर्डर पर कृषि क़ानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक बंद का ऐलान किया गया है। वहीं ‘भारत बंद’ के मद्देनजर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हरियाणा पुलिस ने व्यापक बंदोबस्त किए हैं।
पुलिस ने एक परामर्श में कहा कि सोमवार को ‘बंद’ के कारण लोगों को राज्य की विभिन्न सड़कों और राजमार्गों पर यातायात में व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है। हरियाणा पुलिस के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार हरियाणा में नागरिक और पुलिस प्रशासन द्वारा व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं।
पुलिस प्रशासन ने कहा, ‘‘इन व्यवस्थाओं का प्राथमिक उद्देश्य सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखना, किसी भी तरह की हिंसा को रोकना और राज्य भर में यातायात और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के संचालन को सुविधाजनक बनाना है।’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘रिपोर्टों के अनुसार, यह उम्मीद की जाती है कि आंदोलनकारी समूह विभिन्न सड़कों और राजमार्गों पर ‘धरने’ पर बैठ सकते हैं और उन्हें कुछ समय के लिए अवरुद्ध कर सकते हैं। राज्य में राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर कई घंटों तक यातायात बाधित हो सकता है।’’
पुलिस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘नागरिकों को अग्रिम रूप से सूचित किया जा रहा है ताकि वे किसी भी असुविधा से बचने के लिए अपनी यात्रा की योजना बना सकें और उसमें बदलाव कर सकें। प्रवक्ता ने बताया कि जिलों को इस संबंध में आवश्यक व्यवस्था करने को भी कहा गया है। हरियाणा पुलिस ने किसानों से कानून-व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़े बिना शांतिपूर्ण तरीके से अपने मुद्दे उठाने की अपील की है।’’ उन्होंने ने कहा कि बंद के आह्वान की आड़ में सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने की कोशिश करने वाले तत्वों के खिलाफ कानून के अनुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
किसान संघों के निकाय ‘एसकेएम’ ने इससे पहले लोगों से बंद में शामिल होने की अपील की थी। एसकेएम ने हाल में जारी एक बयान में कहा था, ‘‘इस ऐतिहासिक संघर्ष के दस महीने पूरे होने पर एसकेएम ने केंद्र सरकार के खिलाफ सोमवार (27 सितंबर) को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है।
एसकेएम की ओर से जारी बयान में कहा गया था, ‘‘एसकेएम हर भारतीय से इस देशव्यापी आंदोलन में शामिल होने और ‘भारत बंद’ को व्यापक रूप से सफल बनाने की अपील करता है। विशेष रूप से, हम कामगारों, व्यापारियों, ट्रांसपोर्टरों, कारोबारियों, विद्यार्थियों, युवाओं और महिलाओं तथा सभी सामाजिक आंदोलनों के संगठनों से उस दिन किसानों के साथ एकजुटता दिखाने की अपील करते हैं।’’
बयान में कहा गया था, बंद सुबह छह बजे से शाम चार बजे तक होगा, जिस दौरान पूरे देश में सभी सरकारी और निजी कार्यालय, शैक्षणिक और अन्य संस्थान, दुकानें, उद्योग और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान के साथ-साथ सार्वजनिक कार्यक्रम और अन्य कार्यक्रम बंद रहेंगे। इसमें कहा गया था, अस्पताल, मेडिकल स्टोर, राहत और बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों और आवश्यक सेवाओं और व्यक्तिगत आपात स्थितियों में भाग लेने वाले लोगों को छूट दी जाएगी।
देश के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जिसको लेकर उन्हें डर है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म कर दिया जाएगा तथा उन्हें बड़े कार्पोरेट की दया पर छोड़ दिया जाएगा। हालांकि, सरकार तीन कानूनों को प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में पेश कर रही है। दोनों पक्षों के बीच 10 दौर से अधिक की बातचीत गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है।