सांप्रदायिक समरसता और सहिष्णुता भारत और यहां के बहुसंख्यक समुदाय के डीएनए में है: रिजिजू


भारत को सांप्रदायिक समरसता और सहिष्णुता पर किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है क्योंकि यह भारत और उसके बहुसंख्यक समुदाय के डीएनए में है। देश में अल्पसंख्यकों के सामाजिक, धार्मिक और संवैधानिक अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित हैं। कुछ असहिष्णु लोग डर और असहिष्णुता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।


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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के धार्मिक और संवैधानिक अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इसका सर्टिफिकेट किसी और से लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि सांप्रदायिक समरसता और सहिष्णुता देश और उसके बहुसंख्यक समुदाय के डीएनए में है। 

बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखने वाले रिजिजू की यह टिप्पणी अमेरिकी ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी के यह कहने के बाद आयी है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर जो कुछ हो रहा है, उससे अमेरिका चिंतित है। केंद्रीय खेल मंत्री होने के साथ-साथ उनके पास केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री का भी प्रभार है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत को सांप्रदायिक समरसता और सहिष्णुता पर किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है क्योंकि यह भारत और उसके बहुसंख्यक समुदाय के डीएनए में है।’’

उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के सामाजिक, धार्मिक और संवैधानिक अधिकार पूरी तरह से सुरक्षित हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘कुछ असहिष्णु लोग डर और असहिष्णुता का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के तौर पर मैं यह महसूस करता हूं कि भारत अल्पसंख्यकों के लिए दुनिया का सबसे अच्छा देश है।’’

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के राजनयिक सैमुअल ब्राउनबैक ने बुधवार को कहा कि भारत एक ऐसा देश रहा है जिसने खुद ही चार बड़े धर्मों को जन्म दिया है। भारत में जो भी हो रहा है, हम उससे बहुत चिंतित हैं। वह ऐतिहासिक रूप से सभी धर्मों के लिए बहुत ही सहिष्णु, सम्मानपूर्वक देश रहा है।

ब्राउनबैक ने कहा कि भारत में जो चल रहा है वह बहुत ही परेशान करने वाला है क्योंकि यह बहुत ही धार्मिक उपमहाद्वीप है लेकिन वहां अधिक साम्प्रदायिक हिंसा देखने को मिल रही है।

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए राजनयिक सैमुअल ब्राउनबैक की यह टिप्पणियां बुधवार को ‘2019 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट’ जारी होने के बाद आई है। विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट में दुनियाभर में धार्मिक आजादी के उल्लंघन की प्रमुख घटनाओं का जिक्र है।

धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका की रिपोर्ट को भारत पहले भी खारिज करते हुए कह चुका है कि किसी भी विदेशी सरकार को उसके नागरिकों के सवैधानिक अधिकारों की स्थिति पर फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं है।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने पहले इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा था, ‘‘भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्र और सहिष्णुता एवं समावेशिता की दीर्घकालीन प्रतिबद्धता के साथ बहुलवाद समाज होने के नाते अपनी धर्मनिरपेक्षता, अपनी स्थिति पर गर्व है।’’