
नई दिल्ली। कांग्रेस ने भाजपा नेता हिमंत विश्व सरमा के चुनाव प्रचार करने पर लगे प्रतिबंध की अवधि को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किए जाने को ‘संसदीय लोकतंत्र के लिए काला दिन’ करार देते हुए शनिवार को दावा किया कि चुनाव आयोग ने यह फैसला मोदी सरकार के दबाव में किया है, जिसके लिए उसे इतिहास कभी माफ नहीं करेगा।
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने यह आरोप भी लगाया कि ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग ने अपनी नियम पुस्तिका से निष्पक्षता वाला पन्ना फाड़कर फेंक दिया है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘चुनाव आयोग से हम भाजपा नेता की गाड़ी में ईवीएम मामले में कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि आयोग के एक और कदम से ऐसा लगता है कि उसने अपनी रुलबुक से निष्पक्षता वाला पेज फाड़के फेंक दिया है।’’ प्रियंका ने सवाल किया, ‘‘आखिर किस दबाव में धमकी देने वाले भाजपा नेता पर प्रतिबंध को 48 घंटे से घटाकर 24 घंटे किया गया?’’
चुनाव आयोग से हम भाजपा नेता की गाड़ी में EVM मामले में कड़ी कार्रवाई का इंतजार कर ही रहे थे कि आयोग के एक और कदम से ऐसा लगता है कि उसने अपनी रुलबुक से निष्पक्षता वाला पेज फाड़के फेंक दिया है।
आखिर किस दबाव में धमकी देने वाले भाजपा नेता के बैन को 48 घंटे से घटाकर 24घंटे किया गया? https://t.co/ISBMCilBO7
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 3, 2021
उधर, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने यह फैसला मोदी सरकार के दबाव में लिया है।
सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘संसदीय लोकततंत्र के लिए काला दिन है। चुनाव आयोग के पास अपने आदेश पर कायम रहने की हिम्मत नहीं है। यह निंदनीय है कि चुनाव आयोग मोदी सरकार के दबाव में झुक गया और सरमा को चुनाव प्रचार से प्रतिबंधित करने का आदेश बदला। इतिहास इस पाप के लिए न तो चुनाव आयोग और न ही भाजपा को माफ करेगा।’’
A dark day for Parliamentary democracy.
#ECI doesn’t even have the guts to sustain its own order. Deplorable that EC buckles under Modi Govt’s pressure & reverses its own order of ban on Sh. Himanta Biswa Sarma.
History will neither pardon #ECI nor #BJP for this sin.
1/2 pic.twitter.com/gKY4UUqZvu— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 3, 2021
उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या चुनाव आयोग यह बताएगा कि यह फैसला स्वत: लिया गया या फिर भाजपा या सरमा की तरफ से कोई नयी याचिका दायर की गई? अगर ऐसा है, तो फिर इस मामले में शिकायत करने वाले दलों कांग्रेस और बीपीएफ को क्यों नहीं बुलाया गया? क्या यह दंड से मुक्ति के भाव के साथ धमकाने के लिए लाइसेंस देना है?’’
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने असम के मंत्री और भाजपा नेता सरमा पर चुनाव प्रचार प्रतिबंध की अवधि 48 घंटे से कम कर 24 घंटे कर दी। उन्होंने चुनाव आयोग को आश्वासन दिया कि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों का पालन करेंगे, जिसके बाद प्रचार प्रतिबंध की अवधि घटाई गई।
बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के प्रमुख हागरामा मोहिलारी के खिलाफ कथित तौर पर धमकी भरी टिप्पणी के लिए शुक्रवार को उनके चुनाव प्रचार करने पर चार अप्रैल तक प्रतिबंध लगा दिया गया था।
असम विधानसभा चुनाव के तीसरे एवं अंतिम चरण के लिए प्रचार चार अप्रैल की शाम को समाप्त हो जाएगा। राज्य में अंतिम चरण के चुनाव छह अप्रैल को होंगे।