नई दिल्ली। इस वर्ष की शुरुआत में कोविड-19 टीके के पेश होने के साथ जो उम्मीद की किरण नजर आई थी उसकी रोशनी, 2021 के बीतने के साथ ही मंद पड़ती दिख रही है क्योंकि कोरोना वायरस का संकट अब भी बरकरार है और इसका नया स्वरूप पहले से अधिक संक्रामक है।
जिस प्रकार ओमीक्रोन दुनियाभर में फैलता जा रहा है और टीके की समान रूप से उपलब्धता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वैज्ञानिक अब भी इस घातक वायरस के बारे में और जानकारी प्राप्त करने में लगे हैं जिसने लाखों लोगों की जान ले ली और कई देशों की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया।
राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान में काम कर चुके प्रतिरक्षा विज्ञान विशेषज्ञ सत्यजीत रथ ने पीटीआई-भाषा से कहा, “महामारी साल के अंत में अब भी उसी तरह है जैसे साल की शुरुआत में थी।” वायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के बारे में रथ ने कहा कि वायरस के नए प्रकार का उद्भव होना प्राकृतिक और सामान्य बात है तथा इन्फ्लुएंजा वायरस इसका एक उदाहण है।
उन्होंने कहा, “यह उन कई कारणों में से एक है जिसकी वजह से महामारी का तत्काल समाप्त होने की उम्मीद करना वास्तविकता से दूर था और है।” अशोक विश्वविद्यालय के भौतिकी और जीव विज्ञान विभाग में प्रोफेसर गौतम मेनन ने कहा, “हमने जाना है कि सार्स सीओवी-2 उन वायरसों के समान है जो सांस की बीमारियों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इसके अलावा हम यह भी जान पाए कि यह उनसे किस तरह भिन्न है और हमें आश्चर्य में डाल सकता है।” मेनन ने कहा कि ओमीक्रोन स्वरूप साल के अंत में आई चुनौती है जिसका प्रभाव नए साल के पहले कुछ महीनों तक रहेगा।
उन्होंने कहा, “इस बेहद उत्परिवर्तित स्वरूप का सामने आना और कहीं ज्यादा संक्रामक होना तथा प्रतिरक्षा को मात देने में डेल्टा से भी अधिक कारगर सिद्ध होना संभव तो था लेकिन ऐसा सोचा नहीं गया था।” साल की शुरुआत में कोविड-19 रोधी टीके सामने आए जो अल्फा, बीटा, और गामा स्वरूपों के विरुद्ध कारगर साबित हुए लेकिन उसके बाद डेल्टा स्वरूप सामने आ गया।
मार्च में भारत में डेल्टा स्वरूप के मामले सामने आए और उस समय देश में टीकाकरण अभियान शुरुआती चरण में था। इसका नतीजा यह हुआ कि अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कोविड-19 से बहुत से लोगों की मौत हुई। वायरस का यह बेहद संक्रामक स्वरूप इसके बाद दुनिया भर में फैल गया। नवंबर के महीने में बोत्स्वाना और दक्षिण अफ्रीका में ओमीक्रोन स्वरूप सामने आया।
विषाणु विज्ञान विशेषज्ञ उपासना राय का कहना है कि वायरस तेजी से उत्परिवर्तित होते हैं और सार्स सीओवी-2 भी ऐसा ही है इसलिए वायरस के कुछ प्रकार अधिक संक्रामक हैं और कुछ तो ऐसे हैं जिन पर एंटीबॉडी का भी असर नहीं होता। दुनिया भर में ओमीक्रोन के प्रसार के बीच, ऐसी आंकड़े सामने आए हैं जिनसे पता चलता है कि ‘बूस्टर’ खुराक लेने से कोविड-19 बीमारी के अधिक गंभीर होने का खतरा नहीं रहता।
कई विशेषज्ञ टीका ले चुके वयस्कों से बूस्टर खुराक लेने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन उन्होंने चेतावनी भी दी है कि जब कम आय वाले देशों में बेहद कम जनसंख्या को टीके की एक ही खुराक मिली है तब संक्रमित लोगों में वायरस के नए स्वरूप विकसित होते रहेंगे।
रथ ने कहा कि इसमें सच्चाई है कि वैश्विक स्तर पर तेजी से टीकाकरण होने से वायरस के नए स्वरूप का उभरना धीमा हुआ है।