लॉकडाउन से गरीबों-मजदूरों के समक्ष उपजे संकट पर चर्चा

बुराड़ी के विधायक संजीव झा ने दिल्ली सरकार द्वारा लॉकडाउन अवधि के दौरान किए गए उपायों का उल्लेख किया, जिसमें प्रवासी श्रमिकों के लिए रैन बसेरों की स्थापना, नकद हस्तांतरण, राशन और पकाया भोजन का प्रावधान, और अग्रिम पेंशन शामिल हैं। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षा की प्रणाली में चुनौतियों को स्वीकार किया।

नई दिल्ली। 7 मई से 17 मई, 2020 तक देश के 50 से अधिक शहरों के 3,121 घरों में एक सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण का विषय मजदूरों की स्थिति का आकलन करना था। प्रभाव एवं नीति अनुसंधान संस्थान Impact and Policy Research Institute (IMPRI) ने सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर फैकल्टी, सिविल सोसाइटी, ब्यूरोक्रेट्स, नीति निर्धारकों और छात्रों के साथ चर्चा की।  

दिल्ली के अध्ययन के निष्कर्ष में यह पाया गया कि एक कमरे में औसतन 3 से अधिक सदस्यों और गैर-अधिसूचित मलिन बस्तियों में प्रति कमरे के करीब 4 सदस्य रहते है। 90 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने स्वास्थ्य देखभाल के वित्तपोषण के लिए-आउट-ऑफ-पॉकेट खर्च की सूचना दी। हर 2 उत्तरदाताओं में से 1 अनौपचारिक श्रम में लगा हुआ था। 4 उत्तरदाताओं में से 3 ने लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी की सूचना दी, जिसमे 10 में से 9 आकस्मिक मजदूर बेरोजगार हो गये है। नि:शुल्क भोजन, नकद हस्तांतरण,आजीविका के अवसर और सस्ती स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच तत्काल जरूरत के रूप में आधे से अधिक उत्तरदाताओं ने मांगा है। 

प्रो. शक्ति काक ने कहा कि कोविड-19 और लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक विस्थापन के संदर्भ में विशेषकर महिलाओं पर अधिक प्रभाव को इंगित किया।  

बुराड़ी के विधायक संजीव झा ने दिल्ली सरकार द्वारा लॉकडाउन अवधि के दौरान किए गए उपायों का उल्लेख किया, जिसमें प्रवासी श्रमिकों के लिए रैन बसेरों की स्थापना, नकद हस्तांतरण, राशन और पकाया भोजन का प्रावधान, और अग्रिम पेंशन शामिल हैं। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षा की प्रणाली में चुनौतियों को स्वीकार किया।  

उत्तरी दिल्ली नगर निगम में अतिरिक्त आयुक्त डॉ. रश्मि सिंह ने संस्थानों में अनुकूलनशीलता और लचीलापन की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस संकट के समय स्वास्थ्य, स्वच्छता और स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता होगी।  

डॉ बी.के. शर्मा ने संसाधन की कमी के बारे में चिंता जताई, जबकि “समस्याएँ ज्ञात हैं, और समाधान ज्ञात हैं”। उन्होंने अनौपचारिक क्षेत्र के मुद्दों पर प्रकाश डाला, जहां उन्होंने कहा कि श्रमिकों को रिकॉर्ड से बाहर रखा गया था और पिछले तीन महीनों से मजदूरी नहीं मिली थी, और 3 से अधिक सदस्यों के औसत के साथ सामाजिक उपनिवेशों और कॉलोनियों में सोशल डिस्टन्सिंग की समस्या की ओर इशारा किया|

प्रो. शिप्रा मैत्रा ने कहा कि समृद्धि के साथ सह-असमानता को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। प्रो मैत्रा ने विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य और प्रवासन पर डेटा निर्माण का सुझाव दिया और ऐसा करने में स्थानीय निकायों की भूमिका की ओर इशारा किया। उन्होंने स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में कमियों के मुद्दों को भी उठाया और मानव पूंजी के रूप में अदृश्य भारत ’के दीर्घकालिक जुड़ाव के लिए धक्का दिया, जो वर्तमान संकट के कारण सामने आया था।

डॉ. इंदु प्रकाश सिंह ने शहर में यौनकर्मियों और रिक्शा चालकों, और ग्रामीण क्षेत्रों में खेतिहर मजदूरों के मुद्दों पर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने “राजनीति” से दूर जाने और सिटी मेकर्स की पीड़ा को कम करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया, और कहा कि सरकार से अलग-अलग समूहों को एक ही साथ आना होगा।

डॉ. भारत सिंह ने वर्तमान परिदृश्य में सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्यमों के कामकाज में मुद्दों पर प्रकाश डाला और उसी की जांच करने के लिए IMPRI के अध्ययन के दायरे का विस्तार करने का सुझाव दिया। उन्होंने COVID-19 के दौरान प्रवासी श्रमिकों और रोगियों पर डेटा संग्रह की आवश्यकता पर भी जोर दिया। डॉ. सिमी मेहता एवं अंशुला मेहता ने सर्वेक्षण अध्ययन को साकार करने में योगदान के लिए शोधकर्ताओं को धन्यवाद दिया। प्रो. बलवंत सिंह मेहता, डॉ. सौम्यदीप चट्टोपाध्याय और डॉ. अर्जुन कुमार ने सर्वेक्षण को राष्ट्रीय महत्व का बताया।

First Published on: June 11, 2020 5:28 PM
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