अर्थव्यवस्था गिर रही है और सरकार आंखों पर पट्टी बांधकर बैठी हुई है: कांग्रेस

कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) द्वारा भारत की आर्थिक वृद्धि दर में कटौती किए जाने को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठी हुई है।

नई दिल्ली। कांग्रेस ने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) द्वारा भारत की आर्थिक वृद्धि दर में कटौती किए जाने को लेकर बुधवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि सरकार अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर बैठी हुई है।

आईएमएफ ने वर्ष 2022 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसके पहले जुलाई में आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आईएमएफ से पहले भारत की अनुमानित विकास दर को विश्व बैंक, रिजर्व बैंक, मूडीज, एशियन डेवलपमेंट बैंक व फिच जैसी कई संस्थाएं पहले ही कम कर चुकी हैं। अनुमानित विकास दर में लगातार की जा रही कटौती का मतलब है कि देश में बेरोजगारी व गरीबी बढ़ रही है, लोगों की आय कम हो रही है। इन सबके बीच, सरकार ने महंगाई बढ़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश की घटती हुई विकास दर को आरबीआई द्वारा कोविड, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तीसरा तूफान माना जा रहा है। मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भी माना है कि चुनौतियां काफी बढ़ी हैं, लेकिन वित्त मंत्री कह रही हैं- घबराने की कोई बात नहीं, बस प्याज़-लहसुन मत खाइए, बाकी सब चंगा है ।’’

सुप्रिया ने कहा था, ‘‘अब सरकार के नुमाइंदे और ‘चरणचुम्बक’ यह समझाएंगे कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। सच्चाई यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था 3 हजार अरब डॉलर की है तो चीन की 17.5-18 हजार अरब डॉलर और अमेरिका की 21 हजार अरब डॉलर की है। अब अगर 21 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था एक प्रतिशत की दर से भी बढ़ेगी, तो भी हमसे ज्यादा बढ़ेगी क्योंकि हमारी जीडीपी बहुत कम है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘गिरती अर्थव्यवस्था पर भाजपा सरकार में बैठे लोग कहते हैं – यह सब कुछ वैश्विक है, हम इसमें क्या कर सकते हैं? अब अगर आपको हाथ बांधकर ही खड़े रहना था तो आप सरकार में क्यों हैं? आइए विपक्ष में बैठिए। हम आपको अर्थव्यवस्था ठीक करके दिखाते हैं।’’

सुप्रिया ने आरोप लगाया, ‘‘सरकार ने आंखों पर पट्टी बांध ली है और वह कोई समस्या देखना ही नहीं चाहती। उसे गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई और टूटते रुपये की कोई चिंता ही नहीं है।’’

First Published on: October 12, 2022 6:41 PM
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