नई दिल्ली। किसानों की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने की मांग करते हुए राज्यसभा में बृहस्पतिवार को समाजवादी पार्टी के विश्वंभर प्रसाद निषाद ने कहा कि किसानों की अन्य समस्याएं भी हैं जिनका समय पर ही समाधान किया जाना बेहद जरूरी है।
उच्च सदन में विशेष उल्लेख के जरिये यह मुद्दा उठाते हुए निषाद ने कहा ‘‘महंगाई का असर कृषि पर भी पड़ा है और बीज, खाद, कीटनाशक आदि सभी कुछ महंगा हो गया है। फसल चक्र के लिए बारिश का बहुत महत्व होता है। लेकिन देश में कुछ हिस्से में सामान्य, कुछ में अत्यधिक और कुछ में बहुत ही कम वर्षा होती है जिसका असर फसलों पर होता है। बेमौसम बारिश भी फसलों को नुकसान पहुंचाती है।’’
उन्होंने कहा ‘‘तमाम परेशानियों के बाद जब फसल तैयार होती है तो किसानों को उसका उचित मूल्य नहीं मिल पाता। इन कठिनाइयों को देखते हुए सरकार को न केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाना चाहिए बल्कि अन्य समस्याओं का भी समय रहते समाधान करना चाहिए।’’
शून्यकाल में ही बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने देश के तटीय राज्यों में ऊष्णकटिबंधीय चक्रवात की वजह से हुए नुकसान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ओडिशा को अक्सर ऐसे चक्रवात और तूफान का सामना करना पड़ता है और वहां व्यापक नुकसान होता है। उन्होंने राहत के लिए अतिरिक्त वित्तीय मदद की मांग की।
भारतीय जनता पार्टी के कैलाश सोनी ने विकासखंडों के पुनर्गठन का मुद्दा विशेष उल्लेख के जरिये उठाया। उन्होंने कहा कि जिस तरह राज्यों को तहसीलों के पुनर्गठन का अधिकार दिया गया है उसी तरह उन्हें विकासखंडों के पुनर्गठन का भी अधिकार दिया जाना चाहिए।
इसी पार्टी के सदस्य के सी राममूर्ति ने समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा ‘‘कई देशों में और यहां तक कि हमारे यहां गोवा में भी समान नागरिक संहिता लागू है। इसे लेकर व्याप्त भ्रम भी दूर किया जाना चाहिए।’’
भाजपा की कांता कर्दम और मनोनीत सदस्य सुरेश गोपी ने भी विशेष उल्लेख के जरिये लोक महत्व से जुड़े मुद्दे उठाए।