सरकारी नौकरियों में सामान्य श्रेणी की रिक्तियां सभी वर्गों के लिए उपलब्ध : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि सरकारी नौकरियों में सामान्य श्रेणी की रिक्तियां सभी वर्गों के लिए उपलब्ध हैं। इसमें पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) एवं अनुसूचित जनजाति (एसटी) भी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति यू यू ललित, न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की एक पीठ ने आरक्षित वर्गों के मेधावी अभ्यर्थियों को सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित होने और फिर नौकरी के लिए चयन से वंचित करना ‘‘सांप्रदायिक आरक्षण’’ जैसा होगा।

न्यायमूर्ति ललित ने अपने और न्यायमूर्ति रॉय के लिए लिखे फैसले में कहा, ‘‘आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थी सामान्य श्रेणी में चयन के हकदार हैं। यह भी अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है कि यदि आरक्षित श्रेणियों से संबंधित ऐसे अभ्यर्थी अपनी योग्यता के आधार पर चयनित होने के हकदार हैं तो उनका चयन उस आरक्षित श्रेणी के कोटा में नहीं गिना जा सकता है जिससे वे संबंधित हैं।’’

न्यायमूर्ति भट ने एक अलग से लिखे सहमति वाले फैसले में कहा, ‘‘खुली श्रेणी एक ‘‘कोटा’’ नहीं है बल्कि यह सभी महिलाओं और पुरुषों के लिए समान रूप से उपलब्ध हैं।’’ यह निर्णय ओबीसी-महिला और एससी-महिला श्रेणियों से संबंधित दो अभ्यर्थियों द्वारा दायर एक याचिका पर आया, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में कांस्टेबलों के चयन के लिए 2013 में हुई परीक्षा में भाग लिया था।

ओबीसी-महिला श्रेणी से एक अभ्यर्थी सोनम तोमर ने आरोप लगाया था कि उसने नौकरी पाने वाली सामान्य श्रेणी की महिला अभ्यर्थी की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किये थे। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इस व्यवस्था की परिणति सारे चयन को अमान्य करके नये सिरे से सारी कवायद शुरू करने का प्राधिकारियों को निर्देश देना होगा।

न्यायालय ने कहा, ‘‘हालांकि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि चयनित अभ्यर्थियों का प्रशिक्षण हो चुका है और वे इस समय नौकरी में है और अभी भी पर्याप्त संख्या में रिक्त स्थान उपलब्ध है। इसलिए हम यह राहत दे रहे हैं।’’

न्यायालय ने राज्य सरकार को उन सभी ओबीसी महिला श्रेणी की अभ्यर्थियों को पत्र जारी करने का निर्देश दिया, जिन्होंने सामान्य श्रेणी की चयनित महिला अभ्यर्थियों की तुलना में अधिक अंक प्राप्त किए थे।

First Published on: December 22, 2020 12:53 PM
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