बिहार में मतदाताओं का गहन पुनरीक्षण नागरिक अधिकार से वंचित करने की कोशिश- एआईपीएफ 

लखनऊ। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मतदाताओं का कराया जा रहा विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान नागरिकों की नागरिकता और वोट के संवैधानिक अधिकार पर हमला है। ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने प्रस्ताव में कहा है कि इस विशेष अभियान में भारतीय नागरिक होने और वैध मतदाता होने का प्रमाण देना आम नागरिकों के ऊपर डाल दिया गया है। सरकार इन सब की जवाबदेही से पूर्णतया मुक्त कर दी गई है। नागरिकों से 1987, 2003 व 2024 के पूर्व के ऐसे प्रमाण मांगे जा रहे हैं जिन्हें दे पाना काफी लोगों, विशेष कर मेहनतकश तबके के लिए बेहद कठिन है।

प्रस्ताव में कहा गया कि जब खुद चुनाव आयोग देश के हर मतदाता का नाम आधार कार्ड से जोड़ने का लक्ष्य रखकर काम कर रहा है और इससे कई जगह नाम होने के सवाल को हल करना चाहता है। तब इस विशेष पुनरीक्षण अभियान में आधार कार्ड को एक प्रमाण तक नहीं मानना आश्चर्य पैदा करता है। सभी लोग जानते हैं कि आज बैंकों तक के वित्तीय लेनदेन में आधार कार्ड का उपयोग किया जाता है। इसलिए चुनाव आयोग को आधार कार्ड को भी एक प्रमाण मानना चाहिए।

एआईपीएफ ने कहा कि बिहार जैसे राज्य में जहां बड़ी संख्या में अपनी आजीविका की तलाश में मजदूर पलायन करते हैं। उनको अनुपस्थित दिखाकर उनके नाम मतदाता सूची से काटे जा सकते हैं। प्रस्ताव में कहा गया कि इसके पहले असम में भी इसी तरह की प्रक्रिया लागू की गई थी और कई हजार लोगों को भारतीय नागरिकता से वंचित करके उन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया था और शरणार्थी शिवरों में डाल दिया गया था। बाद में पता चला कि वह सब भारत के ही वैध नागरिक हैं।

एआईपीएफ का मानना है कि यह दरअसल भाजपा-आरएसएस की देश में लोकतंत्र को खत्म करने और तानाशाही थोपने की बड़ी परियोजना का हिस्सा है। चुनाव आयोग को आगे करके यह सरकार भारतीय लोकतंत्र में हर नागरिक को मिले वोट के सार्वभौमिक अधिकार को छीनकर लोकतंत्र को कुछ विशिष्ट लोगों तक ही सीमित करना चाहती है। इसके खिलाफ देशभर की आंदोलनरत लोकतांत्रिक शक्तियों के साथ एआईपीएफ अपने को जोड़ता है और देश के हर नागरिक से अपने स्तर पर इसका विरोध करने की अपील करता है।

First Published on: June 30, 2025 10:33 AM
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