नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि भारत विश्वगुरू के रूप में जाना जाता था और उसे अपने बौद्धिक नेतृत्व को पुन: हासिल करने तथा एक बार फिर से ज्ञान एवं नवोन्मेष के केंद्र के रूप में उभरने की जरूरत है। उन्होनें कहा, ‘‘नवोन्मेष हमेशा ही मानव की प्रगति का महत्वपूर्ण तत्व रहा है। शून्य तथा दाशमिक प्रणाली के आविष्कार से लेकर नवोन्मेष तक का भारत में समृद्ध इतिहास रहा है । भारत विश्वगुरू के रूप में जाना जाता था। हमें उस बौद्धिक नेतृत्व को फिर से हासिल करने की जरूरत है। हमें फिर से ज्ञान और नवोन्मेष के केंद्र के रूप में उभरने की जरूरत है।’’
नवाचार के लिए संस्थानों को ‘‘अटल नवाचार उपलब्धि संस्थान रैंकिंग 2020″ पुरस्कार प्रदान किए जाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे यहां काफी प्रतिभाशाली युवा हैं जो नये विचारों से भरे हैं और उनमें नये पथ पर आगे बढ़ते हुए ऐसे विचारों को लागू करने की इच्छा और जुनून है । युवा हमारे देश के भविष्य को परिभाषित करेंगे । इन्हें प्रोत्साहन, सुविधा और मान्यता प्रदान करने की जरूरत है। उन्हें नये फलक की तलाश करने के लिये जरूरी मार्गदर्शन और स्वतंत्रता प्रदान किये जाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि नवोन्मेष को जनआंदोलन बनाना वक्त की जरूरत है और इसके लिये छात्रों को लीक से हटकर सोचने वाला विचारक बनाने की जरूरत है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि छात्रों में नवोन्मेष और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये समन्वित प्रयास किये जाने चाहिए ताकि वे समस्या का रचनात्मक समाधान निकालने वाले उद्यमी और रोजगार सृजनकर्ता बन सकें। शिक्षा ऐसी हो कि विद्यार्थियों को रचनात्मक बनाये। उन्हें लीक से हट कर समाधान सोचना सिखाए। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति में नवोन्मेष पर खास ध्यान दिया गया है। विगत पांच वर्षों में भारत ने नवोन्मेष और उद्यमिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वैश्विक नवोन्मेष सूचकांक में हम 2015 में 81वें स्थान पर थे और 2019 में 52 वें स्थान पर पहुंच गए।
अटल नवाचार उपलब्धि संस्थान रैंकिंग -2020 (एआरआईआईए) में राष्ट्रीय महत्व के संस्थान की श्रेणी में आईआईटी मद्रास ने शीर्ष स्थान हासिल किया। आईआईटी बंबई को दूसरा और आईआईटी दिल्ली को तीसरा स्थान मिला। चौथा स्थान आईआईएससी और पांचवां स्थान आईआईटी खडगपुर ने हासिल किया।
इसमें छह श्रेणियों के तहत पुरस्कार प्रदान किए गए जिनमें केवल महिलाओं वाले उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक विशेष श्रेणी भी शामिल है। इस विशेष श्रेणी का उद्देश्य महिलाओं को प्रोत्साहित करना और नवाचार व उद्यमिता के क्षेत्र में लैंगिक समानता लाना है। इसके अलावा अन्य पांच श्रेणियों में केंद्र द्वारा वित्त पोषित संस्थान, राज्य द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालय, राज्य द्वारा वित्त पोषित स्वायत्त संस्थान, निजी व डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी संस्थान शामिल हैं। एआरआईआईए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) की एक पहल है।