नई दिल्ली। पुणे स्थित ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ (एसआईआई) और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने देश में कोरोना के टीके ‘कोविशील्ड’ के तीसरे चरण के ‘क्लिनिकल ट्रायल’ के लिए 1,600 प्रतिभागियों का पंजीकरण पूरा होने की बृहस्पतिवार को घोषणा की।
अमेरिका की ‘नोवावैक्स’ द्वारा विकसित ‘कोवोवैक्स’ के लिए आईसीएमआर और एसआईआई मिलकर काम कर रहे हैं। ICMR ने एक बयान में कहा, साझेदारी महामारी के फैलने के गंभीर परिणामों को कम करने के लिए निजी-सार्वजनिक संस्थानों के सहयोग का एक शानदार उदाहरण है।
ICMR ‘क्लिनिकल ट्रायल साइट’ का खर्च उठा रहा है और एसआईआई ‘कोविशील्ड’ पर आने वाले अन्य खर्चे उठा रही है। अभी एसआईआई और आईसीएमआर देश में 15 विभिन्न केन्द्रों में ‘कोविशील्ड’ का 2/3 चरण का ‘क्लिनिकल ट्रायल’ कर रहे हैं। उन्होंने 31 अक्टूबर को सभी 1,600 प्रतिभागियों का पंजीकरण पूरा कर लिया था।
ICMR ने कहा, अभी तक हुए परीक्षणों के परिणाम से यह उम्मीद जगी है कि ‘कोविशील्ड’ घातक वैश्विक महामारी का एक वास्तविक समाधान हो सकता है। भारत में अभी तक जितने टीकों का मानव परीक्षण हुआ है, उसमें ‘कोविशील्ड’ के नतीजे सबसे अच्छे हैं।