नई दिल्ली। कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में
सरकार देश के हर नौकरीपेशे वाले नागरिक को शामिल करने की हर जतन कर रही है। सरकार
जानती है कि यह लड़ाई लंबी है। क्योंकि आने वाले महीनों में देश इस महामारी से पार तो पा लेगा, लेकिन देश के सामने जो असल चुनौति होगी वह इसके बाद विगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की। इस महामारी के कारण लाख बेरोजगार हुए नागरिकों के लिए योजनाएं लाना, बंद पड़े उद्योग धंधों को आर्थिक मदद देकर इनको सशक्त करने की होगी। इसके लिए सरकार ने पीएम केयर्स फंड को बड़े
पैमाने पर प्रमोट करना शुरू कर दिया है। सरकार ने इसके लिए एक नीति अपनायी
जिससे देश के नौकरी-पेशे वाले टैक्स भरने वालों को इनकम टैक्स में छूट देकर।
सरकार के अनुसार ऐसे नागरिक जिन्होंने पीएम केयर्स में दान दिया है वे फॉर्म-16 में अपने योगदान का जिक्र करके इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।
इस संबंध में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने एक नोटिस भी
जारी किया है। इस नोटिस में सीबीडीटी ने कहा कि अगर कर्मचारी अपने नियोक्ता के
जरिए वेतन से पीएम केअर्स फंड में योगदान देते हैं, तो ऐसे में हर कर्मचारी के लिए अलग से 80जी के तहत प्रमाणपत्र
की जरुरत नहीं पड़ेगी वह यदि फॉर्म-दिखाता है तो उसे टैक्स में छूट का पात्र मान
लिया जाएगा।
इस संबंध में कर मामलों के जानकारों का कहना है कि कई मामलों में
कर्मचारी अपने वेतन का कुछ हिस्सा पीएम-केअर्स कोष में दान देते हैं। ये दान नियोक्ता
के जरिये दिये जाते हैं। ऐसे सभी मामलों में नियोक्ताओं द्वारा फॉर्म 16
में दर्शाये जाने को ही कर्मचारी द्वारा दान दिए जाने का ठोस सबूत
माना जाएगा। इसके आधार पर ही उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 80जी
के तहत टैक्स से छूट का लाभ प्राप्त होगा। इससे कर्मचारी अपने नियोक्ताओं के जरिये
पीएम केयर्स कोष में दान देने के लिये प्रोत्साहित होंगे। वहीं सरकार के इस फैसले
के बाद वे कर्मचारी जो पीएम केयर्स फंड में दान तो देना चाहते हैं, लेकिन वे सरकार
से भी टैक्स में छूट की उम्मीद कर रहे थे उनके लिए उत्साहित करने वाला कदम है।