अगर आपके पास ज्ञान है, तो आप कभी हार नहीं मानेंगे : कपिल देव

वर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश के चेयरमैन एवं प्रधान संपादक, CII टास्क फोर्स, गवर्निंग काउंसिल के सदस्य संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पेक्ट नेटवर्क इंडिया और एसडीजी चौपाल 2030 के संयोजक दीपक द्विवेदी ने कहा कि दरअसल, एक शैली या प्रक्रिया सभी के लिए नहीं होता है।

नई दिल्ली। प्रसिद्ध क्रिकेटर कपिल देव ने कहा कि ज्ञान सब कुछ है। ज्ञान आपको बढ़ने की शक्ति और साहस देता है। मैं हमारे बच्चों से कहना चाहता हूं कि अगर आपके पास ज्ञान है, तो आप कभी हार नहीं मानेंगे। जिनके पास ज्ञान है वे हमेशा दूसरों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। उक्त बातें उन्होंने टोको ऐप वर्चुअल लॉन्च और इवेंट के दौरान कहीं। 

गौरतलब है कि थिंक टैंक, एनजीओ और कॉरपोरेट्स पहली बार वर्चुअल एसडीजी (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स) चौपाल पर बच्चों की सतत शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजिटल समावेश के महत्व पर चर्चा करने के लिए एक साथ आए। भारत @75 और दैनिक भास्कर के सहयोग से एसडीजी 4 पर चर्चा की गई, जो राष्ट्रों को समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करने, सभी के लिए समान अवसर और जीवन भर सीखने को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करती है। 

इस कार्यक्रम में लिट्रेसी इंडिया स्कूल के छात्रों द्वारा विकसित टोको और एक एंड्रॉइड ऐप्लिकेशन भी देखा गया, जो समुदाय के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार लाने और बच्चों के शिक्षा परिणामों को प्रभावित करने का इरादा रखता है। यह ऐप भी समाज की सेवा के लिए बच्चों की रचनात्मकता का एक उपयुक्त उदाहरण है।

मालूम हो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सत्रह एसडीजी हैं, जिनका उद्देश्य है भारत सहित 33 राष्ट्रों को 2030 तक सतत, समावेशी और समग्र विकास लक्ष्यों की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करना। एसडीजी चैपाल के लिए 10 साल के लिए नेशनल मल्टी स्टेकहोल्डर पहल है, जिसे 2030 तक नागरिक फाउंडेशन के समर्थन  से तथा नीती 

आयोग, भारत@75, सामाजिक न्याय मंत्रालय, TERI] WHO, UN&Habitat, MSME, NSIC, The Commonwealth, UNESCAP, GCNI, Caparo Group, RIS, ONGC और लिट्रेसी इंडिया जैसी संस्थानों की मदद से पूरा करना है। एसडीजी चैपाल का मिशन सभी 730 प्लस जिलों, 6 लाख से अधिक गांवों तक पहुँचने के लिए समुदायों को सशक्त बनाना और स्थानीय निकायों को सक्षम बनाना है।

वर्चुअल कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दैनिक भास्कर उत्तर प्रदेश के चेयरमैन एवं प्रधान संपादक, CII टास्क फोर्स, गवर्निंग काउंसिल के सदस्य संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पेक्ट नेटवर्क इंडिया और एसडीजी चौपाल 2030 के संयोजक दीपक द्विवेदी ने कहा कि दरअसल, एक शैली या प्रक्रिया सभी के लिए नहीं होता है। इसलिए, बच्चों की निरंतर शिक्षा के बारे में विचार-विमर्श और निर्णय, विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों से एकतरफा करके बिल्कुल नहीं सोचा जा सकता है। 

द्विवेदी ने कहा कि हमें इस विशाल देश के हर अंतिम व्यक्ति या अंतिम बच्चे तक पहुंच सुनिश्चित करना चाहिए और उनकी आवाज को बारी-बारी से सुना जाना चाहिए। साथ ही ऐसे साधन और तरीके तैयार अपनाना चाहिए, जिससे कि क्वालिटी एजुकेशन को सर्व सुलभ किया जा सके और इसमें कोई दो राय नही कि यह भारत के लिए एक मजबूत नींव सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।

इस पैनल का संचालनसुकन्या घोष ने किया तथा कॉर्पोरेट जगत (DELL)  डेल से विख्यात सिंह, सोनाली दत्ता, पाहवा ग्रूप, अजित नेमा डिलाइट (Deloitte), अमित गुप्ता ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, राजेंद्र त्रिपाठी ने अपने-अपने विचार रखे। सभी ने संयुक्त रूप से अपने विचार रखते हुए कहा कि  शिक्षा ही समाज में अभूतपूर्व सकारात्मक बदलाव लाने का एकमात्र साधन है। शिक्षा एक साधन है, जो  शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। कौशल को बढ़ाकर आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है और बेहतर आजीविका के अवसरों को उपलब्ध करवा कर लोगों के जीवन को बेहतर बनाता है। यह व्यक्ति को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाकर, सामाजिक असमानताओं को कम करता है।

वर्चुअल कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए लिट्रेसी इंडिया की संस्थापक कैप्टन इन्द्राणी सिंह ने कहा कि कोविड 19 महामारी ने भारत के 9 मिलियन से अधिक छात्रों को स्कूल और कॉलेजों से बाहर रखा है। हालांकि ऑनलाइन कक्षाएं अब महत्वपूर्ण शिक्षा प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन छात्रों का एक बड़ा वर्ग इस ई-लर्निंग यात्रा का हिस्सा नहीं हो सकता है और पूरी तरह से शिक्षा से वंचित होने की संभावना है। 

उन्होंने कहा कि इससे देश के समग्र सामाजिक, आर्थिक विकास पर नकारात्मक नतीजे आएंगे। कॉरपोरेट्स, गैर-सरकारी संगठनों, सरकार और व्यक्तियों को व्यावहारिक समाधान, सही नीति, प्रौद्योगिकी और आर्थिक मदद के साथ आने के लिए काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सीखने की इस यात्रा में पीछे न रहे।

लिट्रेसी इंडिया क्या है ? 

लिट्रेसी इंडिया, एक गैर-सरकारी संगठन है, जिसने अपने कई प्रकल्पों से  भारत के 13 राज्यों में 6,50,000 से अधिक लोगों को प्रभावित किया है।  लिट्रेसी इंडिया विकास के तीन दृष्टिकोण – शिक्षा, रोजगार और सशक्तिकरण के संकल्प को गति दे रही है। लिट्रेसी इंडिया विगत 25 वर्षो से वंचित वर्ग के लोगों के लिए क्वालिटी एजुकेशन के कई संसाधन   उपलब्ध करा रही है। 

लिट्रेसी इंडिया ने क्वालिटी एजुकेशन को सुनिश्चित करने हेतु कई तरह के अभिनव प्रयोगों को क्लासरूम में व्यावहारिक रूप से लागू किया है। वैल्यू एजुकेशन, प्री-वोकेशनल (मोबाइल रिपेरिंग, कंप्यूटर हार्डवेयर रिपेरिंग, सिलाई – कढ़ाई, ब्यूटीशियन कोर्स,  कुकिंग जैसे रचनात्मक व्याहारिक तकनीकी ज्ञान), वोकेशनल ट्रेनिंग, एग्रो लैब, जैविक कृषि (आर्गेनिक फार्मिंग), थिएटर, म्यूजिक, डिजिटल एजुकेशन, कोड स्किलिंग और रोबोटिक्स जैसे विषयों को सामान्य क्लासरूम में दिनचर्या के विषयों की तरह लागू किया गया है। 

दरअसल, बच्चों को इसकी शिक्षा प्रदान की जाती है। लिट्रेसी इंडिया अपने प्रोजेक्ट के माध्यम से बच्चों के बीच वैज्ञानिक भावना का विकास करने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण मजबूत करने के लिए क्रियामूलक पाठ्यक्रम एप्रोच को सदैव  अपनाती है। 

First Published on: July 23, 2020 6:24 PM
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