नई दिल्ली। जहां एक तरफ भारत-चीन में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए लगातार चर्चा की जा रही है तो वहीं दूसरी तरफ चीन ने करीब 4 हजार किलोमीटर लंबे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी सेना की तैनाती कर दी है। इसके बाद भारत ने भी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश के अग्रिम ठिकानों पर युद्ध सामग्री को लगा कर दिया है।
भारत-चीन के बीच सीमा को लेकर इस वक्त तनाव चरम पर है। यह विवाद उस वक्त पैदा हुआ जब चीन की सेना की तरफ से मई के पहले हफ्ते में लद्दाख सेक्टर और सिक्किम में निर्माण कार्य शुरू किया गया और वे नाकू ला इलाके तक पहुंच गए, जहां पर भारतीय सेनाओं के साथ झड़प हुई।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार चीन की सेना ने ना सिर्फ सैन्य निर्माण लद्दाख में किया, बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश समेत अन्य सेक्टरों में भी किया जहां पर इनके साथ हमारी सीमाएं लगती हैं। इस निर्माण के दौरान इन्होंने महत्वपूर्ण ठिकानों पर अपने सैनिकों को और भारी हथियार तैनात किए हैं।
सूत्रों ने बताया कि चीन के किसी भी संभावित दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारत ने इन सभी सेक्टरों की अग्रिम ठिकानों पर लड़ाकू हथियार तैनात कर दिए गए हैं। बटालियन के एक रिजर्व ब्रिगेड्स को बैकअप के लिए लद्दाख सेक्टर भेजा गया गया।
हिमाचल प्रदेश में जिस जगह पर चीन के हेलीकॉप्टर्स दिखे थे वहां पर अतिरिक्त जवानों को सीमाई इलाकों में लगाया गया है। उत्तराखंड में भी हर्षिल-बाराहोती-नेलांग वैली और अन्य सेक्टरों में अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई है, जहां पर उनकी तैनाती से पहले चीन के हेलीकॉप्टर्स दिखे थे और वे पैदल ही पेट्रोलिंग करते हुए देखे गए हैं।
चीन सीमा पर सड़कों के निर्माण में तेजी
भारत-चीन सीमा पर बढ़े तनवा के बीच भारत ने उतराखंड के बेहद दुर्गम क्षेत्र जोहर घाटी में भारत-चीन सीमा के नजदीक भारत सामरिक महत्व के सड़कों के निर्माण को तेजी देने में सफल हो गया है। सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को हेलीकॉप्टर्स के जरिए पहुंचा दिया गया है।
बीआरए के चीफ इंजीनियर बिमल गोस्वामी ने कहा कि 2019 में कई प्रयासों में असफल रहने के बाद सीमा सड़क संगठन को हाल ही में सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली भारी-भरकम मशीनों को हेलीकॉप्टर्स के जरिए लाप्सा तक पहुंचाने में सफलता मिली है। इससे सड़क निर्माण जल्दी होने की उम्मीद जगी है।
उन्होंने कहा कि पत्थरों को काटने वाली भारी मशीनों के उपलब्ध नहीं होने की वजह से 65 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण में देरी हो रही थी। मुनसियारी-बोगदीयार-मिलाम रोड का निर्माण हिमालय की जोहर घाटी में हो रहा है। यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आता है। यह सड़क भारत-चीन सीमा पर आखिरी पोस्ट को जोड़ेगा।
गोस्वामी ने कहा कि पिछले साल कई बार असफल रहने के बाद हमें पिछले महीने हेलीकॉप्टर्स से हैवी मशीनों को लाप्सा पहुंचाने में सफलता मिली है। हमें उम्मीद है कि इस चुनौतीपूर्ण रूट पर अगले तीन महीने में पत्थरों को काटने का काम पूरा हो जाएगा। 22 किलोमीटर हिस्से पर खड़े चट्टानों को काटना अब आसान हो जाएगा। क्योंकि हैवी मशीनों को हैलीकॉप्टर से मौके पर पहुंचाया जा सकता है। बीआरओ के चीफ इंजीनियर ने कहा, ”इस प्रॉजेक्ट का काम 2010 में ही शुरू हुआ था तब इसके लिए 325 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।