संदेह और सवालों के घेरे में पत्रकार तरुण सिसोदिया की मौत

तरुण के कोरोना संक्रमित होने के कारण अवसाद में आकर एम्स में चौथी मंजिल से छलांग लगा कर आत्महत्या करने की बात लोगों के गले नहीं उतर रही है। तरुण को जानने वाले इस आत्महत्या को संदिग्ध बता रहे हैं। तरुण का एक व्हाट्सएप चैट सोशल मीडिया पर चल रहा है, जिसमें उन्होंने अपनी हत्या की आशंका जतायी थी।

नई दिल्ली। दैनिक भास्कर के तेज-तर्रार पत्रकार तरुण सिसोदिया नहीं रहे। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एम्स) में आज उनका निधन हो गया। तरुण  कोरोना संक्रमित थे और कुछ दिन पहले उन्हें एम्स के आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। फिलहाल वो दैनिक भास्कर के दिल्ली ब्यूरो में प्रिंसिपल कॉरेस्पॉन्डेंट थे और हेल्थ बीट कवर करते थे। तरुण सिसोदिया (उम्र 37), पुत्र- नाथी सिंह, वे मूल रूप से बुलंदशहर के रहने वाले थे। लेकिन वर्तमान में उनका परिवार गली नंबर -7, संजय मोहल्ला, भजनपुरा में रहता है। तरुण के परिवार में पत्नी, ढाई साल और दो महीने की दो बेटी हैं। बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले उनकी ब्रेन सर्जरी हुई थी।

कोरोना संक्रमण के बाद नौकरी छूट जाने के कारण परिवार के भविष्य की चिंता ने उन्हें हम सबके बीच से छीन लिया। तरुण प्रतिभावान पत्रकार थे और कोरोना काल में भी दैनिक भास्कर में उनकी कई बाइलाइन खबरें छपी हैं। कुछ समय पहले लाकडाउन-4 के दौरान उन्होंने कोरोना पर एक बड़ी खबर दैनिक भास्कर में प्रकाशित की। इस खबर के शीर्षक से तो यही पता चलता है कि किसी को अगर कोरोना हो भी जाए तो उसे घबड़ाना नहीं है, अपने सभी काम करते हुए खुद को व दूसरों को बचाना है।

तरुण के कोरोना संक्रमित होने से अवसाद में आकर एम्स में चौथी मंजिल से छलांग लगा कर आत्महत्या करने की बात लोगों के गले नहीं उतर रही है। तरुण को जानने वाले इस आत्महत्या को संदिग्ध बता रहे हैं। तरुण द्वारा अपने मित्र से किए गया एक व्हाट्सएप चैट सोशल मीडिया पर चल रहा है,जिसमें उन्होंने अपनी हत्या की आशंका जतायी थी। सोशल मीडिया पर तरुण को श्रद्धांजलि देने का तांता लगा है। इसके साथ इस आत्महत्या पर सवाल भी उठा रहे हैं।

वरिष्ठ पत्रकार शिशिर सोनी अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं- सवाल कई उठ रहे हैं, मसलन उसे सांस लेने में कठिनाई नहीं थी तो उसे आईसीयू में क्यों भेजा गया ? उससे उसका मोबाइल छीनने के प्रयास क्यों हुए। उससे उसके परिवार से बात कराने का प्रबंध क्यों नहीं किया गया। वह 5 दिन से बाहरी लोगों से संपर्क साधने का प्रयास करता रहा, पर वह विफल रहा। वह ग्राउंड फ्लोर के आईसीयू में भर्ती था तो चौथी मंजिल तक कैसे पहुंचा या किसने पहुंचाया। क्या कोरोना पॉजिटिव मरीज आईसीयू से कहीं भी जाने लायक रहता है या उसे जाने दिया जाता है।

पाञ्चजन्य में तरुण के वरिष्ठ सहकर्मी रहे जितेंद्र तिवारी अपने फेसबुक पर लिखते हैं- “बहुत दुखी हूं, बेहद निराश हूं, मन बहुत विचलित है। इसी साल प्रिय तरूण सिसोदिया ने 15 फरवरी को एक पोस्ट डाली थी। वह पाञ्चजन्य में साथ काम करने के दौरान खींची गई एक फोटो थी। चश्मा पहने हुए अरूण के साथ मेरे बाएं और चित्र में दाएं तरूण मुस्कराते हुए खड़े हैं। पर अब यह मुस्कराहट कभी देखने को नहीं मिलेगी। मेरा मित्र जिंदगी की जंग हार गया।”

क्यों हुआ, कैसे हुआ, वह इतना कमजोर दिल क्यों हो गया, क्या परेशानी थी जो झेल न पाया…. सारे सवाल तभी से उमड़-घुमड़ रहे थे जबसे प्रेमांशु जी ने बताया कि उसने एम्स की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी। कुछ दिन पहले उसे कोरोना हुआ था। पर वह तो हेल्थ वीट देखता था। जानता था कि कोरोना जानलेवा नहीं है। शायद उसकी परेशान कुछ और थी। कुछ दिन पहले ही उसने फोन कर बताया था कि जिस भास्कर में वह नौकरी करता था, वहां से उसे कहीं और भेजा जा रहा था, ताकि जिनकी सैलरी ठीक है वे या तो काम छोड़ दें या कम सैलरी पर छत्तीसगढ़ चले जाएं। इधर दिल्ली में उसकी पत्नी और दो छोटी बेटियां हैं। शायद वह यह दबाव नहीं सहन कर सका। मात्र 37 साल का होनहार साथी के खोने का दर्द जीवन भर सालता रहेगा। उसकी मौत ने मीडिया जगत में चल रही अंदरूनी घुटन को सामने लाने का काम किया है। यह घुटन बहुत दुखद है। मेरा मित्र चला गया…बहुत दर्द सहकर…बहुद दर्द देकर…।

पत्रकार संतोष कुमार सिंह लिखते हैं कि- तरूण की मौत में कुछ और तथ्य सामने आ रहे हैं। पता चला है कि कोरोना पॉसिटिव होने और एम्स में दाखिल होने के बाद भी वह वहां से रिपोर्ट कर रहा था। उसने एम्स में चल रही कुछ संदिग्ध गतिविधियों को सामने लाने की कोशिश की। एक वीडियो बनाया। इसके बाद उसे बिना आवश्यकता के आईसीयू में भेज दिया गया, ताकि वह अपने पास मोबाइल न रख सके। उससे पहले ही उसने व्हाट्स अप चैट में अपने मर्डर की आशंका व्यक्त की थी। वह इलाज को लेकर कई बार फोन करके शिकायत भी कर चुका था। मीडिया के साथी बता रहे हैं कि उसके इलाज में कोताही बरती जा रही थी। उसने आवाज उठाई। मामला स्वास्थ्य मंत्रालय पहुंचा। और फिर वहां से ट्रॉमा सेंटर को रिपोर्ट गयी।

ट्रामा सेंटर प्रशासन ने उसके फ़ोन को जब्त करने के लिए सिंपल प्लान चॉक आउट किया और वह था तरुण को ICU में शिफ्ट कर देना ताकि उससे उसका फोन अलग किया जा सके और वह आगे कोई कम्प्लेन न करे। अंदर की अव्यस्था की कहानी बाहर न जा सके। अगर ऐसा हुआ तो ये अमानवीय है। वह अपने परिजनों मसलन परिजन और पत्नी से बातचीत की गुहार लगाता रहा लेकिन उसे बात नही करने दिया गया। और उसके बाद यह घटना सामने आती है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को चाहिए कि पूरे मामले की मजिस्ट्रेट जांच करायें। दो महीने पहले ही पिता बनने की खुशी सभी से साझा की थी। दुखों का जो पहाड़ तरुण के परिवार पर टूटा है, ईश्वर ही संभाल सकता है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप श्रीवास्तव लिखते हैं- तरुण की आत्महत्या पूरी व्यवस्था के गाल पर एक तगड़ा तमाचा है। एम्स से कोराना इलाज के दौरान एक युवा पत्रकार की हुई यह दुखद मौत कई सवाल खड़ें करती है। वह भी उस पत्रकार की आत्महत्या जो कोरोना बीमारी को कवर कर रहा था,बीमारी के बारे में जानता था। पीएम फंड में इकट्ठे रुपए के बाद जब एम्स में व्यवस्था का यह हाल है तो बाकी जगह क्या होगा, यह समझ में आने लगा है। दुख होने साथ अत्यंत गुस्सा भी आ रहा है… पिछले कुछ साल से पत्रकार और मीडिया पहले से ही तबाह हो रहे थे, बची खुची कसर कोविड-19 पूरी कर रहा है….अब तो बस ईश्वर का ही सहारा है। भारत भाग्य विधाताओं के वश की बात नहीं है। 

First Published on: July 6, 2020 6:09 PM
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