केजरीवाल ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी पकड़ ली गठबंधन से अलग राह


दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित आम आदमी पार्टी पर लगातार हमले कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि आम आदमी पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जब ‘आप’ कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सीधे एंट्री कर रही है, तो कांग्रेस की प्रतिक्रिया देखना स्वाभाविक होगा।


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लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष ने मोदी सरकार को घेरने के लिए इंडिया गठबंधन तैयार किया है, जिसमें 26 दल साथ आए हैं। लेकिन 2024 की रणनीति बनाने की बात तो दूर है, अभी तक इन दलों की आपसी खींचतान ही खत्म नहीं हो पाई है। इंडिया गठबंधन में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच अभी दिल्ली को लेकर उठा विवाद शांत भी नहीं हुआ कि अब केजरीवाल छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कुछ ऐसा करने जा रहे हैं, जो कांग्रेस को चुभने वाला है।

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और ‘आप’ नेता व पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शनिवार (19 अगस्त) को छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं। दोनों का रायपुर में कार्यक्रम हैं, जहां वे पार्टी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे। रैली में विधानसभा चुनावों को लेकर छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए गारंटी कार्ड भी दिया जाना है। कार्यक्रम में प्रदेश भर के ‘आप’ पदाधिकारी और कार्यकर्ता जुटेंगे।

रविवार को रीवा में भी ‘आप’ की रैली

एक दिन बाद 20 अगस्त को दोनों नेताओं का मध्य प्रदेश के रीवा में भी कार्यक्रम है। रीवा में केजरीवाल और भगवंत मान रैली को संबोधित करने के साथ ही आम आदमी पार्टी की गारंटी की घोषणा कर सकते हैं। ‘आप’ के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव पंकज सिंह ने बुधवार (16 अगस्त) को बताया था कि पार्टी मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और मध्य प्रदेश में भी पार्टी मजबूत स्थिति में है। बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सरकार भी बनाई थी। हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद कांग्रेस को सरकार गंवानी पड़ी थी। इस बार पार्टी सत्ता में वापसी कर बीजेपी से हिसाब बराबर करने के मूड में है।

जहां गई ‘आप’, कांग्रेस को हुआ नुकसान

सिर्फ विधानसभा चुनाव ही नहीं लोकसभा के हिसाब से भी दोनों राज्य अहम हैं। दोनों राज्यों में कुल मिलाकर लोकसभा की 40 सीटें आती हैं। अब आम आदमी पार्टी के इन दोनों राज्यों में उतरने के बाद कांग्रेस का बेचैन होना स्वाभाविक है। कांग्रेस की ये चिंता यूं ही नहीं है। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। अभी तक आम आदमी पार्टी जहां भी बढ़ी है, वहां कांग्रेस को ही नुकसान हुआ है।

आम आदमी ने चुनावी राजनीति में पहली सफलता दिल्ली में शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार को हटाकर ही चखी थी। इसके बाद ‘आप’ ने पंजाब से कांग्रेस का पत्ता साफ किया। यही नहीं, बीते साल गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के उतरने से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था और पार्टी का प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा था।

दिल्ली को लेकर आमने-सामने

हाल ही में दिल्ली को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी आमने-सामने आ गए थे, जब कांग्रेस की शीर्ष स्तरीय बैठक के बाद पार्टी नेता अलका लांबा ने बयान दिया कि पार्टी दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर तैयारी करेगी। इस बयान से ‘आप’ इतना नाराज हुई थी कि उसने तो यहां तक कह दिया कि अगर ऐसा है तो मुंबई में होने वाली बैठक में जाने का कोई औचित्य नहीं है। बाद में कांग्रेस को सफाई देनी पड़ी कि अलका लांबा दिल्ली पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं और अभी दिल्ली की सीटों को लेकर फैसला नहीं हुआ है।

दिल्ली सर्विस बिल पर ‘आप’ ने बनाया था दबाव

इससे पहले दिल्ली सर्विस बिल पर समर्थन देने के लिए आप ने कांग्रेस पर दबाव की राजनीति की थी और उसे सफलता भी मिली थी। बेंगलुरु में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक के पहले आम आदमी पार्टी ने अल्टीमेटम दे दिया था कि अगर दिल्ली बिल पर उसे समर्थन नहीं दिया जाता है तो उसके बैठक में जाने को मतलब नहीं है। हालांकि, बाद में कांग्रेस ने समर्थन की घोषणा की और आम आदमी पार्टी बैठक में शामिल हुई थी।

अभी भी दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित आम आदमी पार्टी पर लगातार हमले कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा था कि आम आदमी पार्टी पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जब ‘आप’ कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाले छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में सीधे एंट्री कर रही है, तो कांग्रेस की प्रतिक्रिया देखना स्वाभाविक होगा। सवाल ये भी है कि क्या इंडिया गठबंधन के दल एक दूसरे के गढ़ों में सेंध लगाते हुए 2024 के लिए साथ बने रह सकते हैं।