मथुरा। देश के बहुचर्चित राजामान सिंह हत्याकांड में आखिरकार न्यायालय ने फैसला सुना ही दिया है। 35 सालों के लम्बे इंतजार के बाद न्यायालय ने इस हत्याकांड में शामिल सीओ, एसएचओ सहित 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
यह फैसला जिला जज श्रीमती साधना रानी ठाकुर ने बुधवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सुनाया। इस मुकदमें में धारा 148 के तहत दोषियो को 2 वर्ष की सजा और प्रत्येक पर एक हजार रूपये का जुर्माना लगया गया है। धारा 302/ 149 के दोषियों कोआजीवन कारावास और 10 हजार रुपए का आर्थिक दण्ड और धारा 288 के आरोपियों को बरी किया गया है।
पूर्व सीओ कानसिंह भाटी को 323/149 में बरी कर दिया गया। सभी अभियुक्त घटना के बाद से बर्खास्त हैं और इस समय 65 से 70 साल की उम्र के बीच के हैं। इस हत्याकांड की पैरवी पीड़ित पक्ष की ओर से आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह भैया और मथुरा के अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने की।
फैसले के वक्त अदालत में राजपरिवार की तरफ से विजय सिंह, गिरेंद्र कौर, कृष्णेंद्र कौर दीपा, दुष्यंत सिंह, गौरी सिंह, दीपराज सिंह कोर्ट में मौजूद रहे। कोर्ट ने अपने आदेश में राजस्थान सरकार को मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों को 30-30 हजार रूपये और घायलों के परिजनों को दो-दो हजार का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
तीन आरोपियों की हो चुकी है मौत
35 साल लम्बी सुनवाई के दौरान अब तक 3 आरोपियों की हो चुकी है मौत हो चुकी है। इस हत्याकांड में 4 पुलिस कर्मी भी निर्दोष साबित हुए हैं। कोर्ट के फैसले पर स्वर्गीय राजा मानसिंह के परिजनों ने न्यायालय पर के फैसले पर खुशी जताई है।
उल्लेखनीय है कि करीब 35 वर्ष पूर्व भरतपुर के डीग में राजा मानसिंह सहित तीन लोगों की पुलिस ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में राजा मानसिंह के दामाद ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। यह मामला जांच के लिए सीबीआई के पास गया। बाद में इसकी सुनवाई 1990 में मथुरा स्थानांतरित की गई।
अधिकारियों के अनुसार राजा मान सिंह हत्याकांड में आठ बार फाइनल बहस हुई थी और 19 जज भी बदल चुके थे। राजा के खिलाफ मंच और हेलीकॉप्टर तोड़ने के मामले में सीबीआइ ने एफआर लगा दी थी। 17 सौ से अधिक तारीखें भी मुकदमे में पड़ी, जबकि अनुमान के मुताबिक, मुकदमे में आरोपित बनाए गए 18 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में 15 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च भी हुआ। 35 साल बाद इस बहुचर्चित मामले में हत्या के दोषी करार हुए पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
उल्लेखनीय है कि एनकाउंटर से एक दिन पूर्व राजा मान सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के हेलीकॉप्टर तथा मंच को अपने जोगा गाड़ी से तोड़ दिया था। इसके लिए राजा मानसिंह के खिलाफ दो अलग-अलग मुक़दमे भी कायम हुए थे। घटना के वक्त राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और शिव चरण माथुर मुख्यमंत्री थे।
इस मामले में डीएसपी कान सिंह भाटी सहित 17 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप पत्र सीबीआई ने दाखिल किया था। इस हत्याकांड की प्रारंभिक विवेचना राजस्थान पुलिस ने की और उसके बाद इस केस की विवेचना सीबीआई को ट्रांसफर हुई।
मार्च 1985 में सीबीआई ने जांच शुरू की और विवेचना के बाद 18 लोगों के खिलाफ इस केस में आरोप पत्र प्रेषित किया। इनमें से एक अभियुक्त महेंद्र सिंह जो सीओ कान सिंह भाटी का ड्राइवर था उसको डिस्चार्ज कर दिया गया और 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। सुनवाई के दौरान 3 अभियुक्तों की मृत्यु हो चुकी है।