जीवन, जन स्वास्थ्य के अधिकार के गंभीर उल्लंघन पर हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकते : NGT

राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि वह विशाखापत्तनम में एलजी पॉलिमर्स इंडिया के संयंत्र में गैस लीक जैसे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले मामलों पर हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकता इसलिए उसके पास स्वत: संज्ञान लेने समेत व्यापक अधिकार हैं।

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने कहा कि वह विशाखापत्तनम में एलजी पॉलिमर्स इंडिया के संयंत्र में गैस लीक जैसे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाले मामलों पर हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठ सकता इसलिए उसके पास स्वत: संज्ञान लेने समेत व्यापक अधिकार हैं। 

एनजीटी ने यह टिप्पड़ी विशाखपत्तनम में गैस लीक की घटना में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई थी और 1,000 लोग प्रभावित होने सहित पर्यावरण को हुए नुकसान के मुद्दे पर कही हैष

एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एनजीटी के पास पर्यावरण को पहुंचे नुकसान के पीड़ितों को राहत एवं मुआवजा दिलाने, संपत्ति की क्षतिपूर्ति और पुनर्वास उपलब्ध कराने की शक्तियां हैं। पीठ में न्यायाधीश एस के सिंह भी शामिल रहे।

पीठ ने कहा कि इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एनजीटी के पास अपनी प्रक्रिया शुरू करने की व्यापक शक्तियां हैं। उचित परिस्थितियों में इस शक्ति में स्वत: संज्ञान लेना और पर्यावरण को पहुंचे गंभीर नुकसान तथा जीवन, जन स्वास्थ्य के अधिकार के गंभीर उल्लंघन और संपत्ति के नुकसान को देखते हुए हाथ पर हाथ धरकर न बैठना शामिल है। 

उसने कहा कि वो भी ऐसी स्थिति में जब पीड़ित वंचित वर्ग के हों और गरीबी या शारीरिक अक्षमता या सामाजिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अधिकरण का रुख नहीं कर सकते हों। उसने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण कानून 2010 से भी पता चलता है कि एनजीटी की पर्यावरण से संबंधित कानूनी अधिकारों को लागू कराने तथा लोगों एवं संपत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई सुनिश्चित करने के लिए स्थापना की गई थी।

न्यायाधीश एस के सिंह ने कहा कि अगर एनजीटी को स्वत: संज्ञान लेने से रोका जाता है तो इन मुद्दों और उल्लंघनों का हल नहीं होगा, नागरिकों का जीने का और अन्य अधिकार प्रभावित होंगे तथा पर्यावरण को पहुंचे गंभीर नुकसान की कभी जांच नहीं होगी।

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए एनजीटी के पास अपनी प्रक्रिया शुरू करने की व्यापक शक्तियां हैं। उचित परिस्थितियों में इस शक्ति में स्वत: संज्ञान लेना और पर्यावरण को पहुंचे गंभीर नुकसान तथा जीवन, जन स्वास्थ्य के अधिकार के गंभीर उल्लंघन और संपत्ति के नुकसान को देखते हुए हाथ पर हाथ धरकर न बैठना शामिल है। -न्यायाधीश

First Published on: June 3, 2020 2:30 PM
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