प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के भक्तिकाल में इंडियन एक्सप्रेस ने राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के उस दावे की हवा निकल दी है, जिसमें उन्होंने फार्म बिल पास होने के दौरान ध्वनिमत के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि विपक्षी सदस्य यह मांग करते समय अपनी सीट पर नहीं बैठे थे। उपसभापति हरिवंश ने विपक्ष के उन प्रस्तावों को खारिज कर दिया था, जिसमें बिल को सलेक्ट कमिटी के पास भेजे जाने के लिए वोटिंग कराए जाने की मांग की जा रही थी। कृषि बिलों को पारित करते समय मत विभाजन की अनुमति से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 100 का सरासर उल्लंघन है, जिसके तहत संसद में काम होते हैं। प्रक्रिया में अनियमितताएं होती हैं लेकिन ये पहली बार है जब संवैधानिक अनियमितता हुई है।
हरिवंश ने अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि विपक्षी सदस्य यह मांग करते समय अपनी सीट पर नहीं बैठे थे।सदन में मचे हंगामे के दौरान उपसभापति यह कहते हुए सुने गए थे कि मतदान की मांग करने के लिए सदस्यों को उनकी सीट पर बैठना जरूरी है।लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कुछ उलटी ही तस्वीर सामने आ रही है।
अखबार ने राज्यसभा चैनल की आधिकारिक फुटेज का इस्तेमाल करते हुए दावा किया है है कि कृषि विधेयकों को चयन समिति के पास भेजे जाने के लिए मतदान की मांग करने वाले कम से कम दो सदस्य सदन अपनी सीट पर मौजूद थे। इस बात की पुष्टि करने के लिए अखबार ने राज्यसभा चैनल की आधिकारिक फुटेज का इस्तेमाल किया है,जिसमें साफ दिखाई देता है कि डीएमके के तिरुचि शिवा और सीपीएम के के के रागेश मतदान की मांग करते वक्त अपनी सीट पर मौजूद थे।
अखबार ने फुटेज का इस्तेमाल करते हुए एक बजे से लेकर 1:26 तक सदन की कार्रवाई का सीक्वेंस भी बताया है। इसमें 1 बजकर 9 मिनट पर उपसभापति कहते हैं कि चयन समिति के पास भेजे जाने वाले प्रस्ताव की मांग सीट से की जानी चाहिए। यह प्रस्ताव तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रॉयन ने बढ़ाया होता है। इसे वॉयस वोट (मौखिक मतदान) के जरिए रद्द कर दिया जाता है। 1 बजकर10 मिनट पर उपसभापति डीएमके सदस्य तिरुचि शिवा का प्रस्ताव उठाते हैं, जिसमें कृषि विधेयकों को संसद की चयन समिति के पास भेजे जाने का प्रस्ताव है।इस दौरान साफ देखा जा सकता है कि तिरुची शिवा अपनी सीट पर बैठे हुए हैं। वह एक हाथ उठाते हुए मतदान करवाने की मांग कर रहे होते हैं। लेकिन उपसभापति फिर मौखिक वोट के जरिए इसे रद्द कर देते हैं।
इसके बाद ओ ब्रॉयन चेयरमैन के पोडियम पर रूल बुक की एक कॉपी ले जाते हैं और कहते हैं आप ऐसा नहीं कर सकते, नियम क्या है। विजुअल में अब भी साफ देखा जा सकता है कि शिवा अपनी सीट पर ही मौजूद हैं। एक बजकर 12 मिनट पर भी रागेश अपनी सीट पर दिखाई देते हैं। इसके बाद टकराव बढ़ जाता है। एक बजकर 13 मिनट पर एक गुमनाम सदस्य उपसभापति के पोडियम का माइक्रोफोन निकाल देता है। अगले ही मिनट आवाज आना बंद हो जाती है। एक बजकर 26 मिनट पर 15 मिनट के लिए सदन की कार्रवाई रोक दी जाती है।
गौरतलब है कि राज्यसभा में 20 सितंबर को कृषि विधेयकों को पारित किया गया था। बिल ध्वनि मत से पास किए गए।बिलों के पारित होने के समय सदन की कार्यवाही के दौरान नियमों का पालन करने को लेकर सरकार के बयान पर सवाल खड़े हो रहे हैं।दरअसल राज्यसभा नियमावली के नियम-37 के अनुसार, सभापति सदन की कार्यवाही की समय सीमा में बदलाव सबकी सहमति से ‘सेन्स ऑफ द हाउस’ लेकर ही कर सकते हैं।कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता ने यह सवाल उठाया था लेकिन सभापति ने उसे नहीं माना।
विपक्ष का दूसरा ऐतराज है कि नियम 252 (4) के तहत किसी भी प्रस्ताव या बिल पर विभाजन की मांग की जाती है तो उसे सभापति को मानना चाहिए।विपक्षी दलों का आरोप है कि सांसद सभापति से यह मांग करते रहे लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।विपक्ष का तीसरा ऐतराज है कि कोई भी सदस्य बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रख सकता है, लेकिन बिल को सलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं कराई गई।
द्रमुक सांसद तिरुचि शिवा ने इस बारे में कहा, हम डिवीजन-डिवीजन चिल्लाते रहे लेकिन स्पीकर ने हमारी तरफ देखा तक नहीं। सीपीएम सांसद केके रागेश ने कहा, ‘मैंने अपने प्रस्ताव पर वोटिंग की मांग रखी लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया।’ वहीं दूसरी ओर सरकार ने इस हंगामे के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया है।साफ है, दोनों पक्ष इस विवाद के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
सरकार का आरोप है कि विपक्षी सांसदों ने उपसभापति के साथ अभद्र व्यवहार किया था और उपसभापति ने नियमों के तहत ही बिल पारित कराए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहाथा कि उपसभापति जी के साथ विपक्षी दलों के सांसदों ने जो किया, उसकी जितनी भी भर्त्सना की जाए, कम है।केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि आप सदन में माइक तोड़ेंगे, आप उसके तार खीचेंगे, आप रूलबुक को फाड़ेंगे, आप रूलबुक को फेकेंगे, टेबल पर डांस करेंगे और सस्पेंशन पर बाहर नहीं जाएंगे। राज्यसभा में हुए इस हंगामे के आरोप में 8 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।