सीरिया में हाहाकार, राष्ट्रपति बशर अल-असद फरार?


रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि उन्हें सीरियाई लोगों पर तरस आता है। हम आतंकियों को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं।


प्रदीप सिंह प्रदीप सिंह
देश Updated On :

नई दिल्ली। सीरिया में खलबली मच गई है। विद्रोहियों के डर से  राष्ट्रपति बशर अल-असद फरार हो चुके हैं। राजधानी दमिश्क में कहीं वह दिख नहीं रहे हैं। उनके भागे जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। विद्रोही अब तख्तापलट के काफी करीब हैं। विद्रोहियों का कई बड़े शहरों पर कब्जा हो गया है। किसी भी वक्त सीरिया पर विद्रोहियों का पूरी कब्जा हो सकता है। विद्रोही सीरिया की राजधानी के गेट पर हैं। राजधानी दमिश्क को विद्रोहियों ने पूरी तरह से घेर लिया है। सीरिया में तख्तापलट की कोशिशों को देख उधर अमेरिका खुश हो रहा है। वहीं, रूस इस घटनाक्रम से कहीं से भी खुश नहीं होगा।

दरअसल, सीरिया में विद्रोही बलों ने राजधानी दमिश्क की घेराबंदी कर ली है। असद सरकार को उखाड़ फेंकने के अभियान का यह आखिरी चरण है। सीरिया में विद्रोही एक आक्रामक अभियान के तहत तेजी से आगे बढ़ते हुए दमिश्क के उपनगरों तक पहुंच गए हैं। विद्रोहियों के सामने असद की सेना ने सरेंडर कर दिया है। होम्स से लेकर दारा समेत कई शहरों पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है। दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर कहीं भाग गए हैं। हालांकि, सीरिया के सरकारी मीडिया ने इसे अफवाह बताया है कि राष्ट्रपति बसर अल असद देश छोड़कर चले गए हैं। सीरिया के सरकारी मीडिया का कहना है कि असद अब भी राजधानी दमिश्क में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं।

दिलचस्प है कि यह पहली बार है जब विद्रोही 2018 के बाद से सीरियाई राजधानी के बाहरी इलाके में पहुंचे हैं। साउथ सीरिया के अधिकतर इलाकों में सेना ने अपने पैर पीछे खींच लिए हैं। इसके बाद ही विद्रोही यहां तक पहुंच पाए हैं। दक्षिणी सीरिया के ज्यादातर हिस्सों से सेना के वापस चले जाने की वजह से दो प्रांतीय राजधानियों समेत देश के अधिकांश क्षेत्र विपक्षी लड़ाकों के नियंत्रण में आ गए हैं। ब्रिटेन के ‘सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स’ के प्रमुख रामी अब्दुर्रहमान ने कहा कि विद्रोही अब दमिश्क के उपनगरों मादामिया, जरामाना और दरया में सक्रिय हैं। ये विद्रोही एक तरह से दमिश्क के दरवाजे पर हैं। इस बीच सीरियाई सेना शनिवार को दक्षिणी सीरिया के ज्यादातर भाग से हट गई। इसकी वजह से दो प्रांतीय राजधानियों समेत देश के अधिक क्षेत्र विपक्षी लड़ाकों के नियंत्रण में आ गए। होम्स पर भी विद्रोहियों का कब्जा है।

होम्स का हाथ से निकल जाना असद के लिए बहुत बड़ा झटका है। यह शहर राजधानी दमिश्क और सीरिया के तटीय प्रांतों लटाकिया और टार्टस के बीच एक महत्वपूर्ण जंक्शन पर स्थित है। लटाकिया और टार्टस सीरियाई नेता के समर्थन का आधार हैं और यहाँ रूस का एक रणनीतिक नौसैनिक अड्डा भी है। शनिवार को बाद में विद्रोहियों ने एलान किया कि उन्होंने होम्स पर कब्ला कर लिया है। 27 नवंबर को शुरू हुए अपने तूफानी हमले में अलेप्पो और हमा शहरों के साथ-साथ दक्षिण के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा चुके विद्रोहियों के लिए होम्स पर कब्जा एक बड़ी जीत है। विश्लेषकों का कहना है कि होम्स पर विद्रोहियों का कब्जा खेल का रुख बदल देगा।

सीरिया में तख्तापलट की कोशिशों को देख अमेरिका काफी खुश है। वहीं रूस बेचैन। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि महज कुछ दिन में ही असद की सरकार चली जाएगी। वहीं, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया संकट को देखकर खुश हैं। उन्होंने साफ कहा कि सीरिया में जो कुछ भी हो रहा है, यह अमेरिका की लड़ाई नहीं है।

ट्रंप ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘सीरिया में विपक्षी लड़ाकों ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए कई शहरों पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। यह सब बहुत ही सुनियोजित तरीके से किया गया है। अब ये लड़ाके दमिश्क के बाहरी इलाके में हैं और साफ तौर पर असद को हटाने के लिए बड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। रूस इस मामले में कुछ खास करता नहीं दिख रहा है। यूक्रेन युद्ध में रूस पहले ही उलझा हुआ है और छह लाख से ज्यादा सैनिक गंवा चुका है। ऐसे में अब वह सीरिया में होने वाले इस हमले को रोकने में असमर्थ दिख रहा है जबकि उसने बरसों तक सीरिया की रक्षा की है। यहीं पर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने लाल रेखा के बचाव के अपने वादे को पूरा करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद जो हुआ, वो जगजाहिर है। रूस ने आकर मोर्चा संभाला। लेकिन अब उन्हें, और शायद खुद असद को भी, पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है और यह वास्तव में सबसे अच्छी बात हो सकती है। सीरिया में रूस को कभी भी बहुत फायदा नहीं हुआ, सिवाय इसके कि वह ओबामा को बेवकूफ साबित कर सके। बहरहाल, सीरिया का अभी बुरा हाल है। वह हमारा दोस्त नहीं है और अमेरिका को इससे कोई लेना-देना नहीं रखना चाहिए। यह हमारी लड़ाई नहीं है। इसे अपने हाल पर छोड़ दो। अमेरिका इसमें शामिल नहीं होगा।’

इधर, यूक्रेन युद्ध में उलझा रूस अब चाहकर भी सीरियाई राष्ट्रपति असद की मदद नहीं कर पा रहा है। यही वजह है कि अब असद के पुराने सहयोगियों से समर्थन न मिल पाने की वजह से उनकी कुर्सी पर खतरा मंडरा गया है। यही वजह है कि सीरिया का सियासी संकट देख रूस के कान खड़े हो गए हैं। ईरान, रूस, तुर्की, इराक, कतर, मिस्र, सऊदी अरब और जॉर्डन के विदेश मंत्रियों ने सीरिया पर दोहा में बैठक की। सीरिया संकट से रूस की परेशानी बढ़ती दिख रही है। रूस की पुतिन सरकार असद समर्थक रही है।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि उन्हें सीरियाई लोगों पर तरस आता है। हम आतंकियों को रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। यहां बताना जरूरी है कि रूस, असद का मुख्य अंतरराष्ट्रीय समर्थक देश है। पिछले कई सालों से असद को रूस मदद पहुंचाते रहे हैं। विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में भी रूस ने असद का हमेशा साथ दिया है। मगर यूक्रेन युद्ध की वजह से अभी हालात थोड़े कमजोर होते दिख रहे हैं।



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