नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को लोकसभा में मांग की कि देश में क्रिप्टोकरेंसी (डिजिटल मुद्रा) को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।
उन्होंने लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया और कहा कि ‘ब्लॉकचेन’ प्रौद्योगिकी पर आधारित इन क्रिप्टोकरेंसी के दुरुपयोग को रोक पाना संभव नहीं है क्योंकि इस प्रौद्योगिकी का कोई मालिक नहीं होता।
दुबे ने कहा, ‘‘क्रिप्टो करेंसी से पूरी दुनिया परेशान है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का कोई मालिक नहीं है। ऐसे में इस पर नियंत्रण कैसे हो सकता है। क्रिप्टो को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।’’
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने नगालैंड में सुरक्षाबलों की गोलीबारी में आम लोगों की मौत का मुद्दा उठाया और कहा कि इस घटना की उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश द्वारा निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए।
भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने दिल्ली में नयी आबकारी नीति का मुद्दा लोकसभा में उठाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान नयी आबकारी नीति बनाने में व्यस्त थी और एक जून, 2021 को दिल्ली के मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि घरों में शराब की आपूर्ति की जाएगी।
वर्मा ने कहा कि क्या सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री कोरोना काल के समय शराब को लेकर नीति बनाने में व्यस्त हो सकते हैं? एक तरफ, दिल्ली के मुख्यमंत्री पंजाब जाकर बोलते हैं कि नशाबंदी करेंगे और दिल्ली में नशा बढ़ा रहे हैं?
द्रमुक की सांसद कनिमोझि ने कहा कि तमिलनाडु ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतरीन काम किया है, लेकिन प्रदेश में अगले परिसीमन के समय लोकसभा की सीटों की संख्या 39 से कम नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे बढ़ाकर 41 किया जाना चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के असंतुष्ट सांसद रघुराम कृष्ण राजू ने आंध्र प्रदेश में चल रहे एक आंदोलन का मुद्दा उठाया और सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में लोगों के मौलिक अधिकारों पर हमला किया जा रहा है।
इसके बाद, सदन में वाईएसआरसीपी के नेता मिथुन रेड्डी ने रघुराम कृष्ण राजू पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि वह भ्रष्टाचार के मामलों से मुक्त होना चाहते हैं, इसलिए खुद को सत्तापक्ष के नजदीक दिखाना चाह रहे हैं।
भाजपा के संजय सेठ, संगमलाल गुप्ता, कांग्रेस के अब्दुल खालिक, द्रमुक के ए. राजा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद फैजल, नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी और कुछ अन्य सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान अलग-अलग मुद्दे उठाए।