
रोहतांग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण आधारभूत संरचनाओं के विकास से जुड़ी परियोजनाओं को नजरअंदाज करने के लिए कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि देश ने लंबे समय तक एक ऐसा दौर भी देखा जब रक्षा हितों के साथ समझौता किया गया।
उन्होंने कहा कि देश की रक्षा जरूरतों और रक्षा हितों का ध्यान रखना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है।
प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में 10 हजार फीट की ऊंचाई पर निर्मित ‘‘अटल सुरंग’’ के उद्घाटन के बाद यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ने वाली 9.02 किलोमीटर लंबी अटल सुरंग दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग है। सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग हिमालय की पीर पंजाल श्रृंखला में औसत समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर अति-आधुनिक विशिष्टताओं के साथ बनाई गई है।
मोदी ने कहा कि हमेशा से यहां अवसंरचनाओं को बेहतर बनाने की मांग उठती रही, लेकिन लंबे समय तक देश में सीमा से जुड़ी विकास की परियोजनाएं या तो योजना के स्तर से बाहर ही नहीं निकल सकीं। उन्होंने कहा कि जो (परियोजनाएं) निकली भी वो या तो अटक गईं या फिर लटक गईं और भटक गईं।
#LIVE: PM Shri @NarendraModi inaugurates #AtalTunnel in Himachal Pradesh. https://t.co/UQQlJLt526
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) October 3, 2020
अटल सुरंग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि साल 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस सुरंग के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था, लेकिन उनकी सरकार जाने के बाद इस काम को भी भुला दिया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘हालत ये थी कि साल 2013-14 तक सुरंग के लिए सिर्फ 1300 मीटर का काम हो पाया था। विशेषज्ञ बताते हैं जिस रफ्तार से उस समय अटल सुरंग का काम हो रहा था, उसी रफ्तार से यदि काम होता तो यह 40 साल में जाकर शायद पूरा हो पाता।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसंरचना की इतनी बड़ी परियोजना के निर्माण में देरी से देश का हर तरह से नुकसान होता है। इससे लोगों को सुविधा मिलने में तो देरी होती ही है, इसका खामियाजा देश को आर्थिक स्तर पर भी उठाना पड़ता है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। आपकी आज जो उम्र है, उसमें 20 वर्ष और जोड़ लीजिए, तब जाकर लोगों के जीवन में ये दिन आता, उनका सपना पूरा होता।’’
उन्होंने कहा कि उस वक्त के लिहाज से इसके निर्माण में तीन गुना से अधिक खर्च आया। ‘‘अंदाजा लगाइए जब इसमें 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती।’’
उन्होंने कहा कि संपर्क का देश के विकास से सीधा संबंध होता है और सीमा से जुड़े इलाकों में तो संपर्क देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसे लेकर जिस गंभीरता की आवश्यकता थी, जिस राजनीतिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता थी, वैसी नहीं दिखाई दी।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि अटल सुरंग की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण परियोजनाओं के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था। क्यों राजनीतिक इच्छाशक्ति नजर नहीं आई? मैं ऐसे दर्जनों परियोजनाएं बता सकता हूं, जो सामरिक दृष्टि से, सुविधा की दृष्टि से भले ही कितनी महत्वपूर्ण रही हों, लेकिन वर्षों तक नजरअंदाज की गई।’’
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इस क्रम में प्रधानमंत्री ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण असम के डिब्रूगढ़ शहर के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील पुल और बिहार में कोसी महासेतु का जिक्र किया और कहा कि 2014 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इन परियोजाओं की गति में तेजी लाई गई और उन्हें पूरा किया गया।
उन्होंने कहा, ‘‘देश के हर हिस्से में संपर्क की बड़ी-बड़ी परियोजनाओं का यही हाल रहा, लेकिन अब स्थिति बदल रही है। इस दिशा में अभूतपूर्व प्रयास किया गया है। सीमा क्षेत्र के विकास के लिए पूरी ताकत लगा दी गई है।’’
उन्होंने दावा किया कि इतने बड़े स्तर पर इन क्षेत्रों में देश में पहले कभी काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले छह सालों में सरकार के द्वारा किए गए कामों का बहुत बड़ा लाभ सामान्य जन के साथ फौजी भाई-बहनों को भी हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सर्दी के मौसम में भी देश की रक्षा से जुड़े सारे साजों सामान दूसरे छोर पर आसानी से पहुंचाएं जा सके, इसके लिए सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की रक्षा जरूरतों, रक्षा कर