नई दिल्ली। दो प्रमुख मीडिया संगठनों ने दावा किया है कि कुछ पत्रकारों को उनके सहकर्मियो की गिरफ्तारी के मामलों में पूछताछ के लिए दिल्ली के पुलिस थानों में अक्सर बुलाया जाता है और उन्हें घंटों इंतजार कराया जाता है जिससे उनका सामान्य पेशेवर कामकाज बुरी तरह से प्रभावित होता है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक ज्ञापन में प्रेस एसोसिएशन और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा है कि जांच की प्रक्रिया में कोई बाधा पैदा करने का उनका कोई इरादा नहीं है लेकिन संबंधित पत्रकारों से आपसी सहमति और सुविधाजनक तारीख, समय और स्थल पर पूछताछ करने के लिए संपर्क किया जाना चाहिए।
इसमें कहा गया है, ‘‘यह हमारे संज्ञान में लाया गया था कि कुछ पत्रकारों को साथी पत्रकारों की गिरफ्तारी के मामलों के संबंध में जांच एजेंसियों द्वारा पूछताछ के लिए अक्सर पुलिस थानों में बुलाया जाता है।’’
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘यह देखा गया है पत्रकारों, जिनमें से ज्यादातर भारत सरकार से मान्यता प्राप्त हैं, उन्हें पुलिस थानों में बुलाया जाता है और उन्हें घंटों इंतजार कराया जाता है जिससे उनका सामान्य पेशेवर कामकाज बुरी तरह से प्रभावित होता है।’’
दोनों मीडिया संगठनों ने कहा कि पत्रकारों से नियमित सवाल पूछे जाते हैं और रात में या कई घंटों बाद उन्हें जाने दिया जाता है और उन्हें फिर से पेश होने के निर्देश दिये जाते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विचार में विशेषकर कोविड-19 महामारी के संकट को देखते हुए, यह उनके पेशेवर कामकाज के निर्वहन में बाधा पैदा करता है।’’
प्रेस एसोसिएशन और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने कहा कि वे यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि पत्रकार पूरी तरह से जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करेंगे और सबसे बेहतर तरीका यह है कि संबंधित पत्रकारों से आपसी सहमति और सुविधाजनक तारीख, समय और स्थल पर पूछताछ करने के लिए संपर्क किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘जांच की प्रक्रिया में बाधा पैदा करने का हमारा कोई इरादा नहीं है और मामले में सच्चाई सामने आनी भी चाहिए ताकि दोषी को दंडित किया जा सके।’’