
नई दिल्ली। आज, विश्व की 40% भूमि निम्नीकृत हो गई है, जिसका अर्थ है कि यह वनों की कटाई, अतिचारण और अस्थिर कृषि से अत्यधिक प्रभावित है। यह पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को खतरे में डालता है, और विशेष रूप से कमजोर समुदायों की आजीविका, खाद्य सुरक्षा और पानी की उपलब्धता को प्रभावित करता है।
इसीलिए इस विश्व पर्यावरण दिवस पर IUCN ने भूमि पुनर्स्थापन को तत्काल बढ़ाने और लागू करने का आह्वान किया है। हमें वह पीढ़ी बनना चाहिए जिसे पृथ्वी के साथ हमारे संबंध को पुनर्संतुलित करने के लिए याद किया जाता है। आख़िरकार, यह हमारी भूमि है, हमारा भविष्य है।
पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ जीवन को बढ़ावा देने के लिए राजधानी कॉलेज, राजा गार्डन ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वृक्षारोपण का आयोजन किया। प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाने वाला विश्व पर्यावरण दिवस, हमारे ग्रह की रक्षा और पोषण के लिए हमारी सामूहिक जिम्मेदारी की याद दिलाता है। यह पहल न केवल हमारे ग्रह के हरित भविष्य में योगदान देती है बल्कि युवा पीढ़ी में जिम्मेदारी की भावना भी पैदा करती है।
कॉलेज की पर्यावरण और संबंधित मुद्दे समिति ने प्राचार्य प्रो. राजेश गिरी के नेतृत्व में वृक्षारोपण अभियान किया। अपने संबोधन में प्रो. राजेश गिरि ने बढ़ते तापमान, प्रदूषण और पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण पर चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेड़ लगाना सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। उन्होंने आगे कहा कि इस साल दिल्ली का तापमान 49 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है और तेज़ रफ़्तार वाली लू के कारण कई तरह के स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा हो रहे हैं। राजधानी शहर शहरी ताप द्वीप बन गया है। इन स्थितियों से निपटने के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है और यह समय की मांग भी है। हमारा छोटा सा प्रयास गंभीर जलवायु परिस्थितियों को नियंत्रित करने में मदद करेगा
वृक्षारोपण अभियान में पूरे परिसर में विविध प्रकार के पौधे लगाए गए, जिनमें देशी प्रजातियाँ और हर्बल पौधे शामिल हैं जो स्थानीय जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त हैं। इस प्रयास का उद्देश्य क्षेत्रों के हरित आवरण और जैव विविधता को बढ़ाना, भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है।
सम्पूर्ण आयोजन समिति की संयोजिका डॉ. तपस्या तोमर के मार्गदर्शन में सुचारु रूप से संचालित हुआ। समिति के सदस्यों, संकाय सदस्यों प्रो. सुशील दत्त, डॉ. अंजू गुप्ता, आनंद प्रकाश, डॉ. असित कुमार और छात्रों के सहयोग और उत्साही भागीदारी की अत्यधिक सराहना की गई।