कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का निधन, कोरोना से थे संक्रमित

कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे अहमद पटेल  पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद करीबी और कांग्रेस के संकटमोचक के रूप में भी जाने जाते थे। अहमद पटेल राजनीति में बहुत कम उम्र से ही सक्रिय हो गये थे। 1977 में मात्र 26 साल की उम्र में भरुच से लोकसभा चुनाव जीतकर तब के सबसे युवा सांसद बने थे।1993 से अभी तक वे राज्यसभा सदस्य रहे।

नई दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल का बुधवार को तड़के निधन हो गया। 71 वर्षीय पटेल के पुत्र फैजल ने अपने पिता के निधन की पुष्टि की।कोरोना वायरस से संक्रमित पटेल पिछले करीब एक माह से गुरूग्राम के अस्पताल में भर्ती थे।

फैजल पटेल ने ट्वीट कर कहा कि वे बेहद दुख के साथ अपने पिता अहमद पटेल की दुखद और असामयिक मृत्यु की घोषणा कर रहे हैं। फैजल पटेल ने कहा कि 25 तारीख को सुबह 3.30 पर उनके पिता का निधन हो गया।  लगभग एक महीना पहले उनके पिता कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इलाज के दौरान उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया और वे मल्टी ऑर्गन फेल्यिोर के शिकार हो गए। फैजल पटेल ने कहा कि गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली। फैजल पटेल ने लोगों से अपील की है कि सभी लोग कोरोना से जुड़े प्रोटोकॉल का पालन करें और भीड़ भाड़ में जाने से बचें।

गुजरात से राज्यसभा सांसद और कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष रहे अहमद पटेल को 15 नवंबर को मेदांता अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था।  एक अक्टूबर को अहमद पटेल ने एक ट्वीट कर खुद के कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी दी थी. तब दिग्गज कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा था कि ‘मैं कोरोना पॉजिटिव हुआ हूं, मैं निवेदन करता हूं कि जो मेरे नजदीकी संपर्क में आएं है वे खुद को आइसोलेट कर लें।”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने ट्वीट करके अहमद पटेल के निधन पर दुख जताया है-

 प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर अहमद पटेल के निधन पर दुख जताया और उनके परिवार को सांत्वना दी है-

 


अहमद पटेल का राजनीतिक जीवन

कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे अहमद पटेल  पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद करीबी और कांग्रेस के संकटमोचक के रूप में भी जाने जाते थे। अहमद पटेल राजनीति में बहुत कम उम्र से ही सक्रिय हो गये थे। 1977 में मात्र 26 साल की उम्र में भरुच से लोकसभा चुनाव जीतकर तब के सबसे युवा सांसद बने थे। वे 1993 से अभी तक वे राज्यसभा सदस्य हैं।

अहमद पटेल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और विश्वासपात्र की भूमिका निभाते रहे। इस प्रक्रिया में उन पर जनाधारविहीन नेता होने का आरोप भी लगता रहा है। लेकिन अहमद पटेल पर्दे के पीछे की राजनीति में भरोसा करते रहे हैं। इसलिए कभी भी सामने आ कर राजनीति नहीं की।

अहमद पटेल 1977 से 1982 तक गुजरात की यूथ कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। सितंबर 1983 से दिसंबर 1984 तक वो ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी रहे। 1985 में जनवरी से सितंबर तक वो प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संसदीय सचिव रहे।

सितंबर 1985 से जनवरी 1986 तक पटेल ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी रहे। जनवरी 1986 में गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष बने और अक्टूबर 1988 तक इस पद पर रहे। 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने, तो अहमद पटेल को कांग्रेस वर्किंग कमेटी का सदस्य बनाया गया।

1996 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था। उस समय सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। 2000 सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से मनमुटाव होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया थ। बाद में 2001 में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए। पटेल को 2004 व 2009 के लोकसभा चुनावों में यूपीए को जीत दिलाने का अहम रणनीतिकार माना जाता है। मनमोहन सिंह सरकार के कई अहम फैसलों में निर्णायक भूमिका निभाते थे।

पर्दे के पीछे से पार्टी चलाने और रणनीति बनाने में उनका कोई जोड़ नहीं था। लेकिन पर्दे के पीछे विपक्षी पार्टियों से समझौता करने से भी उन्हें गुरेज नहीं था। गुजरात इसका उदाहरण है। जहां लंबे समय से बीजेपी का शासन हैं, सामने तो अहमद पटेल और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बीच अदावत दिखती रही लेकिन पर्दे के पीछे उन पर भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगता रहा।

First Published on: November 25, 2020 8:23 AM
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