दिवाली से जुड़ी कथाएं और उनकी मान्यताएं

हिंदू मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं, इसलिए हिंदू धर्म में सालभर त्यौहार का माहौल बना ही रहता है। इन्हीं पर्वों मे से एक खास पर्व दीपावली है।

नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म में कुल 33 करोड़ देवी-देवता हैं, इसलिए हिंदू धर्म में सालभर त्यौहार का माहौल बना ही रहता है। इन्हीं पर्वों मे से एक खास पर्व दीपावली है। जिसे लोग बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। लेकिन यह पर्व क्यों मनाया जाता है और इस दिन का क्या महत्व है ? इसके पीछे भी शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं वर्णित हैं। जिनमें सबसे ज्यादा प्रचलित कथाओं के बारे में हम आपको बताएंगे हैं।

इनमें से पहले तो हम उस कथा के बारे में बात करेंगे। जिसके बारे में बच्चा-बच्चा भी जानता है। रामायण में मंथरा के गलत विचारों से प्रेरित होकर तीसरी रानी कैकेई ने दशरथ से ऐसे दो वचन मांगे जो किसी के भी हित में नहीं थे यानि भरत को राजगद्दी और राम को 14 साल का वनवास। जिसके बाद अपने पिता के सम्मान के लिए राम वनवास को तैयार हो गए और उनके साथ लक्ष्मण और सीता ने भी 14 साल का वनवास काटा। वहीं जब राम लक्ष्मण और सीता वनवास काटकर आयोध्या वापिस आए तो सभी आयोध्यावासियों ने इस खुशी में दीप जलाकर पूरी आयोध्या नगरी को रोशन कर दिया। बस तब से लेकर आज तक इसी दिन दीप जलाकर खुशियां मनाई जाती हैं।

वहीं इस दिन का महत्व महाभारत से भी है। पांडवो और कौरवों की कहानी तो आप सबने सुनी ही होगी कि कौरवों ने अपनी चतुर शकुनी मामा की मदद से पांचो पांडवो को शंतरज के खेल में हरा दिया था। साथ ही कौरवों ने उनका राजपाठ सब छीन लिया और साथ ही 13 साल का वनवास भी दे दिया था। जिसके बाद जब पांचो पांडव युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव और उनकी पत्नी द्रोपदी 13 साल बाद वनवास से लौटे थे। तब भी सभी नगरवासियों ने दीप जलाकर उनके लौटने की खुशी में दीपोत्सव मनाया था।

तीसरी कथा की बात करें तो इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर राक्षस को परलोक पहुंचाया था। राक्षस नरकासुर प्रागज्योतिषपुर का राजा था जो इस समय नेपाल में स्थित है। उसने 16 देवकन्याओं को बंधी बनाया हुआ था। तब सत्यभामा ने श्री कृष्ण की मदद से इसी दिन नरकासुर राक्षस का संहार किया था और सभी कन्याओं को नरकासुर के बंधन से मुक्त किया था।

हम सभी जानते हैं कि दीपावली का त्यौहार हिंदू कैलंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। क्योंकि माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, इसलिए इसी दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग धूप दीप जलाकर माता की आराधना करते हैं। इन्हीं कथाओं के आधार पर हिंदू धर्म में इस पर्व की बहुत मान्यताएं हैं। जिस वजह से लोग इस दिन दीप और फूलों से अपने घर को सजाते हैं और माता लक्ष्मी के साथ प्रथम पूज्य गणेश की पूजा करते हैं।

First Published on: November 14, 2020 3:00 PM
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