यह जमानत सरकारी जमीन के फर्जी आवंटन के मामले में दी गई थी।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, ‘‘यह एक सही आदेश है। इसमें गलत क्या है ? इस मामले में फैसला सही है। हम विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज करते हैं। ’’
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने पिछले साल 13 अक्टूबर को आजम खान की पत्नी ताजीन फातमा (रामपुर से विधानसभा सदस्य) और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान (पूर्व विधायक) को जमानत दे दी थी।
मेहता ने कहा कि उनके (अब्दुल्ला के) पिता (आजम) के खिलाफ जमीन हड़पने के और अन्य अपराधों के कई मामले दर्ज हैं।
इस पर पीठ ने कहा कि हो सकता है कि उनके पिता (आजम) ने कुछ गलत किया हो, लेकिन इसके लिए उन्हें (अब्दुल्ला को) जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
मेहता ने कहा कि वे दोनों (आजम के बेटे और पत्नी) लाभार्थी हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने कह दिया है कि फैसला सही है। और कोई दलील नहीं। एसएलपी खारिज की जाती है। ’’
इसके बाद सॉलीसीटर जनरल ने अनुरोध किया कि आदेश में की गई टिप्पणी से आरोपियों के खिलाफ मुकदमा प्रभावित नहीं होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि होटल क्वालिटी बार के लिए 2014 में एक भूखंड आवंटन में कथित फर्जीवाड़ा करने को लेकर आजम की पत्नी और बेटे के खिलाफ उप्र पुलिस ने मामला दर्ज किया था।
दरअसल, किराये के तौर पर 1,200 रूपये अदा करने की बोली सर्वाधिक पाये जाने के बाद यह भूखंड मां-बेटे को आवंटित किया गया था।
आजम की पत्नी ने कहा है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को लेकर उन्हें इस मामले में फंसाया गया है।
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा सदस्य मोहम्मद आजम खान की पत्नी और बेटे को जमानत देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ की गई उत्तर प्रदेश सरकार की अपील शुक्रवार को खारिज कर दी।