कोरोना के इलाज पर दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह डॉक्टरों और मरीजों की देखभाल के लिए कमिटेड हैं। साथ ही कहा कि शवों का प्रबंधन किया जा रहा है। संक्रमण की टेस्टिंग भी बढ़ाई जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह के एलएनजेपी अस्पताल का दौरा करने के बाद कई चीजों में बदलाव किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस लिया है। आगे की सुनवाई शुक्रवार को होगी।

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार को फटकार लगते हुए कहा है कि डॉक्टर और नर्स इस समय कोविड-19 से जंग में हैं, लेकिन आप एफआईआर दायर करने में व्यस्त हैं। यदि आप अपने सैनिक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे तो युद्ध कैसे जीतेंगे। बीते दिनों एक सरकारी अस्पताल के ख़राब हाल का वीडियो बनाने पर एक डॉक्टर के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर उन्हें निलंबित कर दिया गया था।

उच्चतम न्यायालय में बुधवार 17 जून को दिल्ली में कोरोना मरीजों के इलाज और अस्पतालों की स्थिति को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप सच्चाई दबा नहीं सकते। आपने उस डॉक्टर को निलंबित क्यों किया, जिसने आपके अस्पताल की दयनीय स्थिति का वीडियो बनाया था। दिल्ली सरकार को इस मामले में हलफनामा देने को कहा गया है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि जो वीडियो सामने आए हैं, उससे सरकार की लापरवाही साफ झलकती है। वे बताएं कि कोरोना से निपटने के लिए अब तक क्या किया है। डॉक्टरों और नर्सों को बचाएं। वे कोरोना वॉरियर्स हैं। आप नहीं चाहते सच्चाई बाहर आए।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि वह डॉक्टरों और मरीजों की देखभाल के लिए कमिटेड हैं। साथ ही कहा कि शवों का प्रबंधन किया जा रहा है। संक्रमण की टेस्टिंग भी बढ़ाई जा रही है। गृह मंत्री अमित शाह के एलएनजेपी अस्पताल का दौरा करने के बाद कई चीजों में बदलाव किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोटिस लिया है। आगे की सुनवाई शुक्रवार को होगी।

पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए उचित प्रबंधन न होने और स्वास्थ्य व्यवस्था के बिगड़ते हालात की शिकायत करने वाले स्वास्थ्यकर्मी को निलंबित करने पर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। पीठ ने दिल्ली सरकार के उस हलफनामे पर चिंता जाहिर की जिसमें उन्होंने दिखाया है कि दिल्ली में सब कुछ ठीक है। इससे नाखुश होकर कोर्ट ने राज्य सरकार से बेहतर हलफनामा दायर करने को कहा है। पीठ ने कहा कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को गलत तरीके से निशाना बनाना बंद करें, उन्हें धमकी नहीं बल्कि उनका सहयोग करें।

पीठ ने सवाल उठाते हुए कहा कि डॉक्टरों को प्रताड़ित करना और एफआईआर दर्ज करना बंद करें. आप सच को दबा नहीं सकते। आपके एक अस्पताल की खराब हालत को लेकर वीडियो बनाने वाले डॉक्टर को आपने सस्पेंड क्यों कर दिया। नर्स, डॉक्टर इस समय कोविड-19 से जंग में हैं, लेकिन आप एफआईआर दायर करने में व्यस्त हैं। यदि आप अपने सैनिक के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करेंगे तो युद्ध कैसे जीतेंगे। आपने एक व्यक्ति को निलंबित कर दिया जिसने डॉक्टरों का वीडियो बनाया था।

दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए एएसजी संजय जैन ने कहा कि अस्पतालों में हेल्पडेस्क बनाए गए हैं। इस पर पीठ ने कहा कि एक आईएएस अधिकारी हॉस्पिटल को सुपरवाइज नहीं कर सकता है। इन हेल्प डेस्क को कौन चला रहा है? इसमें किसी अन्य संस्था द्वारा कदम उठाने की जरूरत है।

उच्चतम न्यायालय अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों का उचित इलाज और शवों का सम्मानित ढंग से प्रबंधन करने के संबंध में लिए गए स्वत: संज्ञान पर सुनवाई कर रहा था। इसी मामले को लेकर बीते 12 जून को हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि कोरोना मरीजों की देखभाल की स्थिति बहुत चिंताजनक और भयावह है। इस संबंध में कोर्ट ने दिल्ली समेत चार राज्यों को नोटिस जारी किया था।पीठ ने कहा था कि कोरोना वायरस के मरीजों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार हो रहा है। एक मामले में कूड़े के ढेर में शव मिला था. मरीज मर रहे हैं और कोई भी उन्हें देखने वाला नहीं है।

First Published on: June 18, 2020 7:13 AM
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