सर्वे ने बताया, सीरो पॉजिटिव लोगों में एंटीबॉडी की कमी से मार्च में कोरोना ने पकड़ी रफ़्तार

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नई दिल्ली। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा कराए कराए गए सीरो सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल सितंबर में कोरोना के मामलों में जबरदस्त वृद्धि के बाद ‘सीरो पॉजिटिव’ लोगों में ‘असरदार एंटीबॉडी’ नहीं मिलने के कारण संभवत: इस वर्ष मार्च में संक्रमण के मामलों में फिर से उछाल देखा गया है।

सीएसआईआर ने 17 राज्यों और दो केन्द्र शासित प्रदेश में अपनी 40 से ज्यादा प्रयोगशालाओं में काम करने वाले 10,427 लोगों और उनके परिवार को सदस्यों का सीरो सर्वे किया। इन 10,427 लोगों की औसत ‘सीरो पॉजिटिविटी’ 10.14 प्रतिशत थी। सर्वे में कहा गया है कि पांच-छह महीने के बाद न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी में तेजी से गिरावट आई।

जिसके चलते लोगों के दोबारा संक्रमण की चपेट में आने की आशंका बढ़ गई। सर्वे के अग्रणी लेखकों में से एक शांतनु सेनगुप्ता ने कहा कि सितंबर 2020 में देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले चरम पर पहुंच गए थे। अक्टूबर से देशभर में नए मामलों में कमी आनी शुरू हुई थी।

सर्वे में कहा गया है, ‘हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि एंटी-एनसी (न्यूक्लियोकैप्सिड) एंटीबॉडी लंबे समय तक किसी व्यक्ति के वायरल या संक्रमण के चपेट में रहने के सबूत प्रदान करती हैं, लेकिन सर्वे में लगभग 20 प्रतिशत सीरो पॉजिटिव व्यक्तियों में ऐसी एंटीबॉडी मिली जो 5-6 महीनों के बाद कम सक्रिय हो जाती है।’ सर्वे में कहा गया है कि हमारा आकलन है कि इसका संबंध मार्च 2021 में कोरोना वायरस प्रकोप के जोर पकड़ने से हो सकता है।



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