नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केन्द्र और दिल्ली सरकार को उस जनहित याचिका को एक प्रतिवेदन के रूप में लेने का निर्देश दिया, जिसमें स्टेडियम सहित खुले इलाकों में ‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों को स्थापित करने की मांग की गई है।
‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों से तात्पर्य उन केन्द्रों से है जहां आप अपने वाहन से उतरे बिना टीका लगवा सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने केन्द्र और दिल्ली सरकार को कहा कि मामले के तथ्यों के लिए लागू कानून, नियमों, विनियमों और नीति के तहत प्रतिवेदन पर फैसला लें।
अदालत ने कहा कि फैसला जल्द से जल्द और व्यवहारिक रूप से लिया जाए।
दिल्ली के एक व्यापारी अमनदीप अग्रवाल की ओर से दायर उक्त याचिका में मुंबई की तरह ‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों को स्थापित किए जाने की मांग की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वरिष्ठ नागरिक किसी के सम्पर्क में ना आएं और टीकाकरण के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का भी पालन हो।
याचिकाकर्ता के वकील एसएस चांडियोक और रुषब अग्रवाल ने कहा कि अगर लोग टीकाकरण केन्द्रों या अस्पतालों में टीका लगवाने के लिए कतारों में खड़े हो रहे हैं या भीड़ लगा रहे हैं तो इससे कर्फ्यू या लॉकडाउन लगाने का उद्देश्य पूरा नहीं होता।
याचिका में कहा गया कि खुले स्थानों पर टीकाकरण केन्द्र बनाने से राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों में पहले से परेशानियों का सामना कर रहे चिकित्सा कर्मियों पर दबाव कम होगा।
याचिका में कहा गया, ‘‘ ‘ड्राइव-इन’ टीकाकरण केन्द्रों से लोग अन्य लोगों के सम्पर्क में आए बिना टीका लगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे।’’