ज्यादा एंटीबायोटिक दवाइयां खाने से डैमेज हो सकता है लिवर


एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बैक्टीरिया को मारने के लिए किया जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बार-बार एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर रहा है तो बैक्टीरिया उस दवा के खिलाफ अपनी इम्युनिटी डेवलप कर लेती है। इसके बाद इसे ठीक करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। इसे ही एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहते हैं।


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जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक का इस्तेमाल आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकता है।  WHO की ताजा एक रिसर्च के मुताबिक एक नए आंकड़े काफी ज्यादा हैरान करने वाले हैं। अक्सर लोग बुखार या कोल्ड-कफ के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं।कफ-कोल्ड, शरीर में दर्द, बुखार या एलर्जी में अक्सर लोग एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर लेते हैं। अगर आप भी ऐसा कुछ करते हैं तो बिल्कुल भी न करें। क्योंकि WHO की हालिया रिसर्च काफी डराने वाली है। इस दवा का ज्यादा इस्तेमाल इंसानियत के सामने ‘एंटी माइक्रो-बियल रेजिस्टेंस’ का खतरा पैदा हो रहा है जो किसी भी महामारी से बड़ा खतरा बनकर उभरा है।

‘एंटी माइक्रो-बियल रेजिस्टेंस’ यानि AMR दुनिया में हर साल 50 लाख लोगों की मौत होती है। यही हाल रहा तो साल 2050 तक मौत का आंकड़ा 1 करोड़ के पार चला जाएगा। इस बात से अंदाजा लगा सकता है कि कोविड महामारी ने 3 साल में 70 लाख लोगों की मौत हो गई। AMR की वजह से एक साल में 1 करोड़ लोगों की मौत हो गई।

क्या है AMR? 

एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बैक्टीरिया को मारने के लिए किया जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति बार-बार एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर रहा है तो बैक्टीरिया उस दवा के खिलाफ अपनी इम्युनिटी डेवलप कर लेती है। इसके बाद इसे ठीक करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। इसे ही एंटी  माइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहते हैं। ऐसी स्थिति में इलाज तो ठीक से हो नहीं पाता बल्कि लिवर में टॉक्सिन जमा होने लगता है। साथ ही साथ लिवर डैमेज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसकी शुरुआत फैटी लिवर से होती है। और धीरे-धीरे यह सिरोसिस- फाइब्रोसिस में बदल जाता है।

शरीर का सबसे महत्वपूर्ण ऑर्गन लिवर होता है। इसका वजन 1।5 किलो के आसपास होता है। लिवर का काम होता है शरीर की गंदगी को फिल्टर करना यानि आपके शरीर को डिटॉक्स करने का काम लिवर करता है। तला-भुना और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए। जंक, रिफाइंड शुगर खाने से बचना चाहिए। अगर आप इन सबको ठीक समय पर कंट्रोल नहीं किए तो फैटी लिवर की बीमारी हो सकती है। फैटी लिवर की बीमारी के कारण- मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, थायराइड, स्लीप एप्निया।