
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे गतिरोध को दूर करने के लिए किसान संगठनों और तीन केंद्रीय मंत्रियों के बीच सातवें दौर की वार्ता आज (सोमवार) दोपहर शुरू हुई। बैठक की शुरुआत प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन में 40 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत शुरू की।
इससे पहले, सरकार और किसान संगठनों के बीच छठे दौर की वार्ता 30 दिसंबर को हुई थी। उस दौरान पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने और बिजली पर रियायत जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनी थी।
हालांकि, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसल की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था को लेकर कानूनी गारंटी पर अब तक कोई सहमति नहीं बन पायी है।
सूत्रों ने बताया कि तोमर ने रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और मौजूदा संकट के जल्द समाधान के लिए सरकार की रणनीति पर चर्चा की।
उन्होंने बताया कि तोमर ने सिंह के साथ संकट का समाधान निकालने के लिए ‘बीच का कोई रास्ता’ निकालने को लेकर सभी मुमकिन विकल्पों पर चर्चा की।
केंद्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तरप्रदेश के किसान हैं। राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में भीषण ठंड के अलावा पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश और प्रदर्शन स्थल पर जलजमाव के बावजूद किसान अपनी मांग पर डटे हुए हैं।
पिछले साल सितंबर में लागू कानूनों के बारे में केंद्र सरकार का कहना है कि इससे कृषि क्षेत्र में बड़ा सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसानों को आशंका है कि इन कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और वे बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे।
सरकार ने कहा है किसानों की आशंकाएं निराधार हैं और कानूनों को निरस्त करने से इनकार किया है।
आज सरकार के लिए राष्ट्रवाद की सच्ची परीक्षा है: कांग्रेस
सरकार एवं किसान संगठनों के बीच हो रही नए दौर की बातचीत की पृष्ठभूमि में सोमवार को कांग्रेस ने कहा कि केंद्र सरकार के लिए आज राष्ट्रवाद की सच्ची परीक्षा है और यह देखना है कि सरकार राष्ट्र हित में काम करती है या फिर पूंजीपतियों के हित को देखती है।
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘आज राष्ट्रवाद की सच्ची परीक्षा है। क्या मोदी सरकार ‘राष्ट्र हित’ में काम करेगी या फिर ‘साठगांठ वाले कॉरपोरेट के हित’ में?’’
Today is the true test of “Nationalism” !
Will Modi Govt act in “National Interest” or “Crony Corporate Interest”?#FarmersProtests #Farmers pic.twitter.com/T5OQT6yeiN
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 4, 2021
कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ ‘अखिल भारतीय किसान कांग्रेस’ के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने उम्मीद जताई कि सरकार आज की बातचीत में किसानों की बात मानेगी और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी।
सोलंकी ने एक बयान में कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि सरकार को सद्बुद्धि आएगी और वह तीनों काले कानूनों को वापस लेगी। अगर इन कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो किसानों का आंदोलन और तेज होगा। किसान कांग्रेस भी इस लड़ाई को गांव-गांव तक ले जाएगी।’’
गौरतलब है कि किसान संगठनों के बीच सोमवार को नए दौर की बातचीत हो रही है। किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए। अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान दिल्ली के निकट पिछले करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं।
केजरीवाल ने कहा, किसानों की सभी मांगें मानें केंद्र सरकार
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को केंद्र सरकार से अपील की कि वह प्रदर्शन कर रहे किसानों की सभी मांगें मान ले और तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दे।
प्रदर्शन कर रहे किसान संघों की केंद्र सरकार के साथ बातचीत से पहले केजरीवाल ने बारिश और ठंड के बावजूद अपना आंदोलन जारी रखने के लिए किसानों के हौसले की सराहना की।
केजरीवाल ने कहा, “ठंड और बारिश के बीच सड़कों पर डटे हमारे किसानों के हौंसले को सलाम। मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि आज की बैठक में किसानों की सारी मांगें मानते हुए तीनों काले कानून वापस लिए जाएं। ”
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं कुछ अन्य राज्यों के किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने राजमार्ग बाधित कर दिए हैं। वे मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करे और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी गारंटी दे।
किसान कड़ाके की सर्दी और बारिश के बावजूद 39 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।