नई शिक्षा नीति से शिक्षा और शिक्षण संस्थानों में आएगा बड़ा बदलाव

शिक्षा पर खर्च को बजट का 6 प्रतिशत करने की कोठारी आयोग की अनुशंसा जायज है। शिक्षा पर बजट को बढ़ाया जाना चाहिए। हमारे देश की पहचान मष्तिस्क वाले समाज की रही है। हमारे यहां चाणक्य से लेकर बड़े-बड़े विद्वान पैदा हुए हैं। शिक्षा पर खर्च बढ़ाया जाएगा तो छात्रों को लाभ होगा।

एजूकेशनल सर्जिकल स्ट्राइक है नई शिक्षा नीति : डॉ. राजेश पाठक

नई शिक्षा नीति 2020 से देश की शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव होने जा रहा है। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में कई स्तरों पर सुधार की जरूरत थी। पठन-पाठन के साथ ही शिक्षा में गुणात्मक परिवर्तन की जरूरत है। नई शिक्षा नीति से ये जरूरतें पूरी हो सकेंगी। लेकिन असली सवाल क्रियान्वयन का है। यदि नई शिक्षा नीति को सही तरीके से लागू किया गया तो हमारा देश एक बार फिर से ज्ञान के क्षेत्र में अपनी पुरानी पहचान को वापस पा सकेगा। नई शिक्षा नीति को बहुत पहले ही घोषित हो जानी चाहिए थी। मौजूदा समय में शिक्षा नीति में के बदलाव को ‘देर आये दुरुस्त आये’ कहा जा सकता है। अब सवाल यह है कि इस नई शिक्षा नीति को कैसे लागू किया जाये! निश्चित रूप से यह बड़ा सवाल है।  

डॉ. राजेश पाठक कहते हैं कि शिक्षा बजट को बढ़ाने की मांग लंबे समय से हो रही है। जहां तक शिक्षा पर खर्च को बजट का 6 प्रतिशत करने की कोठारी आयोग की अनुशंसा जायज है। शिक्षा पर बजट को बढ़ाया जाना चाहिए। हमारे देश की पहचान मष्तिष्क वाले समाज की रही है। हमारे यहां चाणक्य से लेकर बड़े-बड़े विद्वान पैदा हुए हैं। शिक्षा पर खर्च बढ़ाया जाएगा तो छात्रों को लाभ होगा। शिक्षा के क्षेत्र में उद्योगपतियों को भी निवेश करना चाहिए।

अब एक सवाल उठाया जा रहा है कि नई शिक्षा नीति से शिक्षा का निजीकरण होगा। तो हमें इससे नहीं डरना चाहिए। हम सरकारी और निजी नियंत्रण की जब बात करते है तो ये देखना दिलचस्प होता है कि ये कितने सफल होते हैं। दोनों ओर सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। निजीकरण से कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन हां प्राइवेट और सरकारी शिक्षण संस्थानों दोनों को मिल जुलकर काम करना होगा।

शिक्षा व्यवस्था को सही करने के लिए देश में एक कॉमन स्कूली सिस्टम होना चाहिए, ये मैं भी मानता हूं। एक ही प्रकार की शिक्षा हो और इसमें किसी तरह का भेदभाव ना हो। स्कूली सिस्टम को एक सिस्टम में लाना होगा, जिसमे पाठ्यक्रम एक ही तरह के हो लेकिन कंटेंट में बदलाव होते रहने चाहिए लेकिन इतिहास से छेड़छाड़ ना हो। एक कॉमन स्कूली सिस्टम के लिए सभी राजनीतिक लोगों को एक साथ आगे आना चाहिए।

नई शिक्षा नीति में स्टूडेंट्स को ये फायदा हुआ है कि वे अपने पसंद के विषय चुन सकते है। मान लें कि कोई विज्ञान का छात्र संगीत या कला में रूचि रखता है तो वह अब अपने सपने को साकार कर सकता है।विषय चुनने की आजादी से बच्चों में विकास होता है। देश में कई शिक्षा बोर्ड हैं और उनके कंटेंट में भी काफी अंतर है जिसे दूर करने की जरुरत है। नई शिक्षा नीति एक तरह से एजुकेशनल सर्जिकल स्ट्राइक है। सरकार काफी सोच समझकर यह शिक्षा नीति लेकर आयी है, इसमें किसी तरह की जल्दबाजी नहीं है। नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में बदलाव दिखेगा।

छात्रों के हुनर को मिलेगा बढ़ावा: डॉ. कुसुम मिश्र 

केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी देकर सबसे अच्छा काम जो किया है वह है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। जो मंत्रालय समूचे देश की शिक्षा व्यवस्था को संचालित कर रहा हो तो उसका नाम भी शिक्षा मंत्रालय ही होना चाहिए। नई शिक्षा नीति में कई सकारात्मक हदलाव किए गए हैं जैसे- शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने पर जोर दिया गया है। पहली बार ऐसी शिक्षा नीति बनी है जिसकी प्राथमिकता प्रत्येक छात्र की क्षमताओं को बढ़ावा देना हैं। 

नई शिक्षा नीति में जहां छात्रों के अंदर वैचारिक समझ पर जोर दिया गया है वहीं छात्रों के अंदर रचनात्मकता और महत्वपूर्ण सोच को बढ़ावा देने का प्रयास किया गया है। अब छात्रों के लिए कला और विज्ञान के बीच कोई अलगाव नहीं होगा। सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया है कि नैतिकता, संवैधानिक मूल्य पाठ्यक्रम का प्रमुख हिस्सा होगी। नई शिक्षा नीति के तहत 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टिट्यूशन बनाया जाएगा। नई शिक्षा नीति में जिस तरह से संगीत, दर्शन, कला, नृत्य और रंगमंच शामिल किए गए हैं उससे छात्रों के हुनर में बढ़ोत्तरी होगी।

मेरा मानना है कि नई शिक्षा नीति देश की शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह बदलने के साथ ही छात्र-छात्राओं के भविष्य को उज्ज्वल करने में सक्षम है। लंबे समय से देश की शिक्षा व्यवस्था को रोजगार से जोड़ने की मांग की जा रही थी। नई शिक्षा नीति 2020 में यह सब है।

First Published on: August 6, 2020 4:54 PM
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