जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकने वाले अब सरपंच बन गए हैं : अमित शाह

21 अक्टूबर 1959 को सीआरपीएफ के 10 जवानों ने भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के दौरान चीनी सैनिकों की टुकड़ी का सामना करते हुए आज के दिन ही अपनी जान गवाई थी। उसके बाद से हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय पुलिस स्मारक पर ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि जो पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर फेंकते थे वो, अब पंच-सरपंच बन गए हैं। अमित शाह ने कहा कि पहले पत्थर फेंकने में शामिल युवा अब सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न विकास परियोजनाओं में शामिल हैं। देश की आंतरिक सुरक्षा में सकारात्मक बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले पूर्वोत्तर, कश्मीर और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में बड़ी घटनाएं हुई थीं। पहले सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार दिए जाते थे। अब युवाओं को उनकी प्रगति के लिए विशेष अधिकार दिए जाते हैं। इन क्षेत्रों में हिंसा अब 70 प्रतिशत तक कम हुई है।

अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों में एकलव्य स्कूलों में राष्ट्रगान गाया जा रहा है और उनकी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि पुलिस कर्मियों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। किसी भी कीमत पर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने बताया कि देशभर में अब तक 35,000 पुलिस कर्मियों ने आंतरिक सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।

गौरतलब है कि 21 अक्टूबर 1959 को सीआरपीएफ के 10 जवानों ने भारत-चीन सीमा की सुरक्षा के दौरान चीनी सैनिकों की टुकड़ी का सामना करते हुए आज के दिन ही अपनी जान गवाई थी। उसके बाद से हर साल 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।

First Published on: October 21, 2022 11:44 AM
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