देश-दुनिया के इतिहास में 12 फरवरी की तारीख पर दर्ज देश-विदेश की विभिन्न घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:
1742 : महान मराठा दिग्गज नाना फडनवीस का जन्म।
1809 : ब्रिटिश वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन का जन्म।
1809 : अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जन्म।
1818 : चिली ने स्पेन से आजादी की औपचारिक घोषणा की >
1922 : महात्मा गांधी ने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति को असहयोग आन्दोलन को समाप्त करने के लिये राजी किया।
1928 : गांधी जी ने बारदोली में सत्याग्रह के संकेत दिए।
1948 : महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में गंगा नदी सहित विभिन्न पवित्र स्थलों पर विसर्जित किया गया।
1975 : भारत को चेचक से मुक्त देश घोषित किया गया।
1994 : चोरों ने नार्वे के महान चित्रकार एडवर्ड मंक की विश्वप्रसिद्ध रचना ‘द स्क्रीम’ को चुरा लिया। हालांकि बाद में इस कृति को बरामद कर लिया गया।
1996: फ़लस्तीनी मुक्ति संगठन के नेता यासर अराफात को गाजा में फ़लस्तीन के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई।
2002 : ईरान के एक विमान के ख़ुर्रमबाद हवाई अड्डे पर उतरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 119 लोगों की मौत हुई।
2002 : पाकिस्तान के अधिकारियों ने अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल के अपहरण के संदेह में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अहमद उमर शेख को गिरफ्तार किया।
2009 : भारत के वैज्ञानिकों ने विश्व का पहला भैंस क्लोन विकसित किया।
अमेरिका में हाइड एक्ट के सह लेखक टॉम लेंटास का निधन। अंतरिक्ष केन्द्र पर पहला यूरोपीय लैब स्थापित किया गया। पूर्वी तिमोर में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री पर हमले के बाद प्रधानमंत्री जाना जुस्माओ ने आपातकाल की घोषणा की।
2009 : भारत के वैज्ञानिकों ने विश्व का पहला भैंस क्लोन विकसित किया। 2009 : प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन को कैंम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने डीलिट् की उपाधि से सम्मानित करने की घोषणा की।
2010 : हरिद्वार महाकुंभ में संन्यासियों और नगा अवधूतों सहित लगभग 55 लाख श्रद्धालुओं ने पहले शाही स्नान पर गंगा में डुबकी लगाई।
2013 : उत्तर कोरिया ने तीसरा भूमिगत परमाणु परीक्षण किया
हर गुजरता दिन इतिहास में कुछ घटनाएं जोड़कर जाता है। 12 फरवरी का दिन भी इसका अपवाद नहीं है और इतिहास में 12 फरवरी के नाम पर भी बहुत सी घटनाएं दर्ज हैं।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को हत्या की गई थी और उनकी मृत्यु के 13वें दिन 12 फरवरी 1948 को उनकी अस्थियों को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग पवित्र सरोवरों में विसर्जित कर दिया गया।
एक कलश को इलाहाबाद में गंगा नदी में प्रवाहित किया गया। इस मौके पर दस लाख से अधिक लोगों ने नम आंखों से साबरमती के इस संत को अंतिम विदाई दी।