यह इत्तेफाक है कि इस दिन की दूसरी घटना में भी श्रीलंका की भागीदारी रही। 3 मार्च 2009 को पाकिस्तान के लाहौर में मैच खेलने जा रही श्रीलंका की क्रिकेट टीम की बस पर हथियारबंद लोगों ने गोलियाँ चलाईं। श्रीलंका की टीम दोनों देशों के बीच खेले जा रहे श्रृंखला के दूसरे टेस्ट मैच के तीसरे दिन के खेल के लिए स्टेडियम की तरफ जा रही थी, जब बस को निशाना बनाया गया। घटना के बाद मैच रद्द कर दिया गया।
देश दुनिया के इतिहास में 3 मार्च की तारीख पर दर्ज अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं का सिलसिलेवार ब्यौरा इस प्रकार है:
1575 : मुग़ल बादशाह अकबर ने तुकारोई की लड़ाई में बंगाली सेना को हराया।
1839 : जमशेदजी एन टाटा का जन्म।
1919 : मराठी के प्रसिद्ध लेखक हरि नारायण आप्टे का निधन।
1943 : महात्मा गांधी ने 21 दिन से चली आ रही अपनी भूख हड़ताल को समाप्त करने का फैसला किया।
1966 : बीबीसी ने अगले वर्ष से रंगीन टेलीविजन प्रसारण की अपनी योजना का ऐलान किया।
1971 : ऐसी खबर मिली कि चीन ने अपना दूसरा भू उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है।
1974 : तुर्की एयरलाइंस का जेट विमान डीसी 10 अंकारा से लंदन जाते हुए पेरिस के नजदीक दुर्घटनाग्रस्त। हादसे में विमान में सवार सभी 345 लोगों की मौत।
2005 : अमेरिका के रोमांच प्रेमी स्टीव फोसेट ने 67 घंटे तक लगातार बिना रूके उड़ान भरकर पृथ्वी का चक्कर पूरा किया। इस दौरान उन्होंने विमान में ईंधन भी नहीं भरा।
2006 : श्रीलंका के बल्लेबाज मुथैया मुरलीधरन ने अपना 100वां टेस्ट मैच खेलते हुए अपना 1000वां अन्तरराष्ट्रीय विकेट हासिल किया। वह यह कारनामा अंजाम देने वाले दुनिया के पहले गेंदबाज बने।
2009 : पाकिस्तान के लाहौर में मैच खेलने जा रही श्रीलंका की टीम की बस पर हथियारबंद हमलावरों ने गोलियां चलाईं।
नई दिल्ली। जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 में दक्षिणी गुजरात के नवसारी में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम नुसीरवानजी तथा माता का नाम जीवनबाई टाटा था। उनके पिता अपने ख़ानदान में अपना व्यवसाय करने वाले पहले व्यक्ति थे। मात्र चौदह वर्ष की आयु में ही जमशेदजी अपने पिता के साथ बंबई आ गए और व्यवसाय में क़दम रखा। छोटी उम्र में ही उन्होंने अपने पिता का साथ देना शुरू कर दिया था।
जब वे सत्रह साल के थे तब उन्होंने मुंबई के ‘एलफ़िंसटन कॉलेज’, में प्रवेश ले लिया और दो वर्ष बाद सन 1858 में ‘ग्रीन स्कॉलर’ (स्नातक स्तर की डिग्री) के रूप में उत्तीर्ण हुए और पिता के व्यवसाय में पूरी तरह लग गए। इसके पश्चात इनका विवाह हीरा बाई दबू के साथ करा दिया गया।
जमशेदजी टाटा भारत के प्रसिद्ध उद्योगपति तथा औद्योगिक घराने टाटा समूह के संस्थापक थे। भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया वह अति असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। जब सिर्फ यूरोपीय, विशेष तौर पर अंग्रेज़, ही उद्योग स्थापित करने में कुशल समझे जाते थे, जमशेदजी ने भारत में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था।
टाटा साम्राज्य के संस्थापक जमशेदजी द्वारा किए गये कार्य आज भी लोगों प्रोत्साहित करते हैं। उनके अन्दर भविष्य को भाँपने की अद्भुत क्षमता थी जिसके बल पर उन्होंने एक औद्योगिक भारत का सपना देखा था। उद्योगों के साथ-साथ उन्होंने विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा के लिए बेहतरीन सुविधाएँ उपलब्ध करायीं।
29 साल की अवस्था तक उन्होंने अपने पिता की कंपनी में कार्य किया फिर उसके बाद सन 1868 में 21 हज़ार की पूँजी लगाकर एक व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थापित किया। सन 1869 में उन्होने एक दिवालिया तेल मिल ख़रीदा और उसे एक कॉटन मिल में तब्दील कर उसका नाम एलेक्जेंडर मिल रख दिया।
लगभग दो साल बाद जमशेदजी ने इस मिल को ठीक-ठाक मुनाफे के साथ बेच दिया और इन्ही रुपयों से उन्होंने सन 1874 में नागपुर में एक कॉटन मिल स्थापित किया। उन्होंने इस मिल का नाम बाद में ‘इम्प्रेस्स मिल’ कर दिया जब महारानी विक्टोरिया को ‘भारत की रानी’ का खिताब दिया गया।
जमशेदजी एक ऐसे भविष्य-द्रष्टया थे जिन्होंने न सिर्फ देश में औद्योगिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया बल्कि अपने कारखाने में काम करने वाले श्रमिकों के कल्याण का भी बहुत ध्यान रखा। श्रमिकों और मजदूरों के कल्याण के मामले में वे अपने समय से कहीँ आगे थे। वे सफलता को कभी केवल अपनी जागीर नही समझते थे, बल्कि उनके लिए सफलता का मतलब उनकी भलाई भी थी जो उनके लिए काम करते थे।
दादाभाई नौरोजी और फिरोजशाह मेहता जैसे अनेक राष्ट्रवादी और क्रांतिकारी नेताओं से उनके नजदीकी संबंध थे और दोनों पक्षों ने अपनी सोच और कार्यों से एक दूसरे को बहुत प्रभावित किया था।
वे मानते थे कि आर्थिक स्वतंत्रता ही राजनीतिक स्वतंत्रता का आधार है। जमशेद जी के जीवन के बड़े लक्ष्यों में थे -एक स्टील कंपनी खोलना, एक विश्व प्रसिद्ध अध्ययन केंद्र स्थापित करना, एक अनूठा होटल खोलना और एक जलविद्युत परियोजना लगाना। हालाँकि उनके जीवन काल में इनमें से सिर्फ एक ही सपना पूरा हो सका-होटल ताज महल का सपना। बाकी की परियोजनाओं को उनकी आने वाली पीढ़ी ने पूरा किया।
होटल ताज महल दिसंबर 1903 में 4,21,00,000 रुपये के भारी खर्च से तैयार हुआ। उस समय यह भारत का एकमात्र होटल था जहाँ बिजली की व्यवस्था थी। इस होटल की स्थापना उनके राष्ट्रवादी सोच के कारण हुई। भारत में उन दिनों भारतीयों को बेहतरीन यूरोपिय होटलों में घुसने नही दिया जाता था-ताजमहल होटल का निर्माण कर उन्होंने इस दमनकारी नीति का करारा जवाब दिया था।
क्रिकेट के इतिहास में तीन मार्च
क्रिकेट के इतिहास में तीन मार्च के दिन का खास महत्व है। साल के तीसरे महीने का यह तीसरा दिन इस खेल की दो बड़ी घटनाओं का गवाह है। 3 मार्च 2006 को श्रीलंका के स्पिन गेंदबाज मुथैया मुरलीधरन ने अपना 100वां टेस्ट मैच खेलते हुए अपना 1000वां अन्तरराष्ट्रीय विकेट हासिल किया था। यह कारनामा करने वाले मुरलीधरन दुनिया के पहले गेंदबाज बने।