वक्फ पर JPC के डिसेंट नोट हटाने पर हंगामा, डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

जेपीसी की रिपोर्ट पेश होने के बाद विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खरगे, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, टीएमसी से कल्याण बनर्जी, समाजवादी पार्टी समेत बाकी नेताओं ने एक सुर में आरोप लगाया कि उनके "डिसेंट नोट" को हटा दिया गया है।

लोकसभा में जब वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पेश किया गया तो भारी हंगामा देखने को मिला। सरकार ने इसे सीधे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज दिया था, जहां कई सवाल उठे और विपक्ष ने अपने सुझाव दिए, लेकिन जब बजट सत्र के दौरान ये बिल राज्यसभा में पेश हुआ तो विपक्ष ने इसका जमकर विरोध किया और सदन से वॉकआउट कर दिया। विपक्षी दलों का आरोप था कि जेपीसी में उनके सुझावों को हटा दिया गया जिससे वे असंतुष्ट हैं।

जेपीसी की रिपोर्ट पेश होने के बाद विपक्षी दलों के नेता कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खरगे, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, टीएमसी से कल्याण बनर्जी, समाजवादी पार्टी समेत बाकी नेताओं ने एक सुर में आरोप लगाया कि उनके “डिसेंट नोट” को हटा दिया गया है। विपक्ष का कहना था कि समिति की ओर से उनके अहम सुझावों को जानबूझकर रिपोर्ट से हटा दिया गया। इस पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष सदन की कार्यवाही में बाधा डालने की कोशिश कर रहा है और वॉकआउट का सहारा लेकर बहस से बच रहा है।

ओवैसी ने उठाए सवाल, डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने दावा किया कि उनके डिसेंट नोट के कुछ हिस्से को बिना उनकी जानकारी के हटा दिया गया। उन्होंने इसे चौंकाने वाला बताया और आरोप लगाया कि इसमें दिए गए तथ्य और सुझाव विवादित नहीं थे फिर भी उन्हें रिपोर्ट से हटा दिया गया। वहीं डीएमके ने इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी जिसमें उन्होंने सरकार पर मनमानी का आरोप लगाया। उनका कहना था कि बिल में कई प्रावधान ऐसे हैं जो संविधान के अनुरूप नहीं हैं।

जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि रिपोर्ट में विपक्ष के 44 सुझावों में से 45% स्वीकार किए गए हैं। एनडीए के 15-16 सुझाव भी रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया और कहा कि सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है।

वक्फ बोर्ड बिल का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन और निगरानी रखना है। सरकार का कहना है कि ये बिल पारदर्शिता बढ़ाने और इलीगल एक्टिविटी को रोकने के लिए लाया गया है। संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर विपक्ष को लगता है कि कोई महत्वपूर्ण बिंदु छूट गया है तो अगले सत्र में उन सुझावों पर पुनर्विचार किया जाएगा।

 

 

First Published on: फ़रवरी 14, 2025 12:02 अपराह्न
Exit mobile version