भारत को सेंट्रल बैंक की ज़रुरत कब और क्यों पड़ी?

ये बात तो आप जानते होंगे कि रिज़र्व बैंक उस क्लास का मॉनिटर है जिसमें ढेर सारे बैंक शामिल हैं,लेकिन क्याआपने कभी सोचा है कि 1934 में इसकी स्थापना होने से पहले कैसे काम चलता था ? और अगर काम चल ही रहा था तो इसकी ज़रुरत क्यों पड़ी ? और एक सेंट्रल बैंक का ख्याल किस व्यक्ति को सबसे पहले आया ?

ये बात तो आप जानते होंगे कि रिज़र्व बैंक उस क्लास का मॉनिटर है जिसमें ढेर सारे बैंक शामिल हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 1934 में इसकी स्थापना होने से पहले कैसे काम चलता था ? और अगर काम चल ही रहा था तो इसकी ज़रुरत क्यों पड़ी? और एक सेंट्रल बैंक का ख्याल किस व्यक्ति को सबसे पहले आया?
1934 से पहले भारत में कितने बैंक थे? 
1934 से पहले भारत में 400 से अधिक छोटे छोटे बैंक और तीन बड़े बैंक-कलकत्ता प्रेसीडेंसी बैंक(1806), मुम्बई प्रेसीडेंसी बैंक(1840), मद्रास प्रेसीडेंसी बैंक(1843) शामिल थे। इन तीन बड़े बैंकों की स्थापना ईस्ट इंडिया कंपनी ने की थी. सन 1921 में इन तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को मिलाकर इमपीरियल बैंक ऑफ इंडिया (Imperial bank of India) की स्थापना की गई जो 1955 से स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के नाम से जाना जाने लगा। इसके बाद सन 1934 में रिज़र्व बैंक की स्थापना की गई और 1935 से इस बैंक ने सेंट्रल बैंक के तौर पर काम काज शुरू किया।
भारत को सेंट्रल बैंक की ज़रुरत क्यों पड़ी? 
इसकी 2 वजहें हैं. पहली, जिस तरह से दुनिया भर में अलग-अलग करंसी की वैल्यू डॉलर के मुकाबले तय होती है। उसी तरह भारत में भी अलग-अलग सिक्कों का चलना था जिसका मूल्य अलग अलग होता था। इसका कारण था भारत की समृद्ध संस्कृति, राजाओं द्वारा अलग सिक्के चलन में चलाए गए थे और मुगलों द्वारा अलग. अंग्रेजों के शासन में कई सालों तक मुर्शिदाबाद का सिक्का सैद्धांतिक रूप से मानक सिक्का रहा जो सिक्कों के लिए रेट्स ऑफ एक्सचेंज का आधार था ऐसे में एक ऐसी संस्था की जरूरत महसूस हुई जो देश भर में किसी एक मानक सिक्के को चलाए।
दूसरी वजह, 1929 में जब अमेरिका में ग्रेट डीप्रेशन आया और इससे इंडिया में तकरीबन 450 से अधिक बैंक समाप्त हो गये तब ब्रिटिश सरकार ने इस परिस्थिति को गंभीरता से लिया व रिज़र्व बैंक की स्थापना का विचार किया।
सबसे पहले सेंट्रल बैंक का ख्याल किसे आया? 
भारत में वित्तीय कार्यप्रणाली और नियम कानूनों को दुरुस्त करने के लिए सन् 1925 में रॉयल कमीशन ऑन इंडियन करेंसी एंड फाइनेंस (जिसे हिल्टन-यंग कमिशन के नाम से भी जाना जाता है ) का गठन किया गया। जिसने 1926 में एक केंद्रीय बैंक (रिज़र्व बैंक) की स्थापना करने की सिफारिश की थी. परन्तु इस पर कोई कदम नही उठाये गये । 1929 में अमेरिका में ग्रेट डीप्रेशन आने के बाद इस सिफारिश पर गंभीरता से विचार किया गया।
सेंट्रल बैंक की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था? 
अलग सेंट्रल बैंक की स्थापना का उद्देश्य करंसी और क्रेडिट के कंट्रोल के लिए एक अलग संस्था बनाना और सरकार को इस काम से मुक्त करना था। साथ ही देश भर में बैंकिंग सुविधा मुहैया कराना भी मकसद था। वर्ष 1934 के रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट के तहत रिजर्व बैंक की स्थापना हुई और 1935 में इसने अपना कामकाज शुरू किया। उसके बाद से जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र का स्वरूप बदलता रहा, वैसे-वैसे रिजर्व बैंक की भूमिकाओं और कामकाज में बदलाव होता रहा।
सेंट्रल बैंक का राष्ट्रीयकरण कब किया गया? 
भारतीय सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए 1 जनवरी, 1949 को उसका राष्ट्रीयकरण कर दिया। और सभी निजी शेयरधारकों के सभी शेयर भारतीय सरकार ने प्राप्त कर लिए यह प्रक्रिया RBI transfer of ownership act,1948 हुआ। अथा रिजर्व बैंक का गवर्नर अब भारतीय संसद के प्रति उत्तरदायी हो गया और भारतीय सरकार को डिविडेंड प्रदान करने लगा । सन 1949 मे बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट बना जिसने RBI की शक्तियां विस्तारित कर दीं।
पहले गवर्नर और पहले भारतीय गवर्नर कौन थे? 
1935 में सर ओसबोर्न स्मिथ भारतीय रिजर्व बैंक के पहले गवर्नर थे । इसके बाद 1949 में राष्ट्रीयकरण होने के बाद पहले भारतीय गवर्नर सीडी देशमुख बने।

First Published on: April 1, 2020 10:58 AM
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