615 पूर्वांचल हॉस्टल: JNU जीवन पर आधारित उपन्यास

इस उपन्यास ने प्रेम पर जिस गहराई से चर्चा किया है और JNU में होने वाले सच्चे प्रेम को उकेरा है, वह काबिले तारीफ है, JNU में हजारों जोड़ियां सदा के लिए लिए एक दूसरे की हो गई, तो कुछ असफल रहे और कुछ अपने सीने में दबाए चले गए.....

पिछले कई सालों में JNU के बारे में जो भ्रांतियां फैलाई गई, उन भ्रांतियों को दूर करने के लिए इस उपन्यास को पढ़ना बेहद जरूरी है, मेरी समझ से जितनी स्पष्टता और सरलता से एक कहानी के रूप में JNU के अच्छे और बुरे आयाम को आम जन- मानस तक यह पहुचाने में सक्षम है, शायद ही कोई दूसरी अकादमिक किताब हो पाए।

JNU देश के दूर दराज के ग्रामीण अंचलों के प्रतिभावान युवाओं के लिए वह सीढ़ी है जो “सांप- सीढ़ी” वाले खेल की तरह नीचे से सीधे शीर्ष के करीब पहुचा देती है, जहां उस युवा की क़िस्मत और मेहनत उसे शीर्ष तक ले जाती है, कुछ असफ़ल भी रहते है और अधिकांशतः इस जीवन यात्रा में सफल हो कर नौकरशाही और शिक्षा जगत के शीर्ष पद पर आसीन होते हैं तो कुछ राजनीति के शीर्ष पर भी पहुचते हैं, यह उपन्यास उन सब बिंदुओं पर बेहद बारीकी से दृष्टिपात करता है।

इस उपन्यास ने प्रेम पर जिस गहराई से चर्चा किया है और JNU में होने वाले सच्चे प्रेम को उकेरा है, वह काबिले तारीफ है, JNU में हजारों जोड़ियां सदा के लिए लिए एक दूसरे की हो गई, तो कुछ असफल रहे और कुछ अपने सीने में दबाए चले गए…..

JNU हज़ारों- हज़ार युवाओं को गढ़ने वाली फैक्ट्री है, जो उनके शैक्षणिक, सामाजिक और आत्मिक विकास की आधारशिला रखती है और समाज को ऐसे लोगों को तराश कर देने की कोशिश करती हैं जो राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका अदा कर सके, शायद यह उपन्यास इस ओर भी बेहतरीन ढंग से प्रकाश डालता है।

राघवेन्द्र, JNU के पूर्व छात्र और वर्तमान में एक IAS अधिकारी हैं, JNU के दिनों से हमारे अजीज मित्र हैं, उन्होंने ही इस उपन्यास को लिखा है, कृपया जरूर पढ़े, यह उपन्यास JNU में रहते हुए उनके अनुभवों और यादों पर आधारित है जो कि Amazon पर ऑनलाइन उपलब्ध है, जिसका लिंक नीचे दिया गया है.

(डॉ. संत प्रकाश डीयू में प्राध्यापक हैं।)

First Published on: December 26, 2023 10:02 AM
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