देश को अंग्रेज़ों से तो आजादी मिल गयी थी लेकिन देश को जाति, धर्म और लैंगिक असमानता जैसे मुद्दों से अभी आज़ादी लेनी बाकी थी जिसके लिए उस दौर के सभी क्रांतिकारी लेखकों ने अपनी कलम उठाई और इन विषयों को एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाकर उन पर लिखना शुरू किया। इन क्रांतिकारी लेखकों और लेखिकाओं की सूची में से एक थी मन्नू भंडारी,जिनका का निधन सोमवार को 90 वर्ष की आयु में हो गया। मन्नू भंडारी ने लैंगिक असमानता, वर्गीय असमानता और आर्थिक असमानताओं को अपनी कहानियों के माध्यम से दूर करने की कोशिश की। मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कहानीकारों में से एक हैं।
1950 से 1960 के बीच अपने कार्यो के लिए मन्नू भंडारी जानी जाती थी। सबसे ज्यादा वह अपने दो उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध थी। पहला आपका बंटी और दूसरा महाभोज। नयी कहानी अभियान और हिंदी साहित्यिक अभियान के समय में लेखक निर्मल वर्मा, राजेंद्र यादव, भीष्म साहनी, कमलेश्वर इत्यादि ने उन्हें अभियान की सबसे प्रसिद्ध लेखिका बताया था।
मन्नू भंडारी ने कहानियां और उपन्यास दोनों लिखे हैं। `एक प्लेट सैलाब’, `मैं हार गई’ , `तीन निगाहों की एक तस्वीर’, `यही सच है’, `त्रिशंकु’ और `आंखों देखा झूठ’ उनके महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं। विवाह विच्छेद की त्रासदी में पिस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास `आपका बंटी’ हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास `एक इंच मुस्कान’ पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था। आपने `बिना दीवारों का घर’ शीर्षक से एक नाटक भी लिखा है।
मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास `महाभोज’ पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। इसी प्रकार ‘यही सच है’ पर आधारित ‘रजनीगंधा’ नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।
मन्नू भंडारी को शोहरत मिली आप का बंटी उपन्यास से जो 1979 को प्रकाशित हुई। आज के दौर में सबसे चर्चित और घटित होने वाली कहानी को मन्नू भंडारी 1979 में लिखती हैं मैं यह नहीं कहती की उस वक़्त ऐसी घटनाएं नहीं हुआ करती होंगी लेकिन आज के दौर में यह बात आम हो चुकी है तो हम इसे मन्नू भंडारी की दूर दृष्टि ही कहेंगे। जिस तरह से उन्होंने बंटी पात्र को गढ़ा है वो अविस्मरणीय है। बाल मनोविज्ञान पर लिखा यह उपन्यास कालजयी उपन्यास बन गया। माँ-बाप के झगड़े के मध्य किस परिस्थितियों से एक बच्चे का बचपन गुजरता है बहुत ही मार्मिक तरीके से मन्नू भंडारी इस उपन्यास में बताती हैं। उपन्यास का उद्देश्य खंडित रिश्ते को ही दिखाना मात्र नहीं है किंतु उसका बच्चे पर दुष्प्रभाव किस प्रकार होता है उसे बहुत ही भावुक रूप में दिखाया गया है ।
मन्नू भंडारी का जन्म मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में हुआ। मन्नू भंडारी का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मिरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं।