आजादी की लड़ाई के दो महान योद्धाओं के जीवन और उनके जीवन के जुड़ाव और टकराव के विषय पर चर्चा जारी रही थी। दोनों के विचार आपसी संवादों के जरिए बन और बदल रहे थे।
उक्त बातें समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने राजधानी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय के गांधी स्वाध्याय मंडल द्वारा आयोजित “गांधी-अंबेडकर : कितने दूर-कितने पास” व्याख्यान में कही। रघु ठाकुर ने बताया कि जाति और वर्ण को लेकर गांधी के विचार आंबेडकर से संवाद के दौरान बदले, वैसे ही अंबेडकर जो शुरू में आदिवासियों को वोटिंग का अधिकार नहीं देना चाहते थे, गांधी के असर में बदले।
महाविद्यालय के प्राचार्य राजेश गिरि ने कार्यक्रम के वक्ता रघु ठाकुर और कार्यक्रम के कवि अरुण लुगुन का स्वागत किया। अनुज लुगुन ने तीन बेहतरीन मार्मिक कविताओं को सभी श्रोताओं के ह्रदय पटल पर अंकित किया। जिनमें विरासतों पर मौन, स्कूल ड्रेस जैसी कविताओं को सुन कर आत्म अनुभूति श्रोताओं को मिली।
रघु ठाकुर अपना उद्बोधन अपनी ही लिखी पुस्तक गांधी अम्बेडकर कितने दूर-कितने पास से प्रारंभ की और आज के दिन हुई दिल दहलाने वाली घटना में जलियांवाला बाग़ के शहीदों को अपना नमन किया। रघु ठाकुर जी ने बताया कि महात्मा गांधी और अंबेडकर समाज के दो ऐसे आदर्श पुरुष थे कि उनके बीच के मतभेदों को उनका मनभेद मान लिया जाए ये उचित नहीं होगा।
उन्होंने फिर बताया कि गांधी का लक्ष्य संपूर्ण भारतीय समुदाय को एकत्रित कर आजादी दिलवाना था लेकिन अंबेडकर की सोच इस विषय में अलग रही। तो इस तरह से एक मतभेद सामने आया। उन्होंने बताया कि जो गांधी के आलोचक है वो अंबेडकरवादी भी नहीं हैं। फिर उन्होंने बताया कि अगर कट्टर हिन्दू पंथ को अलग अलग करके समझा कर रखा जाए तो ही वे शांति से रह सकेंगे। अगर ऐसा नहीं हुआ तक ये आदिवासी लोगो को परेशान करेंगे और उन्होने बताया कि गांधी ने एक ऐसे रामराज्य की परिकल्पना जी जो लोगो के जीवन में उतर जाए।
रघु ठाकुर ने बताया कि जो लोग गोलमेज सम्मेलन और पूना पैक्ट की वजह से गांधी-अम्बेडकर को दूर दूर मानते है तो ये उनकी संकीर्ण मानसिकता का परिचय है। ठाकुर ने एक महत्वपूर्ण बात बताई कि जो लोग गांधी अम्बेडकर को एक दूसरे का विरोधी मानते है वो कैसे भूल जाते हैं कि बाबा साहब अंबेडकर पहली बार संविधान सभा के सदस्य का चुनाव हार गए थे।
बंगाल वाली उनकी सदस्यता भी खतम हो गई थी। गांधी के प्रयास से वे मुंबई से चुनाव जीत कर, कांग्रेस के नेता से इस्तीफा के कारण आए। ठाकुर ने कहा कि गांधी आजादी चाहते थे, स्वराज्य चाहते थे, स्वाबलंबन चाहते थे तो इसी दिशा में काम किया। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात एक ये भी बताई कि महात्मा गांधी ने इतना भी कहा था कि सवर्ण समाज की बेटी चाहे तो आदिवासी समाज के लड़के से शादी कर ले, लेकिन चरित्रवान लड़के से।
तो इस प्रकार अनेक उदाहरण देकर गांधी अम्बेडकर को एक दूसरे के निकट बताया यद्यपि उनके विचार अलग हो सकते थे। ठाकुर ने गांधी पर लगे उन सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर बताया कि जिस व्यक्ति को अफ्रीका में थप्पड़ मार दिया जाए, जिसे ट्रेन में से उतार दिया जाए, जो खुद श्याम वर्ण का हो वो व्यक्ति कैसे रंगभेदी है सकता है कैसे उसकी सोच गलत हो सकती है?.
अंत में रघु ठाकुर ने बताया कि मेरे अम्बेडकर वादी मित्र घृणा को छोड़ें या नफरतों को छोड़ें और गांधी और अंबेडकर को एकरूपता के साथ स्वीकार करें तो समाज चलेगा। उन्होंने बताया कि गांधी ने वर्णभेद वाले मुद्दे पर अम्बेडकर के प्रति सहमति दिखाई और अम्बेडकर ने पंचायत और लोकतंत्र जैसे मुद्दे पर गांधी को माना, तो इस तरह गांधी अंबेेडकर एक दूसरे के निकट थे।
रघु ठाकुर ने इतना तक कह दिया कि अगर गांधी कुछ और समय तक जिंदा रहते तो अंबेडकर गांधी के प्रिय शिष्य के नाम से जाने जाते। अंत में व्याख्यान के बाद प्रश्नोत्तर शृंखला प्रारंभ हुई और सोसायटी के अध्यक्ष नीलेश ने सभी के प्रश्न रघु ठाकुर के समक्ष रखे और उन्होंने उनका उत्तर दिया।