प्रयागराज। साहित्य अकादेमी द्वारा आज महाकुंभ में कलाग्राम मंच, सेक्टर-7, प्रयागराज में एक हिंदी कवि सम्मिलन का आयोजन किया गया। सम्मिलन की अध्यक्षता प्रख्यात कवि एवं गीतकार बुद्धिनाथ मिश्र ने की। अन्य प्रतिभागी कवि थे यश मालवीय,प्रीता वाजपेयी, रचना सक्सेना एवं वंदना शुक्ला।
सम्मिलन के आरंभ में सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि संगम में पवित्र सरस्वती अब नदी के रूप में विलुप्त हैं, लेकिन उनका दिया हुआ ज्ञान हमारे रचनाकारों की लेखनी से आज भी अविरल प्रवाहित हो रहा है। सरस्वती अब भी जीवंत और प्रवहमान हैं। इसका सबसे बड़ा साक्ष्य इस मंच पर विराजमान हमारे आदरणीय कवि गण हैं। ऋग्वेद में तो ‘कवि’ को ‘ऋषि’ की संज्ञा ही दी गई है। इसलिए मैं साहित्य अकादेमी की ओर से इन सभी ‘सरस्वती पुत्रों’ का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन करते हुए अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूँ।
अध्यक्षीय वक्तव्य में बुद्धिनाथ मिश्र ने चार कुंभों के साथ ही बारह कुंभों की विशेषताएं बताते हुए कहा कि यह सभी जन समागम हमारी धार्मिक आस्था के साथ ही हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों के उत्थान को भी रेखांकित करते हैं। उन्होंने ऐसे ऐतिहासिक अवसर पर साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित किए गए इस कवि सम्मिलन को बेहद सार्थक और उपयोगी बताया। आगे उन्होंने कहा कि साहित्य अकादेमी देश में कहीं भी आयोजित हर महत्त्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का अनुकरणीय कार्य कर रही है। उन्होंने गंगा पर केंद्रित कई गीत प्रस्तुत किए।
प्रख्यात गीतकार यश मालवीय ने, गंगा मां मन ही मन बोल रहे हैं… शीर्षक से एक गीत और कई अन्य दोहे प्रस्तुत किए। एक गीत महाकुंभ और राम को लेकर भी था। वंदना शुक्ला ने प्रयागराज को समर्पित एक गीत प्रस्तुत किया और जय पुष्कर भूमि सहित कई ग़ज़लें भी कहीं। रचना सक्सेना ने देवी शारदा की स्तुति के साथ ही कुंभ मेला और भगवान राम को अर्पित रचनाएं पढ़ी। अतः मैं प्रीता वाजपेई ने कुंभ पर गीत और गजल प्रस्तुत किए।
सम्मिलन में विजयानंद और अजय मालवीय सहित कई महत्त्वपूर्ण स्थानीय लेखक और कवि भी मौजूद थे। ज्ञात हो कि अकादेमी की पुस्तक प्रदर्शनी एवं बिक्री प्रदर्शनी हॉल नं. 2, कलाग्राम में 13 जनवरी 2025 से चल रही है और 26 फरवरी 2025 तक चलती रहेगी। प्रदर्शनी का समय पूर्वाह्न 10 बजे रात्रि 9:00 बजे तक है।