बच्चों को समझने के लिए बाल साहित्य पढ़ना जरूरी-हरीश त्रिवेदी


भारत की भाषाई विविधता ने विविध रंग और कलेवर के साहित्य को भी अनूठे तरीक़े से सम्भव किया है। निर्दोष मासूमियत की रक्षा करने का जो महत उत्तरदायित्व बाल साहित्यकारों ने उठाया है, उसके लिए सभी बाल साहित्यकार प्रशंसा के पात्र हैं।


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नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले प्रतिष्ठित बाल साहित्य पुरस्कार 2023 आज सायं 5.00 बजे तानसेन मार्ग स्थित त्रिवेणी सभागार में आयोजित हुए एक भव्य समारोह में प्रदान किए गए। पुरस्कार साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक द्वारा प्रदान किए गए। पुरस्कार समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात अंग्रेज़ी लेखक और विद्वान हरीश त्रिवेदी थे तथा साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने समापन वक्तव्य दिया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष द्वारा मुख्य अतिथि हरीश त्रिवेदी का पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्रम एवं पुस्तकें भेंट करके स्वागत किया गया। सभी का स्वागत करते हुए साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि बाल साहित्य हमारी सभ्यता का मुख्य आधार रहा और हर समाज को इसकी ज़रूरत होती है। बच्चों को भावी सजग नागरिक बनाने के लिए बाल पुस्तकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है और हमें इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि बाल साहित्य भविष्य के रचनाकार तैयार करता है, अतः उसकी भूमिका दूसरे साहित्य से अधिक महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने बाल साहित्य के प्रति बड़ों की बचकानी दृष्टि और संकीर्णता की निंदा करते हुए कहा कि हमें बाल साहित्य के प्रति गंभीर होना होगा। उन्होंने हाल ही में फ्रेंकफर्ट पुस्तक मेले के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि वहाँ सबसे अधिक स्टाॅल बाल साहित्य के थे और वे प्रकाशन पुस्तकों की सुंदर छपाई और विविधता में सबको आकर्षित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आने वाला दशक बाल साहित्य का ही होगा।

समारोह के मुख्य अतिथि हरीश त्रिवेदी ने कहा कि पहले हमारे परिवारों में दादा-दादी, नाना-नानी कहानियाँ सुनाने की परंपरा निभाते थे जो अब एकल परिवार होने के कारण ख़त्म हो गई है। अतः बाल पुस्तकों की भूमिका अब अधिक महत्त्वपूर्ण है। भारतीय कहानी सुनाने की परंपरा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे वाचक और श्रोता – दोनों के बीच एक संवाद बनता था, जिसमें बहुत से परिवर्तन बच्चों के अनुसार होते रहते थे। यह सीखने सिखाने की एक बहुत अच्छी परंपरा थी। उन्होंने बच्चों के तीन गुणों – निर्दोषता, जिज्ञासा और कल्पनाशीलता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें उनके ये गुण जब तक संभव हो, बचा कर रखना चाहिए। उन्होंने बच्चों को समझने के लिए बड़ों को भी बाल साहित्य पढ़ने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

समापन वक्तव्य देते हुए साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा ने कहा कि भारत की भाषाई विविधता ने विविध रंग और कलेवर के साहित्य को भी अनूठे तरीक़े से सम्भव किया है। निर्दोष मासूमियत की रक्षा करने का जो महत उत्तरदायित्व बाल साहित्यकारों ने उठाया है, उसके लिए सभी बाल साहित्यकार प्रशंसा के पात्र हैं। उन्होंने हिंदी के महान लेखक अमृतलाल नागर की उक्तियों से बाल साहित्य के महत्त्व को रेखांकित करते हुए मौजूदा तकनीकी युग में बाल साहित्यकारों के सामने उपस्थित चुनौतियों के प्रति भी आगाह किया। उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं को साहित्य अकादेमी की ओर से धन्यवाद देते हुए उनके उज्ज्वल साहित्यिक भविष्य की कामना की।

आज बाल साहित्य पुरस्कार 2023 प्राप्त करने वाले लेखक थे – रथींद्रनाथ गोस्वामी (असमिया), प्रतिमा नंदी नार्जारी (बोडो), बलवान सिंह जमोड़िया (डोगरी), सुधा मूर्ति (अंग्रेज़ी), रक्षाबहेन प्र. दवे (गुजराती), सूर्यनाथ सिंह (हिंदी), विजयश्री हालाडि (कन्नड), तुकाराम रामा शेट (कोंकणी), अक्षय आनंद ‘सन्नी’ (मैथिली), प्रिया ए.एस. (मलयाळम्), दिलीप नाङ्माथम (मणिपुरी), एकनाथ आव्हाड (मराठी), मधुसूदन बिष्ट (नेपाली), जुगल किशोर षडंगी (ओड़िआ), गुरमीत कड़िआलवी (पंजाबी), किरण बादल (राजस्थानी), राधावल्लभ त्रिपाठी (संस्कृत), मानसिंह माझी (संताली), के. उदयशंकर (तमिऴ), डी.के. चादुवुल बाबु (तेलुगु)। बाङ्ला और सिंधी के लेखक स्वास्थ्य कारणों से समारोह में सम्मिलित नहीं हो पाए तथा स्वर्गीय मतीन अचलपुरी (उर्दू) का पुरस्कार उनके सुपुत्र यूसुफ़ द्वारा ग्रहण किया गया। इस वर्ष कश्मीरी में कोई पुरस्कार नहीं दिया गया है।

कल (10 नवंबर 2023) पुरस्कृत बाल साहित्यकारों के साथ “लेखक सम्मिलन” का आयोजन साहित्य अकादेमी के प्रथम तल स्थित सभागार में किया जाएगा। इसमें पुरस्कार विजेता अपने स्वीकृति वक्तव्य देंगे तथा रचनात्मक लेखन के अनुभवों को साझा करेंगे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा करेंगी।



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