विपदाओं से हार नहीं मानी जिसने
संत्रासों का भी उपहास उड़ाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है
कुछ बातों का मिथ्य जगत में पूजित है
कुछ बातों का सत्य सदा ही हारेगा
कुछ बातों से मन भी शंकित होता है
कुछ बातों को विश्व नहीं स्वीकारेगा
मत सोचो ये जग वाले क्या सोचेंगे
जग ने प्रभु को भी वनवास कराया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है
लूट गए उन पणबंधों का क्या रोना
छूट गए उन सम्बन्धों का क्या रोना
सभी अकेले आए, आकर जाएंगे
टूट गए उन अनुबन्धों का क्या रोना
ब्रह्म सत्य है तुम भी एक दिन जाओगे
इस जग में मिथ्या आवास सजाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है
जब तक जीवन है, तब तक है उत्कंठा
जब तक अंतिम स्वांस बची जिज्ञासा है
गहरे में जाते ही बाहर है आना
बाहर आकर मन जन्मों से प्यासा है
पापों की गठरी को ढोते फिरते हो
जीवन में कैसा अपग्रास लगाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है
कभी धार रोकी गंगा की तीरों से
सेतु बनाकर हमने सागर पार किया
करीं अस्थियाँ दान तभी तो वज्र बना
हमने जाने कितनों का उद्धार किया
दे आये हैं अभयदान हम देवों को
नहीं कभी हमने मधुमास मनाया है
ठहर गया जो वो मैला हो जाएगा
रुका नहीं उसने इतिहास बनाया है।
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