रंगकर्मी आलोक शुक्ला के नाट्य संग्रह “पंचरंग” का विश्व पुस्तक मेले में हुआ विमोचन

इस नाट्य संग्रह में कुल पांच नाटक हैं। आत्महत्या की समस्या पर "चिप्स", जयशंकर प्रसाद की कहानी ममता पर आधारित पौराणिक नाटक "शिलालेख" , स्वच्छता पर हास्य नाटिका "नदी कुछ कह नहीं सकती", हास्य नाटक "टूईय्या गांव के लोग" और साक्षरता पर लघु नाटिका "सरस्वती"।

नई दिल्ली। वरिष्ठ रंगकर्मी, लेखक, निर्देशक और पत्रकार आलोक शुक्ला की तीसरी पुस्तक के रुप में लघु नाट्य संग्रह “पंचरंग” का विमोचन दिल्ली में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में 17 फ़रवरी की दोपहर प्रकाशक इंडिया नेटबुक्स के स्टॉल ( हॉल न 2, पी -17) पर जाने माने लेखक गिरीश पंकज, डॉ संजीव कुमार, गीता पंडित, अभिराम भड़कमकर, दिविक रमेश, डॉ मनोरमा  और प्रताप सिंह  के कर कमलों से संपन्न हुआ, तत्पश्चात जाने माने लेखक रणविजय राव , गीता पंडित और डॉ शकुंतला कालरा द्वारा “पंचरंग” पुस्तक पर चर्चा की गई।

इस नाट्य संग्रह में कुल पांच नाटक हैं। आत्महत्या की समस्या पर “चिप्स”, जयशंकर प्रसाद की कहानी ममता पर आधारित पौराणिक नाटक “शिलालेख” , स्वच्छता पर हास्य नाटिका “नदी कुछ कह नहीं सकती”, हास्य नाटक “टूईय्या गांव के लोग” और साक्षरता पर लघु नाटिका “सरस्वती”।

बता दें कि इसके पूर्व रंगकर्मी आलोक शुक्ला के छोटे-बड़े सात नाटकों का संग्रह “ख्वाबों के सात रंग”, बॉलीवुड और रंगमंच का तीन दशकीय संस्मरण “एक रंगकर्मी की यात्रा” प्रकाशित हो चुके हैं।

गौरतलब है कि आलोक शुक्ल क़रीब चार साल पहले नर्व की रेयर बीमारी जीबीएस से पीड़ित हो गए थे जिससे अभी भी वे पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं और ऐसे में ही उन्होंने लेखन के साथ ही अपनी रंगमंचीय प्रस्तुति के जरिए अपनी रंग यात्रा को जारी रखा हुआ है।

First Published on: February 18, 2024 9:29 AM
Exit mobile version