बहुभाषी रचना-पाठ में गूंजे भारतीय भाषाओं के स्वर, अनामिका ने किया रचना-पाठ

हिंदी कवयित्री अनामिका ने अपनी सारगर्भित कविताओं से पाठकों तक पहुंच बनाई। उनकी कविताओं के शीर्षक थे - ‘नमस्कार 2064’, ‘नमक’, ‘शीरो (हीरो की तर्ज पर)’, ‘किनके लिए लिखी जाती हैं कविताएं’ आदि।

नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित पुस्तकायन पुस्तक मेले के सातवें दिन बहुभाषी रचना-पाठ का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्यकार अमीता परसुराम मीता ने की और राघव गुप्ता (अंग्रेजी), अनामिका (हिंदी), रमेश प्रजापति (हिंदी), सुजाता चौधरी (ओड़िआ), अरकमल कौर (पंजाबी) एवं मोहन हिमथाणी (सिंधी) ने अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।

सर्वप्रथम राघव गुप्ता ने चित्र कविताओं के माध्यम से एक नए तरह की कविताओं से श्रोताओं को परिचित करवाया। पश्चिम में लोकप्रिय रही यह विधा भारत में अभी उतनी प्रचलित नहीं है। उन्होंने ‘गुलमोहर’, ‘इंक’ आदि शीर्षक से कविताएं प्रस्तुत कीं। हिंदी कवयित्री अनामिका ने अपनी सारगर्भित कविताओं से पाठकों तक पहुंच बनाई। उनकी कविताओं के शीर्षक थे – ‘नमस्कार 2064’, ‘नमक’, ‘शीरो (हीरो की तर्ज पर)’, ‘किनके लिए लिखी जाती हैं कविताएं’ आदि।

हिंदी के एक अन्य स्वर रमेश प्रजापति ने ‘मकई की हंसी’, ‘गेहूं का खेत’, ‘गुलमोहर’, ‘पानी का वैभव’ एवं ‘मेरे भीतर जागते हैं पिता’ आदि शीर्षक से अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं। ओड़िआ कवयित्री सुजाता चौधरी ने ‘माँ’ कविता से अपना रचना-पाठ शुरू किया और मायके आदि से जुड़ी अन्य रचनाओं का सस्वर पाठ किया।

पंजाबी कवयित्री अरकमल कौर ने कई ग़ज़ले प्रस्तुत की। उनकी ग़ज़लों में हुनर और हवा के बदलते रुखों पर कटाक्ष करते हुए टिप्पणियां थीं। सिंधी कवि मोहन हिमथाणी ने ‘शहर के शोरगुल में खिला हुआ गुलाब’ से आगाज किया, इस बीच एवं उम्मीद आदि पर कविताएं प्रस्तुत कीं।

अंत में रचना-पाठ की अध्यक्षता कर रही उर्दू की प्रसिद्ध शायरा अमीता परसुराम मीता ने अपनी ग़ज़ले प्रस्तुत कीं। अपने अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि कविता से निकली सोच और भावनाएं एक दिल से दूसरे दिल तक पहुंचने का सफर तय करती हैं। यह जरूरी नहीं कि किसी कवि की हर रचना दिल तक पहुंचे लेकिन शब्दों की सच्चाई हमें हमेशा प्रभावित करती है। सुश्री मीता ने अपनी कुछ ग़ज़ले भी सुनाईं रचना-पाठ के आरंभ में अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम् पहना कर किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत आज सीसीआरटी छात्रवृत्ति पा रही कथक नृत्यांगना बाल कलाकार तमन्ना पोखरिया ने अपनी प्रस्तुति दी एवं आद्या सिंह ने नक्कारा वादन प्रस्तुत किया।

प्रवासी मंच कार्यक्रम में आस्ट्रेलिया से पधारे तेलुगु लेखक मल्लिकेश्वर राव कोंचाडा ने रचना-पाठ किया। कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादेमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने अतिथि का अंगवस्त्रम् भेंट कर स्वागत किया और अपने संक्षिप्त स्वागत वक्तव्य में प्रवासी मंच कार्यक्रम के बारे में भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संयोजन कृष्णा किंबहुने, उपसचिव, साहित्य अकादेमी ने किया।

कल ‘तकनीकी युग में प्रकाशन’ विषयक पैनल चर्चा का आयोजन किया जाएगा। साहित्य अकादेमी परिसर में 09 दिसंबर 2023 तक चलने वाला यह पुस्तक मेला प्रतिदिन पूर्वाह्न 10 बजे से सायं 8 बजे तक खुला रहेगा।

First Published on: December 7, 2023 8:08 PM
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