भूटान का पानी: पहले की तरह जारी है पानी की आपूर्ति

भूटान सरकार ने साफ़ तौर पर कहा है कि उनके देश ने असम की तरफ जाने वाले पानी को नहीं रोका है और भारत की तरफ बहने वाले पानी की आपूर्ति पहले की तरह जारी है। हैरानी की बात यह है कि भूटान से भारत की पानी आपूर्ति बंद करने और भूटान सरकार के इसका खंडन करने संबंधी दोनों तरह की ख़बरें सोशल मीडिया के हवाले से ही सामने आई हैं।

भूटान के वित्त मंत्री ने इस आशय की ख़बरों का खंडन किया है कि उनके देश ने भारत के लिए सिंचाई का पानी बंद कर दिया था जिससे भारत के सीमान्त राज्य असम के कई इलाकों के खेतों में फसलों की सिंचाई  की समस्या पैदा हो गई थी। भूटान के वित्त मंत्री के इस बाबत दी गई सफाई में कहा गया है भूटान के भारतीय सीमा पर असम में सिंचाई के पानी लिए पानी न छोड़ने की ख़बरों में कोई सच्चाई नहीं है। 

भूटान सरकार ने साफ़ तौर पर कहा है कि उनके देश ने असम की तरफ जाने वाले पानी को नहीं रोका है और भारत की तरफ बहने वाले पानी की आपूर्ति पहले की तरह जारी है। हैरानी की बात यह है कि भूटान से भारत की पानी आपूर्ति बंद करने और भूटान सरकार के इसका खंडन करने संबंधी दोनों तरह की ख़बरें सोशल मीडिया के हवाले से ही सामने आई हैं। हैरानी इस बात की भी है कि अगर भूटान सरकार ने भारत का पानी बंद किया ही नहीं तो फिर इस तरह की ख़बरें फैला कौन रहा है और इसमें उसका क्या स्वार्थ है?

सवाल यह भी है कि आम भारतीय फेसबुक में पोस्ट की गई किस खबर को सच माने पानी बंद करने वाली खबर को या फिर भूटान के वित्त मंत्री की भारत का पानी बंद न करने संबंधी खबर को सही माने। कहा जा सकता है कि भूटान के वित्त मंत्री के बयान पर विश्वास करना ज्यादा ठीक होगा क्योंकि यह दोनों देशों के आपसी रिश्तों का मामला है। पर दूसरी तरफ पानी बंद करने संबंधी उन खबरों को गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वजह चाहे जो भी रही हो अगर ऐसी खबर आई है तो कहीं न कहीं ऐसा जरूर हुआ होगा कि भूटान की सीमा से पानी का प्रवाह रुका होगा और इसका असर खेतों की सिंचाई पर भी जरूर पड़ा होगा।

असल बात तो यह पता लगाने की है कि क्या वास्तव में किसी वजह से भारत की तरफ आने वाले पानी का प्रवाह रुका है या फिर किसी ने जन बूझ कर रोकने की कोशिश की है। अगर ऐसा कुछ हुआ है तो इसका पता लगाना ही होगा वरना भारत- भूटान संबंधों को भी ठीक वैसे ही शक की निगाह से देखा जाने लगेगा जिस तरह से तरह भारत- नेपाल संबंधों को देखा जाने लगा है। समय की जरूरत है कि दोनों देश आगे बढ़ कर इस कुहासे को जल्द से जल्द ख़त्म करें।

प्रसंगवश गौरतलब बात यह है कि अभी कुछ दिन पहले ही फेसबुक पोस्ट से यह जानकारी मिली थी कि भूटान ने भारत की सीमा की तरफ आने वाले पानी का बहाव रोक दिया है जिससे असम के कई इलाकों में सिंचाई का संकट पैदा हो गया है। यह बात एकदम गलत भी नहीं थी क्योंकि जब असम के कुछ इलाके सिंचाई से वंचित रह गए थे तभी यह बात सामने आई थी। इस खबर की यह भी एक सच्चाई थी कि असम के सिंचाई से वंचित रहने वाले ये इलाके भी वही हैं जो पूरी तरह भूटान से आने वाले पानी पर ही सिंचाई के लिए निर्भर हैं।

इस मुद्दे पर भूटान के वित्त मंत्री ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है- “भूटान ने अपनी सीमा से भारत के राज्य असम के लिए पानी का प्रवाह नहीं रोका। यही नहीं भूटान के मंत्री ने तो अपनी फेसबुक पोस्ट वाले बयान में यह भी कहा कि उनकी सरकार ने तो यहां तक व्यवस्था सुनिश्चित की है कि भारत के किसानों को सिंचाई के मामले में किसी तरह की दिक्कत न हो। दोनों सरकारों के बीच पानी के बंटवारे को लेकर बनी आपसी सहमति के आधार पर भूटान की आज भी पूरी कोशिश यही है कि भारत के हमारे किसान मित्रों को दैफाम-उदलगुरी, समरंग-भंगातर, मोटोंगा-बोकाजुले और समद्रपोंगखार से पानी की आपूर्ति निरंतर होती रहे।”

इस प्रसंग में एक अच्छी बात यह भी है कि भूटान सरकार के साथ ही असम के मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने भी भूटान द्वारा भारत का पानी रोके जाने की खबरों का खंडन किया। उनके मुताबिक भूटान द्वारा भारत का पानी रोके जाने जैसी कोई बात नहीं थी। हुआ दरअसल यह कि भूटान के साथ असम के जिलों की जो सीमाएं लगती हैं वहां किसी वजह से पानी रुक गया था जिसका भारत की तरफ बहाव नहीं बन पा रहा था। असम के मुख्य सचिव की माने तो पानी का बहाव रुकने की मुख्य वजह यह थी कि ढाई महीने चले लॉकडाउन के चलते पानी के वो चैनल (रास्ते) साफ़ नहीं हो पाए थे जिनसे होकर पानी भूटान से भारत में आता है। वहां भारी मात्र में पत्थर जमा हो जाने के कारण पानी का बहाव रुक गया था।

असम के मुख्य सचिव के अनुसार जब इस समस्या का पता चला तो पत्थर हटा कर पूरे इलाके की सफाई की गई और अब पहले की तरह पानी का बहाव शुरू हो गया है। इसके साथ ही अब पानी खेतों में आना शुरू हो गया है। पानी के बंटवारे को लेकर भूटान और भारत के बीच किसी तरह की कोई समस्या नहीं है।

इस आधार पर देखें तो कह सकते हैं कि पानी के बंटवारे को लेकर सामने आई उन ख़बरों में कोई सच्चाई नहीं है यदि यह दावा किया जा रहा था कि भूटान द्वारा पानी रोक दिए जाने के कारण भारत के किसानों को सिंचाई की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। इसके साथ ही एक बात यह भी सही लगती है कि असम के मुख्य सचिव को किसी तरह के दबाव में इस तरह का बयान किसी तरह के दबाव में देना पड़ा है। असली बात तो यही है कि वो दबाव क्या है। कहना गलत नहीं होगा कि मौजूदा परिस्थितियों में पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध बना कर रखना भारत के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। 

First Published on: June 29, 2020 5:24 AM
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