भारत की ढुलमुल कूटनीति का परिणाम है चीन का दुस्साहस

दिल्ली और बीजिंग में चुप्पी है। सारा कुछ गोपनीय स्तर पर हो रहा है। हालांकि सीमा पर सैनिकों की गतिविधियों ने साफ संकेत दिए हैं कि टकराव खतरनाक हो सकता है। लेकिन कोविड-19 महामारी से जूझ रही पूरी दुनिया इस बुरे दौर में चीन की इस शरारत पर हैरान है। चीन ने कोविड-19 से जूझ रहे पूरी दुनिया के सामने दूसरी समस्या खड़ी कर दी है। क्योंकि चीन ने एक साथ अपने कई पड़ोसियों के सीमाओं में घुसपैठ की कोशिश की है।

लद्दाख इलाके में भारत-चीन सीमा पर इस समय भारी तनाव है। दोनों तरफ की सेनाओं का जबरजस्त जमावड़ा है। इससे पहले इस कदर तनाव 2017 में हुआ था। डोकलाम में भारत और चीन आमने-सामने थे। अब एक बार फिर भारत और चीन के आपसी संबंध बुरे दौर से गुजर रहा है। चीनी सैनिकों ने पश्चिमी सेक्टर के लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल क्रास कर भारतीय इलाके में घुसपैठ की है। चीनी सैनिकों ने भारतीय इलाके में भारतीय सैनिकों को पेट्रोलिंग करने से रोका। गलवान नाला पर स्थित पोस्ट और ब्रिज को तोड़ डाला। 

दिल्ली और बीजिंग में चुप्पी है। सारा कुछ गोपनीय स्तर पर हो रहा है। हालांकि सीमा पर सैनिकों की गतिविधियों ने साफ संकेत दिए हैं कि टकराव खतरनाक हो सकता है। लेकिन कोविड-19 महामारी से जूझ रही पूरी दुनिया इस बुरे दौर में चीन की इस शरारत पर हैरान है। चीन ने कोविड-19 से जूझ रहे पूरी दुनिया के सामने दूसरी समस्या खड़ी कर दी है। क्योंकि चीन ने एक साथ अपने कई पड़ोसियों के सीमाओं में घुसपैठ की कोशिश की है। कोविड-19 के वायरस के लिए जिम्मेवार चीन अपनी सेना के माध्यम से पड़ोसियों को धमकाने की कोशिश में है।

लददाख सीमा पर भारतीय इलाके में चीनी घुसपैठ की घटना कोई नई घटना नहीं है। क्योंकि लद्दाख में घुसपैठ कर चीन अक्साई चीन को सुरक्षित करना चाहता है। 1980 के दशक से लद्दाख सेक्टर में चीनी सैनिकों घुसपैठ हो रहा है। चीन ने लद्दाख सीमा पर कई विवादित इलाकों पर अपना नियंत्रण बढाया। जबकि भारत की सरकारों की नीति चीन सीमा पर ढुलमुल रही। भारतीय सीमा के अंदर चीनी घुसपैठ जारी रही, लेकिन भारत सरकार इसे अंडरप्ले करती रही। 2013 में श्याम शरण रिपोर्ट में बताया गया कि भारत चीन के हाथों 640 स्कवायर किलोमीटर गंवा चुका है। 

चीन भारत-चीन सीमा का निर्धारण अपने हिसाब से करवाना चाहता है। ताकि चीन सियाचिन इलाके तक आराम से पहुंच सके। इससे गिलगित-बलतिस्तान के इलाके में चीनी निवेश को बढ़ावा औऱ सुरक्षा दोनों मिलेगा। चीन चाहता है कि भारत सिंधू और श्योक नदी को नेचुरल बाउंड्री मान ले। अगर चीन की यह रणनीति सफल हो जाती है तो चीन का काराकोरम के दक्षिणी के इलाके पर नियंत्रण हो जाएगा। काराकोरम के दक्षिण में पड़ने वाले इलाके पर कब्जे के बाद चीन को सियाचिन गलेशियर तक पहुंचना आसान हो जाएगा। चीन गलवान नदी औऱ श्योक नदी के पानी को भी अपने नियंत्रण में लेना चाहता है। ताकि इन दोनों नदियों के पानी को अक्साई चीन तक पहुंचाया जा सके।

एक तरफ कोविड-19 का संकट चीन के पड़ोसी देशों पर है। वहीं चीन पड़ोसी मुल्कों में घुसपैठ कर रहा है। चीन की शरारत के तत्कालिक कारण कोविड-19 भी है। क्योंकि कोविड-19 के जिम्मेवार कोरोना वायरस को वुहान वायरस का नाम भी दिय गया। यह नाम अमेरिका ने दिया। चीन वुहान वायरस के कारण पूरी दुनिया में विलेन बन चुका है। इस समय पूरी दुनिया चीन से नाराज है। इधर भारत ने चीन को घेरने में लगे यूरोपीय यूनियन, आस्ट्रेलिया और अमेरिका को समर्थन किया है। आस्ट्रेलिया और यूरोपीय यूनियन ने वायरस के फैलाव की जांच का प्रस्ताव रखा। इसे भारत ने भी समर्थन दिया। इससे चीन खासा नाराज हो गया। 

ताइवान के साथ भारत की बढ़ती नजदीकी से भी चीन नाराज है। इसी दौरान चीन से कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों कने बाहर निकलने के संकेत दिए। कुछ कंपनियां निकल भी गई। कई कंपनियां दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के वियतनाम, थाईलैंड, ताईवान और भारत की तरफ रूख करने की योजना बना रही है। चीन से कई कंपनियां वियतनाम और ताइवान पहुंच भी गई। पिछले कुछ समय में 56 कंपनियों ने चीन को छोड़ा। इसमें से 26 कंपनियां वियतनाम पहुंची। 11 कंपनियां ताईवान गई। 8 थाईलैंड और 3 भारत में आयी। चीन इससे खासा नाराज है। 

कोविड-19 के संकट के दौरान ही चीन जहां लद्दाख सेक्टर में तनाव बढ़ा रहा है, वहीं ताईवान और वियतनाम के इलाके में भी चीनी सैनिक घुसपैठ की कोशिश कर रहे है। अप्रैल महीनें में चीनी नौसेना ने दक्षिण चीन सागर के पार्सल दीप समूह के पास वियतनाम के मछुआरों के बोट पर हमला बोल दिया। इसमें बैठे मछुवारों को बंदी बना लिया। बाद में छोड़ा। फरवरी माह से चीनी सेना ताइवान के समुद्री सीमा में घुसपैठ कर रही है। ताइवान की सीमा में चीनी फाइटर जेट और समुद्री सीमा में चीन नौ सेना ने घुसपैठ की कोशिश की है। उनकी कोशिश अभी भी जारी है।
दरअसल चीन की बौखलाहट यह है कि कई यूरोपीय देश और अमेरिका अपने आयात को दक्षिण और पूर्वी एशिया के कई और देशों के साथ बढ़ा रहे है। इससे चीन काफी परेशान है। भारत की पाकिस्तान से संबंधित कूटनीति आक्रमक है। लेकिन चीन से संबंधित कूटनीति रक्षात्मक है। पिछले साल भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। इससे चीन बौखला गया। इसके बाद चीन भारत के प्रति लगातार आक्रमक रहा। क्योंकि चीन की प्राथमिकता पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में अपने आर्थिक निवेश को सुरक्षित रखना है। 

चीन लगातार अंतराष्ट्रीय मंचो पर पाकिस्तान के साथ खड़ा रहा। अभी हाल ही में गिलगित-बलतिस्तान इलाके में डायमर भाषा डैम बनाने को लेकर पाकिस्तान और चीन के बीच समझौता हो गया। चीन का लद्दाख इलाके में घुसपैठ का एक कारण यह भी है। चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ कर भारत को संदेश देना चाहता है कि अगर भारत पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर की तरफ नजर रखेगा तो चीन उसे लद्दाख एरिया में डिस्टर्ब करेगा। चीन की चिंता पाकिस्तान में भारी आर्थिक निवेश को लेकर है।  

नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात अंतराष्ट्रीय मंचों पर होती रही है। वहीं वुहान और महाबलिपुरम में शिखऱ बैठक भी हुई। मोदी जिनपिंग को अहमदाबाद लेकर भी गए। इस दौरान दोनों मुल्कों ने अपने संबंधों को बेहतर बनाने के दावे भी किए। लेकिन जमीनी सच्चाई इन दावों से अलग है। इन तमाम दावों के बीच भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ में कोई कमी नहीं आयी। पश्चिम से लेकर पूर्वी सेक्टर में चीनी सैनिक लगातार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का उल्लंघन करते रहे। पश्चिमी सेक्टर में चीनी सैनिकों ने 2015 से 2019 के बीच 1600 से ज्यादा बार लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल का उल्लंघन किया। पूर्वी सेक्टर के सिक्किम और अरूणाचल प्रदेश के इलाके में चीनी सैनिकों ने 2015 से 2019 तक लगभग 500 बार सीमा का उल्लंघन किया। 

इसी तरह से हिमाचल प्रदेश और उतराखंड इलाके में 2015 से 2019 तक चीनी सैनिकों ने लगभग 100 बार सीमा का उल्लंघन किया। हालांकि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और पीएम मोदी की 2018 में वुहान और 2019 में महाबलिपुरम की शिखर वार्ता में तय हुआ था कि सीमा विवाद का हल शांतिपूर्वक जल्द से जल्द निकाला जाएगा। लेकिन एसा कुछ जमीन पर नजर नहीं आया। क्योंकि 2018 में चीनी सैनिकों ने 404 बार सीमा का उल्लंघन किया। 2019 में 663 बार सीमा का उल्लंघन किया। यही खेल अब 2020 में जारी है। 

(संजीव पांडेय वरिष्ठ पत्रकार हैं और चंडीगढ़ में रहते हैं।)

First Published on: May 30, 2020 10:04 AM
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