
मेरठ, बिजनौर, शामली और मुजफ्फरनगर में ऐसी घटनाएं आम होती जा रही हैं जहां मुस्लिम किसी न किसी हिन्दू नाम से हिन्दू लड़कियों से दोस्ती करते हैं और उन्हें अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनसे शादी करते हैं और असलियत खुलने पर या तो लड़की को मार देते हैं या फिर उनका धर्म परिवर्तन कराकर मुसलमान बना देते हैं। ये एक संगठित गिरोह की तरह काम करते हैं जिसके खिलाफ समाज का एक वर्ग लगातार लिखता बोलता रहता है।
लेकिन न तो समाज इस पर ध्यान देता है और न ही पुलिस प्रशासन ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई करता है। पुलिस ऐसे मामलों को प्रेम प्रसंग मानकर ठंडे बस्ते में डाल देती है जैसा कि कानपुर के शालिनी यादव मामले में हुआ। शालिनी यादव को उसके प्रेमी ने धर्मांतरित करके मुसलमान बना दिया लेकिन शालिनी के घरवालों ने जब पुलिस से शिकायत की तो पुलिसवालों ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं किया।
आखिरकार मीडिया में मामला उछला तो पुलिस ने जांच पड़ताल शुरु किया। शालिनी यादव की मां ने दावा कि उनकी बेटी ने उन्हें फोन पर बताया है कि फैसल ने उन्हें जानबूझकर बहकाया और अब वो लोग उसे तकलीफ दे रहे हैं। हालांकि स्वयं शालिनी यादव ने वीडियो बनाकर सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उसने अपनी इच्छानुसार ही मोहम्मद फैसल से शादी किया है जिसे वो बीते छह साल से जानती है।
असल में शालिनी और फैसल की जान पहचान कानपुर की उसी कालोनी में हुई जहां शालिनी यादव का घर था। उस समय शालिनी की उम्र 16 साल थी और शालिनी यादव के घर के पास वाले पार्क में ही दोनों की मुलाकात हुई। धीरे धीरे दोनों का परिचय प्यार में बदल गया और इसी साल लॉकडाउन में एक दिन परीक्षा देने के बहाने शालिनी यादव घर से निकली और गाजियाबाद पहुंच गयी। कुछ दिनों बाद शालिनी यादव ने स्वयं फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड करके बताया कि उसने फिजा बनकर फैसल से निकाह कर लिया है और खुश है लेकिन उसके भाई उसे कह रहे हैं कि उन्हें यह रिश्ता मंजूर नहीं है।
शालिनी का यह वीडियो सामने आने के बाद मीडिया में हंगामा बढ़ा तो पुलिस भी सक्रिय हुई। कानपुर रेन्ज के आईजी मोहित अग्रवाल ने जब मामले की छानबीन शुरु की तो देखते ही देखते अकेले कानपुर की जूही कालोनी से आधा दर्जन ऐसे मामले सामने आये जिसमें नाबालिग हिन्दू लड़कियां किसी न किसी मुस्लिम लड़के के साथ घर छोड़कर भाग गयी हैं। कानपुर रेन्ज के आईजी मोहित अग्रवाल ने कानपुर साउथ एसपी दीपक भूकर की अध्यक्षता में सितंबर के दूसरे हफ्ते में एक एसआईटी का गठन कर दिया। इस एसआईटी में कुल नौ सदस्य हैं।
जब एसआईटी ने मामले की जांच शुरु की तो अब तक कानपुर में ही पंद्रह मामले सामने आ चुके हैं जिसमें हिन्दू लड़कियों को बहला फुसलाकर या भगाकर पहले उनका धर्म बदला गया और फिर उनका निकाह करवा दिया गया। इनमें कुछ मामलों में मुस्लिम लड़के हिन्दू नाम से लड़कियों से मिलते हैं और जब तक उनकी असलियत खुलती है तब तक लड़कियों के लिए पीछे लौटने का सारा रास्ता बंद हो चुका होता है।
एक मामला तो ऐसा भी सामने आया जिसमें लड़की के ऊपर जादू टोना और तंत्र मंत्र का प्रयोग भी किया गया था। कानपुर के ही महराजपुर में एक मजदूर परिवार की 17 साल की लड़की को पड़ोस से फैय्याज ने अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। उसके ऊपर उसने मुस्लिम तांत्रिकों से कुछ तंत्र मंत्र भी करवाया। लड़की के घर वालों का कहना है कि जब उन्हें शक हुआ और पूछताछ किया तो पता चला कि वो फैय्याज के साथ रहना चाहती है। उसके हाथ में हरी चूड़ियां और ताबीज भी डाला गया था। घरवालों ने पुलिस से शिकायत की तो पुलिस ने मामला दर्ज तो कर लिया लेकिन इस मामले को भी एसआईटी को सौंप दिया गया।
कानपुर एसआईटी के दीपक भूकर ने अपनी शुरुआती जांच पड़ताल में पाया है कि मिश्रित जनसंख्या वाले क्षेत्रों में संभवत: ऐसे मुस्लिम गिरोह सक्रिय हो सकते हैं जो नाबालिग हिन्दू लड़कियों को अपना शिकार बनाते हैं और फिर अगर कोई संकट आता है तो उनकी मदद करते हैं। केरल के अखिला मामले में ही पीएफआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट तक उसका केस लड़ा गया भारी भरकम रकम खर्च की गयी।
कपिल सिब्बल जैसे मंहगे वकील अखिला उर्फ हादिया के लिए सुप्रीम कोर्ट में खड़े हुए। दीपक भूकर को भी शक है कि हो सकता है ऐसे मामलों में कोई गिरोह सक्रिय हो जो सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी रूप से हर प्रकार से उनकी मदद करता हो। दीपक भूकर की एसआईटी संबंधित लोगों के खातों की जांच भी कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनके पास पैसा कहां से आता है।
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अगर आप यूपी में घटित होने वाली वाली लव जिहाद की इन घटनाओं का अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि इनमें से अधिकांश लड़कियां भगाकर गाजियाबाद लाई जाती जाती है, यहीं पर उनका कोर्ट मैरिज होता है और फिर उनका धर्म परिवर्तन करके निकाह करवा दिया जाता है। यूपीएसआईटी को इस पूरे मामले की जांच करते समय गाजियाबाद की भी पड़ताल करनी चाहिए। आखिर क्या कारण है कि लव जिहाद की अधिकांश घटनाओं में नाबालिग लड़कियों को ही अपना निशाना बनाया जाता है?
भारत में अंतर धार्मिक विवाह के लिए स्पेशल मैरिज एक्ट पहले से मौजूद हैं। इस एक्ट में ऐसे प्रावधान हैं कि अंतर धार्मिक विवाह में किसी को भी अपना धर्म छोड़ने की जरूरत नहीं है। फिर ऐसा क्या कारण है की अंतर धार्मिक विवाहों के मामले में यह गिरोह उस कानून की पूरी तरह से अनदेखी करते हैं। यहीं आकर शक बढ़ता है कि दाल में कुछ काला है। यह प्रेम नहीं है बल्कि प्रेम के नाम पर किसी तरह का कोई जिहाद चल रहा है।
अंतर धार्मिक और अंतर जातीय विवाह को सरकारी स्तर पर इसलिए भी संरक्षण दिया जाता है ताकि सामाजिक मेलजोल बढे परंतु इस तरह की घटनाएं दो समाजों को करीब लाने के बजाए उन्हें और दूर कर देती हैं। अंतर धार्मिक विवाहों की सामाजिक स्वीकृति बढ़ाने के लिए जरूरी है कि हम ऐसे कानूनी प्रावधान करें ताकि दो अलग-अलग मत पंथ के के मानने वाले परिवार या समाज एक दूसरे के करीब आ सके। इसलिए इस तरह का कानूनी प्रावधान किया जाना चाहिए जिसमें बिना परिवार की सहमति के ऐसे अंतर्धार्मिक विवाहों को कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी।
यूपी के योगी आदित्यनाथ सरकार योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस दिशा में पहल करने की बात कही है अगर वो ऐसा ऐसा करते हैं तो उन्हें इस बात का ध्यान रखना है कि संवैधानिक दायरे में दो अलग-अलग समाजों को करीब लाने के लिए परिवार की सहमति को अनिवार्य कर दिया जाए। अगर दो परिवार अंतर धार्मिक विवाह को स्वीकार करते हैं तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। परंतु अगर परिवार की ही सहकारिता नहीं है तो ऐसे मामलों में विवाह को कानूनी और संवैधानिक रूप से अस्वीकार्य घोषित कर देना चाहिए। पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत ने इस तरह का कानून बनाने का प्रस्ताव किया है तो भारत सरकार क्यों नहीं कर सकती?